Skip to main content

Posts

Showing posts from July, 2022

अपराध शास्त्र के सम्प्रदायों के बारे में आलोचनात्मक विवेचना कीजिए?

इला ' और ' जिहार ' क्या होता हैं ? इनके आवश्यक तत्वों का उल्लेख कीजिए । What do you mean by ' Illa ' and ' Zihar ? Discuss the essential ingredients of these two .

  इला ( Illa ) –'इला ' का अर्थ है " जब कोई पति जिसने वयस्कता प्राप्त कर ली है और स्वस्थ चित्त हो , खुदा की कसम ( शपथ ) खा कर कहे कि वह चार महीने या उससे अधिक समय तक या किसी अनिश्चित समय तक अपनी पत्नी से सम्भोग नहीं करेगा तो उसको ' इला ' करना कहा जाता है । " इस प्रकार यदि कोई पति अपनी पत्नी से कहे कि " मैं खुदा की कसम खा कर कहता हूँ कि मैं तुम्हारे पास नहीं जाऊंगा " तो वह " मान्य इला " है ।  Illa – 'Illa' means "when a husband who has attained majority and is of sound mind, swears by God that he will marry her for four months or more or for an indefinite period".  If he does not have sex with his wife, then it is called 'Ila'." Thus, if a husband says to his wife that "I swear by God that I will not go near you" then it is "valid Ila".   जब पति ' इला ' करने के बाद चार माह तक अपनी पत्नी से सम्भोग नहीं करता तो विवाह - विच्छेद हो जाता है और उसके वह विभिन्न परिणाम होते हैं ज

मुस्लिम विधि में पति पत्नि अपनी आपसी सहमती से किस प्रकार से तलाक ले सकते हैं? जिसमें पति और पत्नि को तलाक के बाद ज्यादा रकम न अदा करनी पडे।

          इस्लाम धर्म से पूर्व एक मुसलमान स्त्री को ये अधिकार नहीं था कि वह अपने से तलाक ले - ले परन्तु कुरान में पहली बार वह पत्नी को यह अधिकार प्राप्त हुआ कि वह अपने पति से तलाक ले ले । फतवा - ए - आलमगिरी में यह कहा गया है जब विवाह के पक्षकार राजी हो और इस प्रकार की आशंका हो कि उनका आपस में रहना सम्भव नहीं है तो पत्नी फलस्वरूप पति को कुछ धन वापिस करके स्वयं को उसके बन्धन से मुक्त कर सकती है । ऐसा तलाक निम्न प्रकार से हो सकता है  ( 1 ) खुला ( Khula ) , तथा  ( 2 ) मुबारत ( Mubrat ) |  ( 1 ) खुला ( Khula ) - खुला का शाब्दिक अर्थ है - हटाना , उतारना या खोलना । किन्तु विधि में इसका अर्थ होता है - पति द्वारा पत्नी पर अपने अधिकार और प्रभुत्व को किसी धन के बदले में छोड़ देना । पति पत्नी के मध्य जब कभी भी वैमनस्यता ( enmity ) हो जाय और उन्हें इस डर की आशंका हो कि वे उन कर्त्तव्यों को पूर्णरूप से नहीं कर पायेंगे जिनको कि उन्हें ईश्वरीय आदेश के अनुसार करना चाहिए , तो पत्नी को चाहिए कि वह पति को धन देकर अपने को विवाह बन्धन से मुक्त कराले क्योंकि कुरान में कहा गया है कि “ यदि पत्नी क

Define Talaq ( Divorce ) . Explain the various modes of Talaq ( Divorce ) according to Muslim Law . मुस्लिम विधि में विवाह किन - किन रीतियों द्वारा विच्छेदित किया जा सकता है ? उन रीतियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए । What are the modes in which the marriage may be disolved under the Muslim Law ?

तलाक ( Talaq ) - अरबी में ' तलाक ' शब्द का अर्थ होता है - ' निराकरण करना ' या ' नामन्जूर करना ' । परन्तु मुस्लिम विधि के अन्तर्गत इसका अर्थ वैवाहिक बन्धन से मुक्त करना है । मोहम्मद साहब के एक कथन के अनुसार " खुदा ने जितनी भी वस्तुओं की स्वीकृति दी है इसमें अगर सबसे घृणित कोई वस्तु है तो वह तलाक । " इतने पर भी मुस्लिम विधि ने तलाक की स्वीकृति दी है और कुछ मामलों में आवश्यक भी माना है । तलाक के प्राविधान को मुस्लिम विधि स्वीकार करती है , परन्तु इसके उपयोग को दैवीयकोप की धमकी द्वारा वर्जित भी करती है । बैली महोदय का कहना है कि " पहले भी यह निषिद्ध था और अब भी इसे निन्दित कार्य समझा जाता है परन्तु तुलना में अधिक बुराइयों से बचने के लिए इसकी अनुमति दी गई है ।      " इस्लाम के पूर्व अरब देश में तलाक प्रथा बड़ी सामान्य थी । पति को तलाक देने का ऐसा व्यापक अधिकार प्राप्त था जिसका वह बिना बाधा के प्रयोग कर सकता था ।  काजी न्यूमन ( Kazi Numan ) ने तलाक के दुष्परिणाम के बारे में उदाहरण देते हुए लिखा था कि एक बार हजरत अली ने चार पत्नियों में

मुस्लिम विधि मे पत्नि के भरण-पोषण करने के कौन कौन से अधिकार हैं?

  मुस्लिम विधि में पत्नी के भरण - पोषण करने के अधिकार ( the right of Maintenance of muslim wife according to the muslim law):   पत्नी के भरण - पोषण का अधिकार - मुस्लिम विधि के अनुसार पत्नी निम्न प्रकार  से भरण-पोषण की अधिकारिणी है:-   ( 1 ) स्वीय विधि के अधीन ,  ( 2 ) करार के अधीन ,  ( 3 ) दण्ड प्रकिया संहिता  1973 के अधीन ।  ( 1 ) स्वीय विधि के अधीन ( क ) विवाह के दौरान - मुस्लिम विधि में पति के ऊपर पूर्ण  दायित्व डाला गया है कि वह अपनी पत्नी का भरण - पोषण करे , पत्नी चाहे कितनी ही क्यों न हो । पति का पत्नी को भरण - पोषण का दायित्व उस समय प्रारम्भ होता है जबकि पत्नि   यौवनावस्था  को प्राप्त हो जाती है , इसके पहले नहीं  ।पत्नी पति से भरण - पोषण पाने की  अधिकारिणी है , भले ही वह सम्पन्न हो और पति गरीब । पत्नी चाहे मुस्लिम हो या गैर मुस्लिम या अमीर स्वस्थ हो या रोगी युवा हो या वृद्ध वह सभी अवस्थाओं में पति से भरण-पोषण  प्राप्त करने की हकदार है । पति उसे भरण - पोषण का करार न होने पर भी भरण - पोषण का अधिकार निरपेक्ष है । अपने को - पोषण पत्नी के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वह अपना एक पैसा खर्च

मुस्लिम कानून के अनुसार संरक्षकता कितने प्रकार के हो सकते हैं? या बच्चों का संरक्षक मुस्लिम विधि के अनुसार किन को नियुक्त किया जा सकता है? संरक्षकता की दृष्टि से माता का स्थान मुस्लिम कानून में क्या होता है?

  मुस्लिम विधि के अनुसार वैध संरक्षक उस व्यक्ति को कहते हैं जो किसी अवयस्क ( नाबालिग ) के शरीर या सम्पत्ति , या उसके शरीर और सम्पत्ति दोनों की देख - रेख करे या जो अवयस्क के विवाह संविदा करने की शक्ति रखता हो ।              संरक्षक और प्रतिपाल्य अधिनियम में संरक्षक शब्द की परिभाषा अवयस्क के शरीर या सम्पत्ति की देखभाल करने वाले व्यक्ति के रूप में की गई है । " संरक्षक " शब्द का किसी अवयस्क की अभिभावकता से है ।  मुस्लिम विधि के अनुसार संरक्षकता निम्न बातों के लिए होती है :- ( अ ) व्यक्ति ( Person ) ,  ( ब ) सम्पत्ति ( Property ) ,  ( स ) विवाह , ( Marriage ) - संरक्षक की नियुक्त ( Appointment of Guardian ) - जब न्यायालय को इस विषय में सन्तोष हो जाय कि किसी अवयस्क के शरीर या सम्पत्ति या दोनों के लिए किसी को संरक्षक नियुक्त करने या घोषित करने का आदेश उसके कल्याण के लिए होगा , तो वह तदनुसार आदेश पारित कर सकता है । किसी अवयस्क का संरक्षक नियुक्त करने या घोषित करने में न्यायालय संरक्षक और प्रतिपाल्य अधिनियम के उपबन्धों के अन्तर्गत उस विधि से सुसंगत अवयस्क जिसके अधीन हो तथा उसकी परिस

मुस्लिम विधवा स्त्री का भुगतान किए गए मेहर की धनराशि के बदले में मृतक पति की संपत्ति पर कब्जा रखने के अधिकार को उत्तराधिकार में प्राप्त किया जा सकता है या उसे बेचा जा सकता है?

  मुस्लिम विधि के अनुसार जिस मुस्लिम स्त्री का पति मेहर का भुगतान करने से पूर्व मर जाता है तो ऐसी स्त्री ( विधवा ) मृत व्यक्ति की सम्पत्ति पर कब्जा कर सकती है । ऐसा कब्जा उस समय तक रहेगा जब तक कि उक्त मुस्लिम विधवा के मेहर की धनराशि का भुगतान न हो जाये ।              अतः यदि किसी मामले ' में पत्नी ने कानूनी ढंग से बिना किसी धोखे या दबाव के अपने मेहर का भुगतान न होने के कारण अपने मृत पति की सम्पत्ति पर अधिकार कर लिया है तो वह उसको उत्तराधिकारियों और अन्य महाजनों ( creditors ) के बिना जारी रखने की अधिकारिणी है , परन्तु पत्नी ( विधवा ) के अधिकार किन्हीं दूसरे असुरक्षित महाजनों ( unsecured creditors ) से अधिक नहीं होते । अतः वह उस सम्पत्ति से अन्य उत्तराधिकारी और महाजनों को निष्कासित नहीं कर सकती । वे सब उसके साथ संयुक्त अधिकारी होते हैं । इसी अधिकार को ग्रहणाधिकार या सम्पत्ति में स्वत्व ( Licn in property ) कहा जाता है । इस अधिकार को कानून की दृष्टि से पक्का नहीं कहा जा सकता ।           पत्नी द्वारा अपने मृत पति की सम्पत्ति पर स्वत्व बनाये रखने का कब्जा ग्रहण किये रखने के

मेहर क्या होती है? यह कितने प्रकार की होती है. मेहर का भुगतान न किये जाने पर पत्नी को क्या अधिकार प्राप्त है?What is mercy? How many types are there? What are the rights of the wife if dowry is not paid?

मेहर ( Dowry ) - ' मेहर ' वह धनराशि है जो एक मुस्लिम पत्नी अपने पति से विवाह के प्रतिफलस्वरूप पाने की अधिकारिणी है । मुस्लिम समाज में मेहर की प्रथा इस्लाम पूर्व से चली आ रही है । इस्लाम पूर्व अरब - समाज में स्त्री - पुरुष के बीच कई प्रकार के यौन सम्बन्ध प्रचलित थे । ‘ बीना ढंग ' के विवाह में पुरुष - स्त्री के घर जाया करता था किन्तु उसे अपने घर नहीं लाता था । वह स्त्री उसको ' सदीक ' अर्थात् सखी ( Girl friend ) कही जाती थी और ऐसी स्त्री को पुरुष द्वारा जो उपहार दिया जाता था वह ' सदका ' कहा जाता था किन्तु ' बाल विवाह ' में यह उपहार पत्नी के माता - पिता को कन्या के वियोग में प्रतिकार के रूप में दिया जाता था तथा इसे ' मेहर ' कहते थे । वास्तव में मुस्लिम विवाह में मेहर वह धनराशि है जो पति - पत्नी को इसलिए देता है कि उसे पत्नी के शरीर के उपभोग का एकाधिकार प्राप्त हो जाये मेहर निःसन्देह पत्नी के शरीर का पति द्वारा अकेले उपभोग का प्रतिकूल स्वरूप समझा जाता है तथापि पत्नी के प्रति सम्मान का प्रतीक मुस्लिम विधि द्वारा आरोपित पति के ऊपर यह एक दायित्व है