तथ्येन मान्यता और विधिक मान्यता मे क्या अन्तर होता है ?( What is different between defacto recognition and dejure recognition ?)
तथ्येन मान्यता (Defactor Recognition ): जब कोई राज्य पूर्ण मान्यता अथवा विधि मान्यता में देरी करना चाहता है तो वह प्रथम चरण में तथ्येन मान्यता प्रदान करता है। तथ्येन मान्यता को देने का कारण यह होता है कि मान्यता प्रदान किए जाने वाले राज्य के बारे में यह संदेह होता है कि वह स्थाई है अथवा नहीं तथा वह अंतर्राष्ट्रीय विधि के अंतर्गत अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए इच्छुक तथा योग्य है अथवा नहीं। तथ्येन मान्यता से तात्पर्य है कि मान्यता प्रदान किए जाने वाला राज्य वास्तव में मान्यता के आवश्यक गुण रखता है तथा अंतर्राष्ट्रीय विधि का विषय माने जाने का अधिकारी है। ओपेनहाइम के अनुसार ,"किसी राज्य अथवा सरकार तथ्येन मान्यता तब प्रदान की जाती है, जब मान्यता देने वाले राज्य की निगाह में नई सत्ता की, बावजूद इस बात के कि वह वस्तुतः स्वतंत्र है और अपने अधीनस्थ क्षेत्र में प्रभावपूर्ण शांति रखता है।यथेष्ट स्थायित्व नहीं प्राप्त होता है और उसमें अंतरराष्ट्रीय उत्तरदायित्व को पूरा करने की योग्यता अथवा अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने की संभावना नहीं दिखलाई पड़ती है। उदाहरण के लिए प्रथम विश्व युद्ध