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न्यायिक प्रक्रिया में संस्वी्कृति का महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि संस्वी्कृति के अंतर्गत अभियुक्त मजिस्ट्रेट के सम्मुख अपने अपराध को स्वीकार करता है इसलिए इससे अभियोजन पक्ष मजबूत हो जाता है तथा न्यायिक कार्यवाही अत्यंत सरल तथा शीघ्रगामी हो जाती है भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 24 में संस्वी्कृत की परिभाषा निम्न प्रकार है - (:) वह अभियुक्त के द्वारा की गई हो (:) वह अर्थात सस्वीकृति मजिस्ट्रेट के समक्ष की गई हो (:) अभियुक्त ने अपने अपराध को स्वीकार कर लिया हो( पल विंदर कौर बनाम पंजाब राज्य ए आई आर 1951 एस सी 354) संस्वीकृति का स्वैच्छिक होना भी जरूरी अर्थात वह बिना किसी भय दबाव प्रलोभन या उत्प्रेरण के की जानी चाहिए (भा द प्रक्रिया संहिता की धारा 163) संस्वीकृति लेखबंध्द करने की रीति (mode of confession); दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 में संस्वीकृति को लेखबध्द किए जाने की रीति का वर्णन किया गया है इसके अनुसार (1) संस्वीकृति का मजिस्ट्रेट के सम्मुख किया जाना अभियुक्त के द्वारा अपराध की संस्वीकृति केवल मजिस्ट्रेट के सम्मुख ही की जा सकती है प