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Showing posts from April, 2022

अग्रिम जमानत याचिका का क्या अर्थ होता है ? What is the meaning of anticipatory bail petition?

The Law of land warfare के कौन कौन से नियम होतें हैं?

स्थल युद्ध की विधि(The law of land warfare): युद्ध प्रारंभ होने पर दोनों पक्षों का ध्येय अपनी अपनी शक्ति के प्रयोग द्वारा शत्रु को झुकाना होता है किंतु इस शक्ति का प्रयोग मनमाने तरीके से नहीं किया जा सकता। अपनी प्रभुसत्ता को बनाए रखने के लिए एक राष्ट्र यद्यपि दूसरे को शक्ति से हर तरह से कुचलने का प्रयत्न करता है परंतु शत्रु को हराने और बल प्रयोग करने के लिए कुछ मर्यादाओं का पालन करना पड़ता है। ऐसी मर्यादाओं का पालन ही युद्ध के लिए(Law of warfare) कहलाते हैं।            समय के परिवर्तन के साथ ही साथ युद्ध के नियमों में भी परिवर्तन हुए हैं। सर्वप्रथम सन उन्नीस सौ सात के हेग सम्मेलन में महत्वपूर्ण घोषणा की गई। इससे पूर्व युद्धों के नियमों पर राष्ट्रों ने अपनी सहमति प्रकट की थी।             ओपेनहीम के अनुसार निम्नलिखित तीन सिद्धांतों ने युद्ध के नियम निर्धारण वाद के विषय में बड़ा भाग लिया (1) युद्धरत राष्ट्र शत्रु को परास्त  करने के लिए किसी मात्रा और बल का प्रयोग कर सकता है। (2) बल प्रयोग ऐसी मात्रा में तथा ऐसे रूपों में नहीं करना चाहिए जो शत्रु हटाने के लिए आवश्यक ना हो इसको मानवीय सिद्

अंतरराष्ट्रीय विवादों को सुलझाने के लिए कौन-कौन से तरीके हैं?(what is the main remedies to solve the international disputes by peaceful method ?)

अंतरराष्ट्रीय विवादों को सुलझाने के लिए शांतिपूर्ण उपाय(pacific means of settlement of international Disputes ) : (1) माध्यस्थम (Arbitrations): -   prof.openhaime के अनुसार राज्यों के मतभेदों को एक या अधिक निर्णायक द्वारा हल करने को माध्यस्थम कहते हैं। इन निर्णयों  को पक्षकार स्वयं चुनते हैं। विवाचन द्वारा  अंतर्राष्ट्रीय झगड़ों का निवारण बहुत प्राचीन समय से होता रहा है। परंतु आधुनिक समय में इसके जन्म का श्रेय अमेरिका तथा इंग्लैंड के बीच 1794 की संधि को है। माध्यस्थम विवाचन द्वारा विवाद निपटाने की दो आवश्यक तत्व है: (क)माध्यस्थम विवाचन के प्रत्येक चरण में पक्षकार राज्यों की सहमति आवश्यक है। यह एक ऐसा तत्व है जिनके ऐतिहासिक रूप से राज्यों को अपने झगड़ों को विवाचन के सुपुर्द करने को प्रेरित किया गया है। (ख)विवाचन प्रक्रिया का दूसरा तत्व यह है कि झगड़ों का निस्तारण विधि के सम्मान के आधार पर होना चाहिए।           विवाचन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय झगड़ों का निवारण बहुत प्राचीन समय से होता चला आ रहा है। परंतु आधुनिक समय में इनके जन्म का श्रेय अमेरिका तथा इंग्लैंड के बीच Jay treaty  of 1774 को है।

संधि किसे कहते हैं? संधियों के निर्माण तथा समाप्ति की विवेचना कीजिए। युद्ध का संधियों पर क्या प्रभाव पड़ता है?( what is treaty? Discuss the formation and termination of treaties. Discuss the effect of War on treaty.)

सन्धि(Treaty):- अंतर्राष्ट्रीय विधि के अंतर्गत संधि का महत्वपूर्ण स्थान है। वर्तमान युग में अंतर्राष्ट्रीय विधि के अंतर्गत संधियों को इसका महत्वपूर्ण स्रोत माना गया है। जब भी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय किसी अंतरराष्ट्रीय झगड़े पर अपना फैसला देता है तो सर्वप्रथम वह यह देखता है कि उस विषय पर कोई अंतरराष्ट्रीय संधि है अथवा नहीं। यदि उस विषय पर कोई अंतरराष्ट्रीय संधि होती है तो न्यायालय का फैसला संधि के प्रावधानों पर ही निर्भर करता है।           अंतरराष्ट्रीय संधि दो या दो से अधिक राज्यों के बीच अंतर्राष्ट्रीय विधि के अंतर्गत आपस में संबंध स्थापित करने के लिए एक प्रकार का समझौता होता है।        फ्रांसीसी विद्वान लातेरपस्त(Lauterpacht ) ने संधि की परिभाषा इस प्रकार दी है कि यह राज्यों या राज्यों के संगठनों के मध्य ऐसे संविदा आत्मक समझौते हैं जिनके पक्षों  में कुछ अधिकारों और दायित्वों का सृजन होता है।      It is an agreement of the contractual character between state of organition of state creating legal rights and obligation between the parties . ओपेनहाइम (Oppenheim) ने इसका लक्ष

समुद्री डकैती के संबंध मेंPiracy jury Gentium के सिद्धांत की विवेचना कीजिए?

समुद्री डाके की परिभाषा : समुद्री डाके की परिभाषा के संबंध में बड़ा मतभेद है। परंपरागत विधि के अनुसार, बिना किसी राज्य द्वारा अधिकृत या अनुमति प्राप्त किए निजी हितों तथा दूसरे व्यक्तियों या उनकी सहमति के विरुद्ध हिंसक कार्य करने के उद्देश्य से खुले समुद्र में नौपरिवहन करने को समुद्री डाका कहते हैं। विभिन्न विधिशास्त्रियों ने समुद्री डाके  की विभिन्न परिभाषाएं दी हैं परंतु सभी लेखक इस बात से सहमत हैं की समुद्री डाके तात्पर्य समुद्र में डाका डालना या लूटपाट करना है। एक अमेरिकी वाद में संघीय न्यायालय ने यह मत प्रकट किया था कि समुद्र में सशस्त्र जहाज किसी राज्य के प्राधिकार के अंतर्गत होना चाहिए तथा यदि ऐसा नहीं है तो ऐसे जहाज को समुद्री डाका डालने वाले जहाज की कोटि में आएगा। इस बात से अंतर नहीं पड़ेगा कि उक्त जहाज ने डाका नहीं डाला है।          स्टार्क के अनुसार समुद्री डकैती का अपराध सीमाधारिक पहलुओं की दृष्टि से बिल्कुल निराला है। समुद्री डाकू समस्त मानव समाज जाति के शत्रु होते हैं। अतः सभी राज्यों को उसे पकड़ने और मुकदमा चलाने का अधिकार है।          अंतर्राष्ट्रीय विधि आय

Ambassadors (राजदूत )कौन होते हैं?

राजनयिक दूत(Diplomatic Envoys ) से हमारा अभिप्राय ऐसे व्यक्ति से है जो किसी दूसरे राज्य में अपने राज्य का प्रतिनिधित्व करता है तथा अपने राज्य में राजनैतिक हितों की देखभाल तथा रक्षा करता है। प्रत्येक राज्य अन्य राज्यों के साथ अपना संबंध बनाए रखने के लिए तथा पारस्परिक सहयोग चलाने के लिए दूत और व्यापारिक प्रतिनिधि भेजता है। अंतर्राष्ट्रीय विधि में इन्हें ही राजनयिक दूत कहा जाता है। यह दूत भेजने की प्रथा आदि काल से चली आ रही है। इस संबंध में सन 1861 का वियाना सम्मेलन महत्वपूर्ण था जिसमें 81 राष्ट्रों ने भाग लिया और एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता राजदूतों की नियुक्ति निष्कासन और उनकी कार्यपद्धती से संबंधित नियम वाला था। दूतों की श्रेणी : प्राचीन काल से अब तक दूतों की श्रेणियों में परिवर्तन होते रहे परंतु आधुनिक युग में दूतों को निम्न  श्रेणियों में बांटा जा सकता है:- (1) राजदूत(Ambassador) (2)पूर्णाधिकार मन्त्री तथा असाधारण दूत (3)निवासी मन्त्री (minister Resident) (4) कार्यदूत(Charge affairs )               ब्रिटिश राष्ट्रमंडल सदस्य राज्य आपस में जिन दूतों का आदान प्रदा