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क्या कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा हैं तो क्या वह दूसरी शादी धर्म बदल कर कर सकता है?If a person is already married, can he change his religion and marry again?

मुस्लिम विधि में पति पत्नि अपनी आपसी सहमती से किस प्रकार से तलाक ले सकते हैं? जिसमें पति और पत्नि को तलाक के बाद ज्यादा रकम न अदा करनी पडे।

          इस्लाम धर्म से पूर्व एक मुसलमान स्त्री को ये अधिकार नहीं था कि वह अपने से तलाक ले - ले परन्तु कुरान में पहली बार वह पत्नी को यह अधिकार प्राप्त हुआ कि वह अपने पति से तलाक ले ले । फतवा - ए - आलमगिरी में यह कहा गया है जब विवाह के पक्षकार राजी हो और इस प्रकार की आशंका हो कि उनका आपस में रहना सम्भव नहीं है तो पत्नी फलस्वरूप पति को कुछ धन वापिस करके स्वयं को उसके बन्धन से मुक्त कर सकती है । ऐसा तलाक निम्न प्रकार से हो सकता है 


( 1 ) खुला ( Khula ) , तथा 

( 2 ) मुबारत ( Mubrat ) | 

( 1 ) खुला ( Khula ) - खुला का शाब्दिक अर्थ है - हटाना , उतारना या खोलना । किन्तु विधि में इसका अर्थ होता है - पति द्वारा पत्नी पर अपने अधिकार और प्रभुत्व को किसी धन के बदले में छोड़ देना । पति पत्नी के मध्य जब कभी भी वैमनस्यता ( enmity ) हो जाय और उन्हें इस डर की आशंका हो कि वे उन कर्त्तव्यों को पूर्णरूप से नहीं कर पायेंगे जिनको कि उन्हें ईश्वरीय आदेश के अनुसार करना चाहिए , तो पत्नी को चाहिए कि वह पति को धन देकर अपने को विवाह बन्धन से मुक्त कराले क्योंकि कुरान में कहा गया है कि “ यदि पत्नी कुछ धन पति को देकर अपना पीछा छुड़ा ले इसमें पति या पत्नी पर कोई पाप नहीं है ।


      " अर्थात् विवाह बन्धन से मुक्ति पाने के लिए पत्नी यदि कुछ धन पति को दे तो उसे कोई पाप नहीं है और न ही पति पर ही कोई पाप है जो धंन लेकर उसके बदले में पत्नी को स्वतन्त्र करता है ।


मुन्शी बुजुल - उल - रहमान बनाम लतीफतुन्निसा ' के वाद में प्रिवी कौंसिल के मानवीय न्यायाधीशों ने ‘ खुला ' की उपयुक्त परिभाषा इस प्रकार की है


       " खुला के द्वारा तलाक पत्नी की सम्पत्ति और प्रेरणा से दिया गया एक ऐसा तलाक है , जिसमें विवाह बन्धन से अपने छुटकारों के लिए वह पति को कुछ प्रतिफल देती या देने की संविदा करती है । ऐसे मामले में पति और पत्नी आपस में करार करके शर्तें निश्चित कर सकते हैं और पत्नी , प्रतिफल के रूप में अपने मेहर को और अन्य अधिकारों को छोड़ सकती है अथवा पति के लाभ के लिए दूसरा करार कर सकती है । 


     " इस प्रकार खुला वस्तुतः पत्नी द्वारा पति से खरीदा गया तलाक का अधिकार है । जब ' खुला ' तलाक के फलस्वरूप पत्नी की ओर से धन के रूप में मुआवजा दिया जाता है और  पति उसे स्वीकार कर लेता है तो एक बार दिये गये अविखण्डनीय तलाक की भांति नहीं होता तुरन्त प्रभावी हो जाता है , और इसका कार्यान्वयन खुलानामा लिखे जाने तक निलम्बित नहीं होता ।

 खुला द्वारा तलाक दिये जाने के लिए निम्न आवश्यक तत्व है-

 ( 1 ) पति - पत्नी दोनो तलाक के लिए तैयार हो । 

( 2 ) पत्नी द्वारा पति को तलाक के बदले में कुछ धनराशि दी जाये । 

इस प्रकार की धनराशि निम्नलिखित रूपों में हो सकती है-

 ( अ ) मेहर की छूट ।

 ( ब ) किसी अन्य सम्पत्ति या अधिकार में छूट देकर 

          खुला में यदि पत्नी पति को तलाक के एवज में धनराशि नहीं देती तो उससे तलाक अमान्य नहीं होता । पति प्रतिदान के लिए वाद ( Suit ) दायर कर एक बार खुलानामा जारी होने  के बाद ऐसे तलाक को रद्द नहीं किया जा सकता है और वह अखण्डनीय  ( irrevocable )  हो जाता है।

खुला के लिए क्षमता ( Capacity for Khula ) - इस विषय में शिया तथा सुन्नी विधियों में अन्तर है । शिया विधि के अन्तर्गत मान्य तलाक देने के लिए जरूरी चारों शर्ते मान्य खुला के लिए भी अपेक्षित है अर्थात् पति को --

 ( 1 ) वयस्क ( बालिग 

( 2 ) स्वस्य - चित 

( आकिल ( 3 ) स्वइच्छा वाला ( मुख्तार होना और

 ( 4 ) आशय ( कस्द ) रखना जरूरी है । 

           सुन्नी विधि के अन्तर्गत केवल दो आवश्यक तत्व अपेक्षित है अर्थात् पति  का ( 1 ) वयस्क और स्वस्थ चित्त होना आवश्यक है । 

     मुबारत ( Mubarat ) मुबारत का शाब्दिक अर्थ है पारस्परिक छुटकारा  ।विधि में मुबारत का आशय है विवाह बन्धन से एक दूसरे की मुक्ति । यह भी पति - पत्नी की आपसी सहमति द्वारा किया गया विवाह विच्छेद है । इसमें विवाह विच्छेद या तलाक का प्रस्ताव पति - पत्नी या किसी भी पक्ष की ओर से किया जा सकता है । एक बार स्वीकृत हो जाने के बाद तलाक सम्पन्न माना जायेगा । इस प्रकार से तलाक में प्रतिफल ( Consideration ) का कोई प्रश्न नहीं होता ।

     मुबारत द्वारा तलाक का आधार पति - पत्नी की स्वतन्त्र सहमति होती है जिसके बारे में फतवा - ए - आलमगीरी ( Fatva - a - Alamgari ) में यह कहा गया है कि " जब विवाह के पक्षों में सहमति न हो और वे इस बात से आशंकित हो कि ये ईश्वरीय कानून द्वारा निर्धारित सीमाओं का पालन नहीं कर सकते तो पत्नी उस जीवन के दायित्वों को उन पर सौंपे  जाते हैं , पूरा न कर सकें तो पत्नी उस बन्धन से छुटकारा पाने के लिए अपनी सम्पत्ति में अपने पति को प्रतिफल के रूप में देती है । " 

     मुबारत से परस्पर एक - दूसरे को बन्धन मुक्त करने की ओर संकेत होता है । 

खुला और मुबारत में अन्तर ( Difference between Khula & Mubarat ) इन दोनों में निम्नलिखित अन्तर है 

( 1 ) खुला में विवाह - विच्छेद की प्रेरणा ( Initiative ) पत्नी की ओर से होती है , अर्थात यह प्रस्ताव करती है जिसे पति स्वीकार कर लेता है किन्तु मुबारत में विवाह - विच्छेद का प्रस्ताव पति - पत्नी में से किसी की भी ओर से हो सकता है और दूसरा स्वीकृति प्रदान कर सकता है । 

( 2 ) खुला की नींव पत्नी के द्वेष पर आधारित होती है । जब कोई पत्नी अपने पति से घृणा करने लगती है तो वह खुला तलाक के द्वारा उससे अलग हो सकती है जबकि मुबारत में पति - पत्नी का आपसी द्वेष तथा घृणा आधार है । जब पति - पत्नी आपस में एक दूसरे से घृणा करने लगे या उनमें द्वेष उत्पन्न हो जाए तो वे आपसी सहमति से तलाक ले सकते हैं ।


 ( 3 ) खुला में पति अपनी पत्नी से कोई भी धनराशि ले सकता है जबकि मुबारत में विवाह - विच्छेद के प्रतिफल में पति अपनी पत्नी से केवल उतना हो धन ले सकता है जितना कि उसने पत्नी को दिया था , इससे अधिक यदि पति लेता है तो वह अवैध है ।


 ( 4 ) शिया विधि के अन्तर्गत मुबारत द्वारा विवाह - विच्छेद में पति - पत्नी का सम्बन्ध समाप्त करने के लिए ' तलाक ' शब्द का उच्चारण आवश्यक है किन्तु खुला के सिलसिले में विधिशास्त्रियों के मत विभाजित हैं । 


     मुबारत के निष्पादन से पति - पत्नी एक दूसरे से विवाह बन्धन से मुक्त हो जाते हैं और एक दूसरे पक्षकार के प्रति कोई दावा शेष नहीं रहता है । जब पति अपनी पत्नी से कहता है , " तुम्हारे और मेरे मध्य हुए विवाह बन्धन से मैं उन्मुक्त हो गया हूँ । " और इस पर पत्नी अपनी सहमति प्रदान कर देती है तो इसका प्रभाव खुला की तरह है , अर्थात् दोनों की घोषणा के पश्चात् विवाह से सम्बन्धित एक दूसरे के दावे समाप्त हो जाते हैं । यह मत अबूहनीफा तथा अबूयुसूफ का है । 




 ( 1861 ) 8 एम . आई . ए . 379
    

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