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Showing posts from September, 2021

अग्रिम जमानत याचिका का क्या अर्थ होता है ? What is the meaning of anticipatory bail petition?

हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के द्वारा एक वैद्य विवाह के लिए कौनसी अनिवार्य शर्तें निर्धारित की गई हैं? What compulsory condition have been prescribed for a valid marriage under the Hindu Marriage Act 1955?

वैद्य विवाह के लिए अनिवार्य शर्तें (compulsory condition for a valid marriage): - हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 5 के अंतर्गत एक वैद्य विवाह के लिए निम्नलिखित शर्तें निर्धारित की गई हैं - ( 1) एक विवाह - धारा 5 (1) के अनुसार विवाह के समय दोनों पक्षकारों में से न तो वर की कोई जीवित पत्नी हो और न वधू का कोई जीवित पति हो इस धारा 5 (1) के अन्तर्गत कहा गया है कि हिंदू अब केवल एक ही विवाह कर सकता है इस अधिनियम से पूर्व हिंदू एक से अधिक विवाह कर सकता था चाहे उसकी स्त्री जीवित हो या ना हो अब वैद्य विवाह के लिए आवश्यक है कि एक स्त्री अथवा पति के जीवित रहने पर कोई दूसरा विवाह नहीं कर सकता यदि कोई इस प्रकार का विवाह करता है तो वह भारतीय दंड संहिता की 494 एवं 495 के अंतर्गत दंडनीय होगा. (धारा 17) एक नवीनतम वाद श्रीमती यमुना बाई अनंतराव आधव बनाम अनंतराव शिवराज आधव में उच्चतम न्यायालय द्वारा यह अभि निर्धारित किया गया की धारा 5 की इस प्रथम शर्त के उल्लंघन में विवाह अकृत एवं शून्य हो जाता है और इस प्रकार के विवाह प्रारंभतः एवं स्वतः शून्य  होता है शून्य विवाह में पत्नी दंड प्रक्रिया संहिता की धा

हिंदू विवाह एक संस्कार संविदा नहीं इस कथन के समर्थन में अपनी तर्कपूर्ण व्याख्या कीजिए. Hindu marriage is a sacrament not a contract give argument in support of this statement.

हिंदू विधि में विवाह को एक महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है संभवतः  संसार में विवाह का इतना आदर्शीकरण हिंदुओं के अतिरिक्त अन्य किसी जाति ने नहीं किया है ऋग्वेद के पितृसत्ता युग में भी विवाह को संस्कारी माना जाता था और हिंदुओं के इतिहास में विवाह को सदैव संस्कारी ही माना गया है स्ट्रेजी के अनुसार विश्व में किसी भी समाज द्वारा विवाह को इतना महत्व प्रदान नहीं किया गया जितना की हिंदुओं द्वारा.            विवाह के समय हिंदू वर-वधू से कहता है कि मैं तुम्हारा हाथ सौभाग्य के लिए ग्रहण करता हूं तुम अपने पति के साथ ही वृद्धावस्था की ओर अग्रसर हो सृष्टि कर्ता ने न्याय ने बुद्धि मानो ने तुझको मुझे दिया है मनु का कहना है कि स्त्री को पतिव्रत धर्म का पालन करना चाहिए ऋग्वेद के एक मंत्र के अनुसार वर-वधू से कहता है कि तुम मेरे वीर पुत्रों की मां बनोगी ईश्वर  में श्रद्धा रखो तुम अपने पति के गृह में रानी बन कर रहो समस्त देवी देवता हमारे हृदय को मिलाकर एक कर दे.         हिंदू विवाह के अंतर्गत पिता अपनी पुत्री के स्वामित्व को पति के हाथों में सौंप देता है हिंदू विवाह की यह पद्धति वैदिक काल से चली आ रही है औ

विवाह की परिभाषा दीजिए प्राचीन काल में जो विभिन्न विवाह की पद्धतियां प्रचलित थी उन की विवेचना कीजिए. Define marriage discuss the various kinds of marriage that were prevalent in ancient India.

विवाह की परिभाषा: - रघुनंदन ने विवाह की परिभाषा इस प्रकार दी है कि वर के द्वारा कन्या को स्त्री रूप में ग्रहण करने की स्वीकृति विवाह है वस्तु हिंदू धर्म में कन्या विवाह की पक्षकार नहीं होती पक्षकार कन्या का पिता तथा वर होता है जिसको दान में कन्या दी जाती है हिंदू विधि में कन्या के स्वामित्व का संपूर्ण अधिकार पिता या उसके संरक्षक को होता है कन्या की स्वीकृति या अस्वीकृति कोई महत्व नहीं रखती. वेस्टर मार्क (westermark) के अनुसार एक या अधिक पुरुषों का एक या अधिक स्त्रियों के साथ होने वाला संबंध है जिसे प्रथा या कानून स्वीकार करता है और जिस में विवाह करने वाले व्यक्तियों के और उससे उत्पन्न हुए बच्चों के होने वाले अधिकारों और कर्तव्यों का समावेश होता है.           इस प्रकार विवाह के अंतर्गत वर कन्या को पत्नी के रूप में स्वीकार करता है यह सक्रिय पक्षकार होता है जो विवाह करता है और कन्या निश्चेष्ट पक्षकार होती है जो विवाह में दान दी जाती है हिंदू विधि के अंतर्गत विवाह चाहे संस्कार माना जाए या संविदा परंतु यह संतान को जन्म देता है विवाह के प्रकार पति-पत्नी की  संस्थिति प्राप्त करते

भारत में internet and social media platforms per सरकार द्वारा बनाए गए कुछ कानून

आधुनिकता की ओर बढ़ती हुई दुनिया में इंटरनेट भी हमारे लिए बिजली और पानी की तरह ही बहुत ही जरूरी वस्तुओं में शामिल हो चुका है. अगर महामारी के इस दौर में लोगों के पास इंटरनेट की सुविधा ना होती तो रोजमर्रा के कामकाज में कितनी मुश्किलें होती ऑफिस का काम काज हो या बच्चों की online classes यहां तक कि अब लोग अपनी हर समस्याओं के लिए expert से online consistency ले रहे हैं. आजकल घरों में इंटरनेट का कनेक्शन भी पानी और बिजली की तरह अति आवश्यक हो गया है. Facility misutilisation ( सुविधा का दुरुपयोग ): - internet media के विभिन्न platforms जैसे हैं whatsApp Facebook Instagram Twitter  आदि का लोगो द्वारा दुरुपयोग शुरू कर दिया गया है क्योंकि अभी तक इन whatsApp और Twitter पर नियंत्रण रखने के लिए कोई ठोस नियम नहीं है विदेशी कंपनियां ऐसे डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए बहुत मुनाफा हासिल करती है लेकिन अभी तक इन कंपनियों पर कोई नियंत्रण नहीं था यहां तक कि इन विदेशी कंपनियों ने भारत में अपना ऑफिस या कोई जिम्मेदार अधिकारी भी नियुक्त नहीं किया था स्त्रियों और बच्चों के खिलाफ इंटरनेट पर यौन अपराध के बढ़

धर्मदाय से आप क्या समझते हैं? वैद्य - विन्यास के आवश्यक तत्व क्या है? What is meant by religious endowment? What are the Essentials of a valid endowment? Explain.

धर्मदाय (religious endowment): - यह सर्वविदित है कि हिंदू अतिशय धार्मिक व्यक्ति होते हैं हिंदुओं में धार्मिक प्रयोजनों के लिए दान इसलिए दिया जाता है कि प्राणी स्वर्ग प्राप्त करें अति प्राचीन काल से हिंदुओं में दान देने की प्रथा रही है शायद ही संसार का ऐसा कोई देश होगा जहां भारतवर्ष के तरह आदर्श मंदिर मस्जिद ज्यादा पाए जाते हैं और विशाल अनगिनत मंदिर है जो कि हिंदू के धर्म प्रिय होने के ज्वलंत प्रमाण हैं अब प्रश्न उठता है कि धर्मदाय क्या है?                धर्मदाय वह संपत्ति है जो किसी विशेष देवता की पूजा अर्चना के लिए अथवा किसी धार्मिक या परोपकारी संस्था की स्थापना के लिए अथवा उसके उदय  या निर्वाह के लिए अथवा जनहित के लिए अथवा धर्म ज्ञान व्यवहार सुरक्षा अथवा मान जाति  के प्रलय के लिए निर्दिष्ट की जाती है।           राघवाचार्य के  अनुसार धार्मिक तथा परोपकारी उद्देश्यों के हेतु संपत्ति का समर्पण धर्मदाय कहलाता है जिसके एक कर्ता या एक निश्चित वस्तु होती है जिसको निर्धारित किया जा सकता है.          वास्तविक धार्मिक विधि संबंधी कानून हिंदू विधि के मूलतः  उपलब्ध नहीं है इसलिए हिं

शैवायत तथा महंत से क्या समझते हैं? उसके क्या अधिकार तथा कर्तव्य है? क्या महंत के पद का अंतरण हो सकता है. What do you understand by Shavayat and Mahant? what are their rights and duties ?can the office of Mahant be alternated?

शैवायत: - साधारणतया विन्यास संस्थापित करते समय संस्थापक शैवायत की नियुक्ति करता है शैवायत के कर्तव्य और दायित्व उस व्यक्ति के कर्तव्य और दायित्व है जो धार्मिक और आध्यात्मिक पद का धारक है इस तरह शैवायती में दो बातें निहित हैं देय का सेवक और देय संपत्ति का प्रबंध या कर्ता-धर्ता.         शैवायत मंदिर में स्थापित मूर्ति या देवता की सेवा करता है मंदिर की संपत्ति के लिए वह न्यासी होता है वह संपत्ति का वैद्य स्वामी नहीं होता बल्कि धार्मिक धर्मदाय का प्रबंधक होता है शैवायत का यह परम कर्तव्य है कि वह मूर्ति तथा संपत्ति की अभिरक्षा करें उसे उपासना करने वाले व्यक्तियों का प्रबंध करना जरूरी है वह मंदिर की पवित्रता तथा उस में शांति बनाए रखने के लिए उत्तरदाई है.         अंगूरवाला बनाम देवव्रत के वाद में उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि हिंदू विधि के अंतर्गत शैवायत  देवमूर्ति की संपत्ति का प्रबंधक होता है यद्यपि वह इसका प्रबंधक होता है किंतु शैवायत  केवल पद नहीं है शैवायत धर्मदाय के प्रसंग मे  केवल कर्तव्यों का ही पालन नहीं करता है किंतु संपत्ति में वह लाभदायक स्वत्व  भी रखता है इस प्रकार शैवायती की सं

अव्यावहारिक ऋण (Avyavaharik debt), पूर्ववर्ती ऋण( Antecedent debt , दाम्दुपत का नियम (Rule of Damdupat short nots following

अव्यावहारिक ऋण  (Avyavaharik debt): - अव्यवहारिक ऋण  से हमारा अभिप्राय उससे है जो विधि विरुद्ध तथा अनैतिक कार्यों के लिए लिया जाता है मनु के अनुसार प्रतिभू होने से दिया जाने वाला वृथा दान (व्यंग्य विनोद में किसी को देने के लिए कहा गया )जुआ खेलने के लिए मधपान के लिए देय राजदंड और कर अथवा भाड़ा आदि का बकाया अदा करने का दायित्व पुत्र पर नहीं है.           मिताक्षरा विधि के अनुसार यदि पिता ने जुआ खेलने मदिरा पीने अथवा नैतिक कार्य के लिए ऋण लिया हो तो उसे चुकाने के लिए पुत्र उत्तरदाई नहीं है.             बृहस्पति का कथन है कि पुत्रों को अपने पिता के उन ऋणों को अदा  करने के लिए जो मंदिरा जुए में हारने के कारण प्रतिज्ञाओं के लिए जो बिना प्रतिफल के हों अथवा कायरता अथवा क्रोध की मन:स्थिति में की गई हो अथवा वह जमानतदार हो अथवा कोई अर्थदंड अथवा उनके किसी से इस भाग के लिए बाध्य नहीं किया गया जा सकता है.             याज्ञवल्क्य  का कथन है कि यदि पिता की मृत्यु हो गई हो अथवा वह कहीं सुदूर चला गया है अथवा किसी असाध्य रोग में पड़ गया हो तो उसके पुत्र तथा पौत्र उसका ऋण अदा करेंगे परंतु मंदिरा के लिए

पुत्रों द्वारा पिता के ऋण को चुकाने के लिए पुनीत कर्तव्य और पिता द्वारा पूर्ववर्ती ऋणों को चुकाने के लिए संयुक्त परिवार की संपत्ति नि:शेष करने की शक्ति में क्या संबंध है? What is the relationship between the Pious of obligation of son to pay fathers Dept and power of father to exhaust joint Hindu property for the payment of antecedents debts .

पिता के ऋणों  को चुकाने का पुत्र का पुनीत कर्तव्य है ।इस प्रक्रिया सिद्धांत की उत्पत्ति स्मृतियों से हुई है ।स्मृतिकारों ने लिखा है कि ऋण अदा ना करना भयंकर पाप है तथा ऋण चुकता ना करने के दुष्परिणाम होते इस सिद्धांत के अनुसार परलोक में अपने पिता की आत्मा को कष्ट से बचाने के लिए पुत्र का यह धर्म होता है कि वह पिता के ऋण को चुकता कर दे.         इस प्रकार बृहस्पति ने कहा है कि यदि पिता अधिक समय तक जीवित नहीं है तो उसका ऋण पुत्रों द्वारा भुगतान करना चाहिए.       मिताक्षरा विधि के अनुसार यह पुत्र का परम कर्तव्य है कि वह पिता के ऋण को चुकाये यदि ऋण परिवार की विधिक  आवश्यकता तथा संपत्ति के लाभ के लिए लिया गया है था परंतु यदि अवैध तथा अनैतिक उद्देश्य के लिए लिया गया था और ऋण के लिए जाने के समय पुत्र पिता से पृथक हो तो वह उस ऋण को भुगतान करने के लिए उत्तरदाई नहीं है.         हिंदू धर्म शास्त्रों में तथा स्मृतियों में बारंबार इस बात पर बल दिया गया है कि ऋणी को ऋण का भुगतान करना चाहिए इसके भुगतान न करने से आत्मा दूषित होती है और परलोक में आत्मा को कष्ट होता है और पुत्र को पिता पितामह

नारी संपदा से आप क्या समझते हैं? हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 ने इस संबंध में कौन से परिवर्तन किए हैं? What do you understand by women's Estate? What are the changes introduced in this regards by Hindu Succession Act 1956.

नारी संपदा (Woman Estate ): - नारी संपदा को स्थिर संपदा तथा सीमित संपदा के नाम से भी पुकारा जाता है यह वह संपत्ति है जिसे नारी किसी पुरुष या स्त्री से दाय में प्राप्त करती है अथवा विभाजन के समय प्राप्त करती है यह संपत्ति केवल उसे उसके जीवन काल में उपभोग के लिए प्राप्त होती है वह इसका अंतरण केवल कुछ ही निर्धारित परिस्थितियों में कर सकती है उसकी मृत्यु के पश्चात यह संपत्ति उसके अपने दायदो को ना मिलकर संपत्ति के दूसरे पूर्ण स्वामी को चली जाती है।          नारी संपदा के विषय में मूल पाठकार कात्यायन एवं बृहस्पति थे । बृहस्पति के अनुसार पति की मृत्यु के बाद पारिवारिक पवित्रता की रक्षा करते हुए अर्थात  सदाचार करने वाली विधवा उसके अंश को प्राप्त करे। किंतु दान देने बंधक रखने अथवा विक्रय करने का अधिकार ना हो।             कात्यायन के अनुसार पुत्रहीन सती अपने श्रेष्ठजनों के साथ निवास करती हुई विधवा अपने जीवन भर पति की  संपत्ति का संयम ढंग से उपयोग करे।उसके पश्चात पति के दायद लेंगे।         बनारस मिथिला मद्रास बंगाल शाखाओं के अनुसार नारी द्वारा पुरुष या नारी से प्राप्त संपत्ति नारी स

दान की परिभाषा दीजिए? हिंदू विधि के अंतर्गत वैद्य दान की क्या आवश्यकता हैं. कौन सी संपत्ति दान में दी जा सकती है? Define gift and what are requisites of a valid gift under the Hindu law? what property can be gifted?

हिंदू विधि के अनुसार दान का तात्पर्य एक व्यक्ति द्वारा किसी व्यक्ति के पक्ष में अपनी संपत्ति का बिना कोई प्रतिफल लिए त्याग करने से है जिसका परिणाम उस संपत्ति में दाता के स्वामित्व को समाप्त करना और अदाता के स्वामित्व की सृष्टि करना होता है.          संपत्ति अंतरण अधिनियम के अनुसार किसी चल अथवा अचल संपत्ति का स्वेच्छा से बिना किसी प्रतिफल के दानकर्ता द्वारा अंतरित किया जाना दान कहलाता है. मुल्ला ने दान की परिभाषा निम्नलिखित शब्दों में दी है - gift consists in the relinquishment without consideration of one's own rights in property and the creation of the right of another and the creation of another man right is completed by the other acceptance of the gift but not otherwise. संपत्ति के स्वामी द्वारा अपने स्वत्व का परित्याग दान प्राप्तकर्ता के पक्ष में जब किया जाता है तो उसे दान कहते हैं. मिताक्षरा के अनुसार कि सी संपत्ति में अपने स्वामित्व का परित्याग और उसमें दूसरे के स्वामित्व का सृजन को दान की संज्ञा दी जाती है दूसरे के स्वामित्व का सृजन जब वह दूसरा व्यक्ति स्वीकार

मृत्यु सैंया दान के बारे में आप क्या जानते हैं? What do you know about death bed gifts?

मृत्यु शैय्या दान: - वह दान जो दान कर्ता अपनी मृत्यु के कुछ समय पहले या उस समय करता है जबकि उसको यह आशंका रहती है कि वह मरने वाला है.         मृत्यु शैय्या दान हिंदू विधि में मान्य होता है किंतु दाता के व्याधि से छुटकारा पाकर स्वस्थ हो जाने अथवा दाता के उसके पूर्व ही मर जाने की स्थिति में दान शून्य होता है कुछ स्थितियों में इस प्रकार का दान प्रभाव कारी होता है जैसे धार्मिक कार्यों के लिए किया जाने वाला दान.         कात्यायन  के अनुसार जो वस्तु किसी मनुष्य ने दान में दे दी हो अथवा देने का वचन दिया हो चाहे वह अपने स्वस्थ रहते किया हो अथवा अस्वस्थ रहने की स्थिति में वह अवश्य दे देनी चाहिए और यदि वह उसको दिए बिना मर जाता है तो उसके पुत्र को निसंदेह इसे देने के लिए विवश किया जाना चाहिए.         संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 129 के अनुसार दान अध्याय से इस प्रकार का दान अप वर्जित कर दिया गया है दान के लिए विधिक आवश्यकता इस बात की होती है कि वह इस उद्देश्य से दिया जाए कि संपत्ति प्रतिग्राही में चली जाए चाहे दान मौखिक रूप से किया जाए अथवा लेख बध्य हो.

इच्छा पत्र ( वसीयत) क्या है? वसीयत करने के लिए कौन सक्षम और कौन सी संपत्तियां इच्छा पत्र द्वारा उत्तर दान की जा सकती है इच्छा पत्र के संबंध में क्या सामान्य नियम है? What is a will? Who is capable of making wills and what property maybe bequethed by will? what are the general rules hi respect of will?

इच्छा पत्र (वसीयत): - इच्छा पत्र किसी व्यक्ति को लिखित अपना मौखिक घोषणा जिसके द्वारा अपनी संपत्ति आदि की मृत्यु के बाद व्यवस्था की इच्छा प्रकट करता है भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 3 में इच्छा पत्र की परिभाषा इस प्रकार दी गई है.        Will means the legal declaration of the intention of the testator with respect to the property which he desire to be carried into effect after his death.        इच्छा पत्र तथा दान लगभग एक ही है केवल दोनों में भेद यह है कि दान जीवन काल में कार्यान्वित हो जाता है जबकि इच्छा पत्र जीवनकाल के बाद कार्यान्वित होता है इच्छा पत्र को रद्द किया जा सकता है परंतु दान को रद्द नहीं किया जा सकता है.         सर थॉमस स्ट्रेज के अनुसार प्रारंभ में वसीयत करने का मुख्य उद्देश्य जीवन काल में किए गए पात्रों के प्रायश्चित वसीयत द्वारा धार्मिक कार्यों के हेतु धन प्रदान करना था और यह धनराशि सामान्यतः धन को अर्जित करने के लिए किए गए अन्याय  अथवा उसके द्वारा की गई विषय परायणता और दुराचरण के अनुपात में होती थी.         प्रत्येक स्वस्थ मस्तिष्क वाला वयस्क व्यक्ति