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Showing posts from July, 2021

कानूनी नोटिस और नोटिस वापसी: प्रक्रिया, महत्व और चुनौतियाँ

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्य हेतु उत्तर प्रदेश जमीदारी उन्मूलन व भूमि सुधार अधिनियम में प्रावधान: The provisions under Up z a and l r act to protect the interest of member of caste and Scheduled tribe

अनुसूचित जाति का कोई भी भूमिधर अपनी जोतदार भूमि का विक्रय दान बंधन अथवा पट्टा अनुसूचित जाति के अलावा किसी भी व्यक्ति को नहीं कर सकता है.               कलेक्टर की पूर्व आज्ञा के अंतरण अनुसूचित जनजाति के अलावा किसी व्यक्ति को किया जा सकता है.                  अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के हितों की रक्षा हेतु उत्तर पृदेश  जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार अधिनियम में निम्न प्रावधान किए गए हैं.           ( 1) धारा 122 (ग) के अनुसार (according to Section 122( c) ): - जमीदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम की धारा 122 (ग) के अंतर्गत भूमि प्रबंधन समिति को परगनाधिकारी की पूर्व आज्ञा से अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों को मकान बनवाने के लिए भूमि का आवंटन किया जाता है अथवा अधिनियम के अनुसार अनुसूचित जाति एवं जनजाति के व्यक्तियों को मकान बनाने के लिए भूमि प्रदान की जाती है. ( 2) धारा 157 क के अनुसार (according to Section 157 a): - अनुसूचित जाति क...

असामी कौन है ?असामी के क्या अधिकार है और दायित्व who is Asami ?discuss the right and liabilities of Assami

अधिनियम की नवीन व्यवस्था के अनुसार आसामी तीसरे प्रकार की भूधृति है। जोतदारो की यह तुच्छ किस्म है।आसामी का भूमि पर अधिकार वंशानुगत   होता है ।उसका हक ना तो स्थाई है और ना संकृम्य ।निम्नलिखित  व्यक्ति अधिनियम के अंतर्गत आसामी हो गए (1)सीर या खुदकाश्त भूमि का गुजारेदार  (2)ठेकेदार  की निजी जोत मे सीर या खुदकाश्त  भूमि  (3) जमींदार  की बाग भूमि का गैरदखीलकार काश्तकार  (4)बाग भूमि का का शिकमी कास्तकार  (5)काशतकार भोग बंधकी  (6) पृत्येक व्यक्ति इस अधिनियम के उपबंध के अनुसार भूमिधर या सीरदार के द्वारा जोत में शामिल भूमि के ठेकेदार के रूप में ग्रहण किया जाएगा।           वास्तव में राज्य में सबसे कम भूमि आसामी जोतदार के पास है उनकी संख्या भी नगण्य है आसामी या तो वे लोग हैं जिनका दाखिला द्वारा उस भूमि पर किया गया है जिस पर असंक्रम्य अधिकार वाले भूमिधरी अधिकार प्राप्त नहीं हो सकते हैं अथवा वे लोग हैं जिन्हें अधिनियम के अनुसार भूमिधर ने अपनी जोत गत भूमि लगान पर उठा दिए इस प्रकार कोई व्यक्ति या तो अक्षम भूमिधर का आसामी होता ह...

कोई भूमिधर अपनी जोत को किसी व्यक्ति को किसी भी अवधि हेतु पट्टे पर नहीं दे सकता है. समीक्षा कीजिए तथा यदि अपवाद हो तो उनकी व्याख्या कीजिए?No bhumidhar can let out his holding to any person for any period whatever comments and discuss the exceptions if any

उत्तर प्रदेश जमीदारी उन्मूलन एवं भूमि व्यवस्था किसी भी भूमिधर के द्वारा अपनी ज्योत की भूमि को पट्टे पर उठाने पर प्रतिबंध लगाया गया है इस अधिनियम की धारा 150 में प्रावधान किया गया है इस ध अपने खेत की भूमि लगान पर किसी भी अवधि के लिए नहीं उठाएगा. (a) धारा 157 में व्यवस्थित दशाओं में (b) कृषि बागवानी या पशुपालन की शिक्षा से संबंध किसी स्वीकृत शिक्षा संस्थान को. धारा ( 2) के संबंध में पट्टा सजातीय पदों का वही अर्थ होगा जो संपत्ति अंतर नियम 1882 में शब्द लीज एवं उसके सजातीय पदों को दिया गया है.                 अधिनियम में यह प्रावधान के पीछे प्रमुख उद्देश्य है कि जमीदारी प्रथा या उसके जैसी कोई अन्य प्रथा पुनर्जीवित ना हो अधिनियम सिर्फ ऐसे भूमि धर्म को अपनी जोत वाली भूमि को पट्टे पर देने की अनुमति देता है जो किसी कारणवश स्वयं अपनी जोत वाली भूमि पर कृषि कार्य करने में सक्षम है ऐसी सक्षम व्यक्तियों की सूची धारा 157 में दी गई है इनके अलावा अपनी भूमि घरों के द्वारा अपनी ज्योत की भूमि का पट्टा किसी ऐसे संस्थान को दिए जाने की अनुमति अधिनियम में प्...

उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार अधिनियम के उद्देश्य: Object of the up zamindari abolition and land Reform Act

7 जुलाई 1949 को उत्तर प्रदेश जमीदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था विधेयक को विधानसभा में पेश करते हुए पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने कहा था कि इस विधेयक को उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति के कृषि अधिकारों को कायम करने का है चाहे वह जमीदार हो काश्तकार हो या सिकमी काश्तकार. विधेयक का मुख्य उद्देश्य उत्पादन को प्रोत्साहित करना उसके स्तर को बढ़ाना एवं जमीदारों को भी अपने लिए उत्पादन करने के लिए प्रेरित करना जिन्होंने अब तक दूसरों को शोषण किया है या दूसरों का श्रम पर आश्रित रहे हैं.             10 जून में 1949 को सरकारी गजट में इस विधेयक का उद्देश्य तथा कारणों का विवरण प्रकाशित हुआ था उसका सारांश - ( 1) जमीदारी प्रथा का उन्मूलन ( 2) मुआवजा देकर जमीदारों के अधिकार आगम तथा हित का अर्जन  (3) साधारण एवं समरूप जोतदारी व्यवस्था स्थापित करने एवं चालू क्लिफ्ट एवं भ्रामक  जोतदारियो को समाप्त करना (4)शिकमी पर भूमि उठाने पर रोक ( 5) ग्राम स्वायत शासन का विकास ( 6) अलाभकर जोतो को उत्पत्ति को रोकने एवं अधिक भूमि के जमाव पर रोक। (7) सहकारी खेती को प्रोत्साहन देना ( 8) ब...