Skip to main content

Posts

Showing posts with the label AIBE

भारतीय जेलों में जाति आधारित भेदभाव: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला और इसके प्रभाव

AIBE के Exam में संवैधानिक कानून(Constitutional Law) से पूछे गये कुछ most important प्रश्नोत्तर

 AIBE में आमतौर पर निम्नलिखित विषयों पर प्रश्न पूछे जाते हैं:→ •संवैधानिक कानून (Constitutional Law) •आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) •सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) •साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) •भारतीय दंड संहिता (IPC) •कंपनी कानून (Company Law) •अनुबंध कानून (Contract Law) •संपत्ति कानून (Property Law) •पारिवारिक कानून (Family Law) •पर्यावरण कानून (Environmental Law) संवैधानिक कानून (Constitutional Law) AIBE (All India Bar Examination) का एक प्रमुख विषय है। इस खंड में संविधान के मौलिक अधिकार, नीति-निर्देशक तत्व, संवैधानिक प्रावधान, और विभिन्न ऐतिहासिक फैसलों से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। नीचे संवैधानिक कानून से AIBE के पिछले वर्षों में पूछे गए प्रश्नों और उनके उत्तरों को विस्तार से समझाया गया है। 1. भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए रिट जारी करने की शक्ति देता है? उत्तर:→ अनुच्छेद 32 व्याख्या: → अनुच्छेद 32 को "संविधान का हृदय और आत्मा" कहा जाता है। यह मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय को रिट जारी करने की...

AIBE परीक्षा 2024: अब तक के 100 महत्वपूर्ण केस लॉ और उनके निर्णय विस्तार से

AIBE परीक्षा में महत्वपूर्ण केस लॉ से जुड़े प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं। यहां 100 प्रमुख केस लॉ का विवरण दिया गया है, जो AIBE की तैयारी के लिए उपयोगी हैं। ये केस भारतीय संविधान, मौलिक अधिकारों, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, संघीय ढांचे, और सामाजिक न्याय से संबंधित हैं। 1-10: संविधान की मूल संरचना (Basic Structure Doctrine) से संबंधित केस Kesavananda Bharati v. State of Kerala (1973) संविधान की मूल संरचना सिद्धांत को स्थापित किया गया। Minerva Mills Ltd. v. Union of India (1980) मौलिक अधिकार और राज्य नीति के सिद्धांतों के बीच संतुलन। Indira Gandhi v. Raj Narain (1975) चुनावी प्रक्रिया और संविधान की मूल संरचना पर निर्णय। S.R. Bommai v. Union of India (1994) धर्मनिरपेक्षता संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है। I.R. Coelho v. State of Tamil Nadu (2007) 9वीं अनुसूची के तहत मौलिक अधिकारों की सुरक्षा। Golak Nath v. State of Punjab (1967) संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती। Chandra Kumar v. Union of India (1997) न्यायपालिका की स्वतंत्रता मूल सं...

AIBE परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण केस लॉ: विस्तार से समझें प्रमुख न्यायिक निर्णय

AIBE (All India Bar Examination) में कुछ प्रमुख और ऐतिहासिक केस लॉज़ से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं, जिनका भारतीय संविधान, दंड संहिता, नागरिक प्रक्रिया संहिता और अन्य कानूनी पहलुओं से गहरा संबंध है। इन केस लॉज़ का अध्ययन न केवल आपकी AIBE की तैयारी के लिए बल्कि भारतीय कानूनी प्रणाली की गहरी समझ बनाने के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। यहां मैं कुछ प्रमुख मामलों का और अधिक विस्तार से वर्णन कर रहा हूँ जो AIBE परीक्षा में आये हैं और जिनके महत्व को समझना ज़रूरी है। 1. Kesavananda Bharati v. State of Kerala (1973) मुख्य बिंदु: यह केस भारतीय संविधान में किए गए संशोधनों और उनके सीमाओं से संबंधित है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने "मूल संरचना" सिद्धांत को स्थापित किया। संक्षिप्त कहानी: केशवानंद भारती, जो केरल के एक मठ के प्रमुख थे, ने संविधान के 24वें संशोधन को चुनौती दी, जिसमें संसद को संविधान के किसी भी प्रावधान को संशोधित करने का अधिकार था। उन्होंने तर्क दिया कि कुछ प्रावधानों को परिवर्तित नहीं किया जा सकता। कोर्ट का निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान में बदला...

AIBE परीक्षा में पारिवारिक कानून से जुड़े 100 महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके विस्तृत उत्तर

AIBE (All India Bar Examination) में पारिवारिक कानून (Family Law) से जुड़े प्रश्न मुख्यतः विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, भरण-पोषण, गोद लेना और धार्मिक कानूनों पर आधारित होते हैं। ये प्रश्न हिंदू, मुस्लिम, ईसाई और अन्य धर्मों के व्यक्तिगत कानूनों के विभिन्न प्रावधानों से संबंधित होते हैं। नीचे अब तक AIBE में पारिवारिक कानून से पूछे गए महत्वपूर्ण प्रश्न, उनके उत्तर, और व्याख्या दी गई है: 1. हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत विवाह को शून्य (Void) कब घोषित किया जा सकता है? उत्तर: यदि विवाह: दोनों पक्षों में से कोई एक पहले से विवाहित हो (धारा 5(i))। निषिद्ध संबंध में हो (धारा 5(iv))। Sapinda संबंध में हो (धारा 5(v))। व्याख्या: शून्य विवाह का अर्थ है कि विवाह का कोई वैधानिक अस्तित्व नहीं है। इसे अदालत द्वारा शून्य घोषित करने की आवश्यकता नहीं होती। 2. हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13B के तहत आपसी सहमति से तलाक के लिए कितना समय आवश्यक है? उत्तर: 6 महीने का समय व्याख्या: धारा 13B के तहत, पति-पत्नी को तलाक के लिए आपसी सहमति से याचिका दायर करनी होती है। 6 महीने का cooling-off perio...