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बिना हानि के क्षति(Injuria Sine Damnum) बिना हानि के क्षति का तात्पर्य है कि हालाँकि वादी को क्षति (विधिक क्षति) हुई है, अर्थात् उसमें निहित किसी विधिक अधिकार का अतिलंघन हुआ है किन्तु उसको चाहे कोई हानि कारित न हुई हो, वह फिर भी प्रतिवादी के विरुद्ध वाद ला सकता है। अधिकारों को दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है- विरुद्ध अधिकार (Absolute rights) एवं विशेषित अंधिकार (Qualified rights)। 'विरुद्ध अधिकार' ऐसे अधिकार हैं जिनका अतिलंघन मात्र ही अपने आप में वाद-योग्य है। इसमें वादी को यह साबित करने की आवश्यकता नहीं पड़ती कि उसे किसी प्रकार की हानि हुई है। 'बिना हानि के क्षति' सूत्र के अन्तर्गत ऐसे मामले आते हैं। इस सूत्र का सामान्य उदाहरण "अतिचार" का अपकृत्य है। ' विशेषित अधिकार' का अतिलंघन स्वयं अपने आप में वाद योग्य नहीं होता है। यह केवल तभी वाद योग्य होता है जब यह साबित कर दिया जाये कि वादी को वास्तविक हानि हुई है। ऐशबी बनाम हाइट का वाद "बिना हानि के क्षति" सूत्र का स्पष्टीकरण करता है। इस वाद में हालाँकि प्रतिवादी के कार्य से वादी को कोई क्षति