Skip to main content

बलात्कार के मुकदमों में बचाव पक्ष की रणनीति: दोषमुक्ति के लिए वकील कैसे करता है सवाल

cesare lombroso theory of crime क्या है?विस्तार से बताओ। तथा लोम्ब्रोसी theory की आलोचना क्यों की जाती है।

Cesare Lomboroso एक इतालवी चिकित्सक और अपराधशास्त्री थे। लोम्ब्रोसो को Positive विचारधारा का प्रमुख प्रवर्तक कहते हैं। Lomboroso इटली की थल सेना में एक डाक्टर के रूप में कार्यरत थे। लोम्बोसो 19वीं शताब्दी में अपराध के कारणों का अध्ययन करने वाले अग्रणी थे। उन्होंने लोगों की शारीरिक बनावट तथा उनकी विशेषताओं का अध्ययन किया । उन्होंने सर्वप्रथम यह प्रतिपादित किया कि व्यक्ति की शारीरिक बनावट ही अपराध का प्रमुख कारण है। जिसमें उन्होंने दावा किया कि कुछ लोग जन्मजात रुप से अपराधी होने के लिये प्रवृत होते हैं।


  According to Lombaroso अपराधी जन्मजात होते हैं, वे बनते नहीं है। यह अपराधी जन्म से - बनावट में विशेष प्रकार के होते हैं। उनके इस -Theory को आतविक अपराधी [ Born criminal] सिद्धांत  के नाम से भी जाना जाता है। लोम्ब्रोसो का मानना था कि अपराधियों के शारीरिक और मानसिक गुणधर्म उनके आपराधिक व्यवहार को निर्धारित करते हैं।



  Intraduction! Cesare Lomboroso का जन्म 1835 में इटली में हुआ था। उन्होने.. चिकित्सा की पढ़ाई की और बाद में अपराध विज्ञान में गहरी रुचि विकसित की । उनका प्रमुख कार्य ल उमो डेलिनक्वेंटै" [LUomo Delinquente ] 1876 में प्रकाशित हुआ जिसमें उन्होंने अपने सिद्धान्तों को विस्तार से प्रस्तुत किया है।



Theory of Lomboroso:→

 [1] जैविक निर्धारण :→ लोम्बोसो ने दावा किया कि अपराधियों की कुछ जैविक विशेषतायें होती हैं जो उन्हें सामान्य व्यक्तियों से अलग बनाती हैं। उन्होंने विभिन्न शारीरिक लक्षणों जैसे सिर का आकार, चेहरे की बनावट, कान, नाक और जबडे की संरचना का अध्ययन किया और निष्कर्ष निकाला कि अपराधी व्यक्तियों के ये लक्षण आदिम [प्रिमिटिव ] मानवों की तरह होते हैं। 


[2]  आतविक अपराधी: →Lomboroso ने अपराधियों को आतविक अपराधी [atavistic criminal] कहा, जिसका मतलब था कि ये लोग आदिम इंसानों के गुणों को धारण करते हैं। उनके अनुसार ये लोग जैविक रूप से अपराध करने के लिये प्रवृत्त होते हैं और समाज के नैतिक और कानूनी मानकों का पालन करने में असमर्थ होते हैं।


 [3] अपराधी के प्रकार: → Lomboroso ने प्रतिपादिक किया कि अपराधी जन्मजात होते हैं, वे बनते नहीं है। यह अपराधी जन्म से बनावट में विशेष प्रकार के होते हैं। अपराधियों की इन शारीरिक विशेषताओं के कारण उन्हें पहचाना जा सकता है।


                          लोम्बोसे ने अपराधियों को विभिन्न प्रकारों में विभाजित किया:-

 • आतविक अपराधी' [Born criminals]:→ लोम्ब्रोसो का विश्वास था कि अपराध एक जैविक गुण है और कुछ व्यक्तियों में जन्मजात रूप से अपराध करने की प्रवृत्ति होती है। उन्होंने दावा किया कि अपराधी जन्मजात रूप से अलग होते हैं और इन्हें उन‌की शारीरिक विशेषताओं से पहचाना जा सकता है। लोम्ब्रोसी ने इन शारीरिक विशेषताओं को स्टिंगमाटा कहा जिसमें शामिल है:-→


[1] खोपडी [cranium]:-→ लोम्ब्रोसो के अनुसार अपराधियों की खोपड़ी विषम होती है। उनके अनुसार खोपड़ी -

[a] गुम्बज की तरह गोल उठी हुई,

 [b] छत की तरह दबी चौडी

 [c] जहाज की पैंदी की तरह

 [d] एक तरफ दोनों तरफ आगे से या पीछे उठी हुई।

 [2] निचला जबडा [Lower Jaw] :→ अपराधियों का निचला जबडा नीचे की ओर लम्बा बढा हुआ या अन्दर की ओर दबा हुआ होता है।

 [3] नाक [ Nose]:→ अपराधियों की नाक दोषपूर्ण होती है तथा नाक का अस्थि पंजर दबा हुआ होता है।

 [4] दाढी [Beard]:→ अपराधियों की दाढी छिटकी हुई या अपर्याप्त होती है। 

[5] असंवेदनशीलता [Insensitivity)! →अपराधी दण्ड के प्रति असंवेदनशील होता है।

 [6]  मस्तिष्क [Head]: →अपराधियों के मस्तक. का आकार तथा मात्रा अनियमित होता है, यह तिकोना या बैल के मस्तक की तरह हो सकता है।

 [7] कान [Ear]:→ अपराधियों के कान लम्बे तथा मोटे होते हैं।

 [8] दाँत [Teeth):→ अपराधियों के दाँत अविकशित होते हैं तथा अक्ल दाद अनुपस्थित होती है। 

[9] भौहें [ Eyebrows]:→ अपराधियों की भौहें नशे की तरह चढ़ी होती है। उनकी आंखों में बाल कम. होते हैं।

     लोम्ब्रोसो के अनुसार उपर्युक्त विशेषतायें । स्वंय अपराध नहीं करती बल्कि अपराधी व्यक्ति की पहचान बताती है। ये लक्षण वंशानुगत होते हैं। लोम्ब्रोसो के अनुसार जिन व्यक्तियों में ये सभी शारीरिक विशेषतायें पायी जाती हैं वे स्वंय को अपराध करने से रोक नहीं सकते।


                           Classification of criminal According to Lombroso-:


 Lombroso divided 3 types of criminals-:

. [a] जन्मजात अपराधी [ Atavists)

 [b] मानसिक विकृति से पीडित अपराधी [Insanse Criminals

 [c]] क्रिमिनाइडस [criminoids]


               Lombroso के सिद्धांत को वैज्ञानिक समुदाय द्वारा बड़े पैमाने पर खारिज कर दिया गया है। उनके तरीकों को अवैज्ञानिक माना जाता है। और उनके निष्कर्षों का समर्थन करने के लिये कोई सबूत नहीं है। हालांकि Lombroso के काम ने क्रिमिनोलॉजी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने अपराध के कारणों का अध्ययन करने के लिये वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाने में मदद की और उनके काम ने बाद में criminologists को प्रेरित किया । 


Importance of Lomboroso:→ इस प्रकार लोम्बोसो ने मानव स्वभाव के जैविक स्वरूप पर विचार किये जाने की आवश्यकता पर जोर दिया तथा (अपराधशास्त्रियों का ध्यान वातावरण तथा अपराधिक कारणों के बीच सम्बन्धों की ओर आकृष्ट किया। लोम्बोसो ने अपने जीवन के अन्तिम दिनों में अपना ध्यान जन्मजात अपराधी का सिद्धान्त के किया तथा वस्तुनिष्ट दृष्टिकोण अपनाया। वर्तमान में लोम्ब्रोसी के इस विचार का कोई महत्व नहीं रहा है लेकिन फिर भी लोम्ब्रोसो पहले अपराध शास्त्री थे जिन्होंने अपराध को अपराधी से जोड़ा अतः उन्हें (अपराध शास्त्र का पिता Ifather of criminology] कहते हैं।



                                        Atavism सिद्धान्त की आलोचनायें:


 • वैज्ञानिक अशुद्धता : → Lombroso के तरीकों को अवैज्ञानिक माना जाता है।उन्होने अपने निष्कर्षों का समर्थन करने के लिये पर्याप्त data एकत्र नहीं किया और उन्होने अपने अध्ययनों में पूर्वाग्रहु का उपयोग किया। 


 • नस्लीय और सामाजिक पूर्वाग्रह:→ Lombroso • के सिद्धान्त नस्लीय और सामाजिक पूर्वाग्रहों पर आधारित थे। उन्होने दावा किया कि कुछ नस्लें और सामाजिक वर्ग दूसरों की तुलना में अधिक • अपराधी होने की संभावना रखते हैं। लेकिन उनके दावे का समर्थन करने के लिये कोई साबूत नहीं है।


 • व्यक्तिगत जिम्मेदारी का अभावः→ Lombroso का सिद्धान्त व्यक्तिगत जिम्मेदारी की अवधारणा को नकारता है। उनका मानना था कि अपराधी जन्म से से ही अपराधी प्रवृत्ति का होता है। 


                  Cesare Lombroso के Atavism सिद्धान्त के -प्रमुख आलोचक और उनके मतः


                                                         [1] Enrico ferri 

• Ferri एक इतावली समाजशास्त्री और क्रिमिनोलॉजिस्ट थे, जिन्होंने Lombroso के काम का कड़ा विरोध किया। उनका मानना था कि अपराध सामाजिक और आर्थिक कारकों का परिणाम था, न कि जैविक कारकों का। ferri ने lombroso के तरीकों को अवैज्ञानिक और उनके निष्कर्षों को पक्षपाती बताया।


[2] Raffaele Garofalo: 


• Garofalo, एक इतालवी न्यायविद और क्रिमिनोलॉजिस्ट थे। जिन्होंने Lombroso के सिद्धान्त की भी आलोचना की। उनका मानना था अपराध एक नैतिक समस्या थी। न कि जैविक समस्या। Garofalo नें Lombroso के जन्मजात अपराधी के विचार को खारिज कर दिया और तर्क दिया कि अपराध केवल उन लोगों द्वारा किया जाता है जिनमें नैतिक भावना का अभाव होता है। 


[3] Scipio Sighele →में एक इतालवी मनोवैज्ञानिक और क्रिमिनोलॉजिस्ट थे, जिन्होंने Lombroso a Atavism के सिद्धान्त पर सवाल उठाये। उनका मानना था कि अपराध सामाजिक मनोवैज्ञानिक कारकों का परिणाम था न कि जैविक कारकों का । Sighele ने तर्क दिया कि अपराधी अक्सर भीड़ के या समूह के प्रभाव से प्रेरित होते है न कि उनकी जन्मजात प्रवृत्तियों से।


 [4] Emile Durkheim: •→   Durkheim, एक फ्रांसीसी समाजशास्त्री थे। जिन्होंने Lomboros के सिद्धान्त की आलोचना करते हुये तर्क दिया कि अपराध एक सामाजिक रुप से निर्मित घटना थी। उन्होने तर्क दिया कि अपराध दर सामाजिक एकीकरण के स्तर से संबन्धित थी न कि व्यक्तियों की जैविक विशेषताओं से। Durkheim ने Lombroso के जन्मजात अपराधी के विचार खारिज कर दिया और तर्क दिया कि अपराध किसी भी व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है यदि वे सही सामाजिक परिस्थितियों में है।


 [5] Harold Goddard:→


 • Goddard एक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक थे। जिन्होंने Lombroso के सिद्धान्त कर उपयोग करके अपराध और बुद्धिमत्ता के बीच संबन्ध साबित करने का प्रयास किया है। Goddard के अध्ययनों को व्यापक रूप से त्रुटिपूर्ण और पक्षपाती माना जाता है और उन्हें नस्लवादी' और यूजीनिक्स विचारों को बढ़ावा देने के लिये आलोचना की गयी है। 


इन आलोचकों के योगदान ने Lombroso के Atavism सिद्धान्त को कमजोर करने और अपराध के कारणों की हमारी समझ को बेहतर बनाने में मदद की।


       आज अपराध को समझने के लिये .. जैविक कारकों के अलावा सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और आर्थिक कारकों पर भी विचार किया जाता है।


 निष्कर्ष :→ सिजर लोम्ब्रोसो ने अपराध विज्ञान में जो - योगदान दिया वह अद्वितीय है। उन्होने अपराधियों के अध्ययन के लिये एक नया मार्ग प्रशस्त किया जोकि जैविक और शारीरिक विशेषताओं पर आधारित था। उनके सिद्धान्त ने न केवल अपराधियों के अध्ययन में वैज्ञानिकता को बढ़ावा दिया, बल्कि कानून और सामाजिक दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाये।


Comments

Popular posts from this blog

असामी कौन है ?असामी के क्या अधिकार है और दायित्व who is Asami ?discuss the right and liabilities of Assami

अधिनियम की नवीन व्यवस्था के अनुसार आसामी तीसरे प्रकार की भूधृति है। जोतदारो की यह तुच्छ किस्म है।आसामी का भूमि पर अधिकार वंशानुगत   होता है ।उसका हक ना तो स्थाई है और ना संकृम्य ।निम्नलिखित  व्यक्ति अधिनियम के अंतर्गत आसामी हो गए (1)सीर या खुदकाश्त भूमि का गुजारेदार  (2)ठेकेदार  की निजी जोत मे सीर या खुदकाश्त  भूमि  (3) जमींदार  की बाग भूमि का गैरदखीलकार काश्तकार  (4)बाग भूमि का का शिकमी कास्तकार  (5)काशतकार भोग बंधकी  (6) पृत्येक व्यक्ति इस अधिनियम के उपबंध के अनुसार भूमिधर या सीरदार के द्वारा जोत में शामिल भूमि के ठेकेदार के रूप में ग्रहण किया जाएगा।           वास्तव में राज्य में सबसे कम भूमि आसामी जोतदार के पास है उनकी संख्या भी नगण्य है आसामी या तो वे लोग हैं जिनका दाखिला द्वारा उस भूमि पर किया गया है जिस पर असंक्रम्य अधिकार वाले भूमिधरी अधिकार प्राप्त नहीं हो सकते हैं अथवा वे लोग हैं जिन्हें अधिनियम के अनुसार भूमिधर ने अपनी जोत गत भूमि लगान पर उठा दिए इस प्रकार कोई व्यक्ति या तो अक्षम भूमिधर का आसामी होता है या ग्राम पंचायत का ग्राम सभा या राज्य सरकार द्वारा पट्टे पर दी जाने वाली

वाद -पत्र क्या होता है ? वाद पत्र कितने प्रकार के होते हैं ।(what do you understand by a plaint? Defines its essential elements .)

वाद -पत्र किसी दावे का बयान होता है जो वादी द्वारा लिखित रूप से संबंधित न्यायालय में पेश किया जाता है जिसमें वह अपने वाद कारण और समस्त आवश्यक बातों का विवरण देता है ।  यह वादी के दावे का ऐसा कथन होता है जिसके आधार पर वह न्यायालय से अनुतोष(Relief ) की माँग करता है ।   प्रत्येक वाद का प्रारम्भ वाद - पत्र के न्यायालय में दाखिल करने से होता है तथा यह वाद सर्वप्रथम अभिवचन ( Pleading ) होता है । वाद - पत्र के निम्नलिखित तीन मुख्य भाग होते हैं ,  भाग 1 -    वाद- पत्र का शीर्षक और पक्षों के नाम ( Heading and Names of th parties ) ;  भाग 2-      वाद - पत्र का शरीर ( Body of Plaint ) ;  भाग 3 –    दावा किया गया अनुतोष ( Relief Claimed ) ।  भाग 1 -  वाद - पत्र का शीर्षक और नाम ( Heading and Names of the Plaint ) वाद - पत्र का सबसे मुख्य भाग उसका शीर्षक होता है जिसके अन्तर्गत उस न्यायालय का नाम दिया जाता है जिसमें वह वाद दायर किया जाता है ; जैसे- " न्यायालय सिविल जज , (जिला) । " यह पहली लाइन में ही लिखा जाता है । वाद - पत्र में न्यायालय के पीठासीन अधिकारी का नाम लिखना आवश्यक

मान्यता से क्या अभिप्राय है?मान्यता से सम्बन्धित विभिन्न सिद्धातों का संक्षेप में उल्लेख करो।what do you mean by Recognition ?

मान्यता शब्द की परिभाषा तथा अर्थ:- मान्यता एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा नए राज्य को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सदस्य के रूप में स्वीकार किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय पटल पर जब किसी नये राज्य का उदय होता है तो ऐसा राज्य तब तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय का सदस्य नहीं हो सकता जब तक कि अन्य राष्ट्र उसे मान्यता प्रदान ना कर दें। कोई नया राष्ट्र दूसरे राष्ट्रों द्वारा मान्यता प्राप्त होने पर ही अंतर्राष्ट्रीय व्यक्तित्व प्राप्त करता है। प्रोफेसर स्वार्जनबर्जर(C.Schwarzenberger) के अनुसार मान्यता को अंतर्राष्ट्रीय विधि को विकसित करती हुई उस प्रक्रिया द्वारा अच्छी तरह समझा जा सकता है जिसके द्वारा राज्यों ने एक दूसरे को नकारात्मक सार्वभौमिकता को स्वीकार कर लिया है और सहमति के आधार पर वह अपने कानूनी संबंधों को बढ़ाने को तैयार है। अतः सामान्य शब्दों में मान्यता का अर्थ अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा किसी नए राज्य को एक सदस्य के रूप में स्वीकार या सत्ता में परिवर्तन को स्वीकार करना है।       प्रोफ़ेसर ओपेनहाइम के अनुसार" किसी नये राज्य को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सदस्य के रूप में मान्यता प्