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विदेशों में भारतीय कानून: IPC, UAPA, और अंतरराष्ट्रीय संधियों के तहत भारतीय अधिकार क्षेत्र की समझ

अपराधों के रोकथाम में पुलिस की क्या भूमिका होती है? पुलिस की भूमिका और उससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण केस ला को बताओ।

अपराधों की रोकथाम में पुलिस की भूमिका :→  एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण समाज का निर्माण हर देश का प्रमुख लक्ष्य है होता है। इस लक्ष्य, की प्राप्ति में पुलिस की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है। सम्पूर्ण पुलिस संगठन का उद्देश्य समाज में शान्ति और व्यवस्था बनाये रखना है तथा देश की नियमित दण्ड संहिता को प्रवर्तित करना है, पुलिस प्रशासन ही एक ऐसी मशीनरी है जिसकी दक्षता और कुशलता से एक ओर प्रशासन में सक्रियता और चुस्ती रहती है और दूसरी ओर समाज में अपराधों की कमी होती है, और समाज में शान्ति और व्यवस्था कायम रहती है। इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिये प्रत्येक देश की विधि व्यवस्था में पुलिस को विस्तृत शक्तियां प्राप्त होती हैं। पुलिस शक्तियों का इस सन्दर्भ में  दी गयी कुछ महत्त्वपूर्ण शक्तियों पर आज हम विचार करेंगे और इन शक्तियों का उपयोग किस हद तक पुलिस द्वारा सही तरीके से किया जा रहा है इस पर हम आगे चर्चा करेंगें।   पुलिस की प्रमुख भूमिकायें: → [1] कानून का पालन सुनिश्चित करना: →   पुलिस का प्राथमिक कार्य या कर्तव्य कानून का पालन सुनिश्चित करना है। वे समाज में शान्ति और व्यवस्था बनाये

सफेदपोश अपराध क्या होता है ?इसको सदरलैंड ने कैसे अपनी भाषा में परिभाषित किया है . कुछ उदाहरण देकर समझाओ?

सफेद पोश अपराध [white collar crime ] एक ऐसा अपराध है जो आमतौर पर शिक्षित, पेशेवर लोगों द्वारा किया जाता है । ये अपराध अक्सर धोखा-धड़ी , गबन, या भ्रष्टाचार से जुड़े होते हैं। इन अपराधों में शारीरिक बल का उपयोग कम होता है। बल्कि धोखे और छल का उपयोग किया जाता है।        white collar crime वह अपराध है जिसे आमतौर पर समाज के उच्च वर्ग के लोग करते हैं। विशेष रूप से वे लोग जो पेशेवर, प्रबंधकीय या अन्य उच्च पदों पर होते है। इस प्रकार के अपराधों में शारीरिक हिंसा का प्रयोग नहीं किया जाता, बल्कि ये आर्थिक लाभ के उद्देश्य से किये जाते हैं। white collar crime का सम्बन्ध धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार, और वित्तीय अपराधों से होता है। इस प्रकार के अपराध समाज के नैतिक और आर्थिक ढांचे को नुकसान पहुंचाते हैं और कानून व्यवस्था को चुनौती देते हैं  ।          सफेदपोश अपराध की अवधारणा सर्वप्रथम सदरलैण्ड द्वारा सन् 1941 में पेश की गयी। उन्होंने इसे परिभाषित करते हुए कहा कि समाज के सम्माननीय तथा प्रतिष्ठित प्रास्थिति के व्यक्तियों द्वारा उनके द्वारा उनके व्यवसाय के दौरान किये गये अपराधों को सफेदपोश अपराध कहा

cesare lombroso theory of crime क्या है?विस्तार से बताओ। तथा लोम्ब्रोसी theory की आलोचना क्यों की जाती है।

Cesare Lomboroso एक इतालवी चिकित्सक और अपराधशास्त्री थे। लोम्ब्रोसो को Positive विचारधारा का प्रमुख प्रवर्तक कहते हैं। Lomboroso इटली की थल सेना में एक डाक्टर के रूप में कार्यरत थे। लोम्बोसो 19वीं शताब्दी में अपराध के कारणों का अध्ययन करने वाले अग्रणी थे। उन्होंने लोगों की शारीरिक बनावट तथा उनकी विशेषताओं का अध्ययन किया । उन्होंने सर्वप्रथम यह प्रतिपादित किया कि व्यक्ति की शारीरिक बनावट ही अपराध का प्रमुख कारण है। जिसमें उन्होंने दावा किया कि कुछ लोग जन्मजात रुप से अपराधी होने के लिये प्रवृत होते हैं।   According to Lombaroso अपराधी जन्मजात होते हैं, वे बनते नहीं है। यह अपराधी जन्म से - बनावट में विशेष प्रकार के होते हैं। उनके इस -Theory को आतविक अपराधी [ Born criminal] सिद्धांत  के नाम से भी जाना जाता है। लोम्ब्रोसो का मानना था कि अपराधियों के शारीरिक और मानसिक गुणधर्म उनके आपराधिक व्यवहार को निर्धारित करते हैं।   Intraduction! Cesare Lomboroso का जन्म 1835 में इटली में हुआ था। उन्होने.. चिकित्सा की पढ़ाई की और बाद में अपराध विज्ञान में गहरी रुचि विकसित की । उनका प्रमुख क

अपराध शास्त्र के सम्प्रदायों के बारे में आलोचनात्मक विवेचना कीजिए?

अपराध शास्त्र एक व्यापक और बहु-विषयक क्षेत्र है जो अपराध, अपराधियों, और न्यायिक प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है। इस क्षेत्र में विभिन्न सम्प्रदाय और दृष्टिकोण हैं जो अपराध के विभिन्न पहलुओं को समझने और उनका विश्लेषण करने का प्रयास करते हैं। प्रमुख सम्प्रदाय निम्नलिखित हैं:-→  1.शास्त्रीय सम्प्रदाय (Classical School):-→   शास्त्रीय सम्प्रदाय का उदय 18वीं शताब्दी में हुआ और इसके प्रमुख विचारक सेसर बेक्कारिया और जेरेमी बेंथम थे। इस सम्प्रदाय का मानना है कि अपराध एक स्वेच्छापूर्ण क्रिया है और अपराधियों को उनकी पसंद के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। इस दृष्टिकोण के अनुसार, कानून को स्पष्ट और निष्पक्ष होना चाहिए और दंड को अपराध के अनुपात में होना चाहिए ताकि यह अपराधियों को पुनः अपराध करने से रोक सके।    (2. )सकारात्मक सम्प्रदाय (Positivist School):→  सकारात्मक सम्प्रदाय 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में उभरा और इसके प्रमुख विचारक सीज़र लोम्ब्रोसो, एनरिको फेर्री, और रैफेल गारोफालो थे। इस सम्प्रदाय का मानना है कि अपराध एक सामाजिक, जैविक, और मनोवैज्ञानिक कारकों के संयोजन का परिणाम है। लोम्ब्रोसो न