जब कोई व्यक्ति किसी अपराध में गिरफ्तार होने वाला हो या उसे इस बात का डर हो की उसे किसी ऐसे केस में फसा कर जेल में बंद किया जा सकता है जो कि उसने किया ही नहीं है तो ऐसे में जेल जाने से बचने के लिये वह न्यायालय से गिरफ्तार होने से पहले ही अग्रिम जमानत के लिये आवेदन कर सकता है। जब न्यायालय उस आवेदन को स्वीकृति दे देती है तो न्यायालय के आदेशानुसार पुलिस उस व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकती है। न्यायालय द्वारा जमानत का ये आदेश अग्रिम जमानत (एंटीसिपेटरी बेल] कहलाता है। ये अग्रिम जमानत दो प्रकार से की जा सकती है। [1] FIR होने से पहले. [2] FIR होने के बाद [1] FIR होने से पहले: यदि दो लोगों की आपस में अनबन है और उनमें से एक को ऐसा लगता है कि दूसरा उस पर कोई झूठा केस बनवा कर गिरफ्तार करा सकता है और यदि पहले को कही से ये पता चलता है कि दूसरा ऐसा कुछ करने का प्लान बना रहा है या फिर ऐसे हालत हो गये है कि उसके खिलाफ कभी भी FIR हो सकती है तो पहला व्यक्ति - न्यायालय में अपनी अग्रिम जमानत [ एंटीसिपेटरी बेल] के लिये आवेदन कर सकता है। इसमें न्यायालय पुलिस को यह आदेश देती है कि अगर कोई FIR
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