स्थल युद्ध की विधि(The law of land warfare): युद्ध प्रारंभ होने पर दोनों पक्षों का ध्येय अपनी अपनी शक्ति के प्रयोग द्वारा शत्रु को झुकाना होता है किंतु इस शक्ति का प्रयोग मनमाने तरीके से नहीं किया जा सकता। अपनी प्रभुसत्ता को बनाए रखने के लिए एक राष्ट्र यद्यपि दूसरे को शक्ति से हर तरह से कुचलने का प्रयत्न करता है परंतु शत्रु को हराने और बल प्रयोग करने के लिए कुछ मर्यादाओं का पालन करना पड़ता है। ऐसी मर्यादाओं का पालन ही युद्ध के लिए(Law of warfare) कहलाते हैं। समय के परिवर्तन के साथ ही साथ युद्ध के नियमों में भी परिवर्तन हुए हैं। सर्वप्रथम सन उन्नीस सौ सात के हेग सम्मेलन में महत्वपूर्ण घोषणा की गई। इससे पूर्व युद्धों के नियमों पर राष्ट्रों ने अपनी सहमति प्रकट की थी। ओपेनहीम के अनुसार निम्नलिखित तीन सिद्धांतों ने युद्ध के नियम निर्धारण वाद के विषय में बड़ा भाग लिया (1) युद्धरत राष्ट्र शत्रु को परास्त करने के लिए किसी मात्रा और बल का प्रयोग कर सकता है। (2) बल प्रयोग ऐसी मात्रा में तथा ऐसे रूपों में नही...
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