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बलवा और दंगा क्या होता है? दोनों में क्या अंतर है? दोनों में सजा का क्या प्रावधान है?( what is the riot and Affray. What is the difference between boths.)

धारा 497 क्या है? इस पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला क्या दिया है ?

ब्लॉग पोस्ट: जेंडर जस्टिस और धारा 497 का खात्मा भूमिका भारतीय संविधान हर नागरिक को समान अधिकार देने की बात करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पहले के कानूनों में कुछ प्रावधान महिलाओं के साथ भेदभाव करते थे? ऐसा ही एक कानून था भारतीय दंड संहिता की धारा 497 , जिसे 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार देते हुए खत्म कर दिया। यह फैसला महिलाओं के अधिकारों की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं। धारा 497: क्या था यह कानून? धारा 497 के अनुसार: अगर कोई शादीशुदा पुरुष किसी शादीशुदा महिला के साथ उसकी रज़ामंदी से शारीरिक संबंध बनाता था, तो इस महिला का पति उस पुरुष के खिलाफ केस दर्ज करा सकता था। इस कानून के तहत महिला पर कोई कार्यवाही नहीं होती थी । दोषी पाए जाने पर पुरुष को पांच साल तक की सजा हो सकती थी। यह कानून महिला को पुरुष की "संपत्ति" मानता था, क्योंकि इसमें केवल पति को शिकायत का अधिकार था। सुप्रीम कोर्ट का फैसला: क्यों निरस्त हुई धारा 497? सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने, तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षत...

अनुसूचित जाति के व्यक्ति पर हमला करने वाले व्यक्तियों को सजा कैसे दिलायें। दलित व्यक्ति को न्याय प्राप्त करने के लिए कौन-कौन कानूनी प्रक्रियाएं होती हैं।

यदि एक अनुसूचित जाति के व्यक्ति को कुछ मुस्लिम लोगों द्वारा शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया है, और पुलिस ने इस पर अभी तक मामला दर्ज नहीं किया है, तो अधिवक्ता के रूप में कार्य करने के लिए निम्नलिखित कानूनी प्रक्रियाएँ और तर्क उपयोग किए जा सकते हैं। 1. पुलिस में प्राथमिकी ( FIR ) दर्ज कराना:→ यदि पुलिस शिकायतकर्ता की तहरीर के बावजूद FIR दर्ज नहीं करती है, तो आपको धारा 156(3) के तहत न्यायालय में आवेदन करना चाहिए। इस धारा के तहत मजिस्ट्रेट को अधिकार है कि वह पुलिस को मामले की प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दे।   2. घटना की कानूनी धाराएँ:→ मामले में निम्नलिखित धाराएँ शामिल हो सकती हैं, जो परिस्थिति पर निर्भर करती हैं:→ • IPC की धारा 323 →: चोट पहुँचाना, जिसमें साधारण चोट के लिए सजा का प्रावधान है। • IPC की धारा 325 →: गंभीर चोट पहुँचाने के लिए, यदि चोट गंभीर है। • IPC की धारा 506 →: धमकी देना, यदि जान से मारने या गंभीर रूप से घायल करने की धमकी दी गई हो। • SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 →: यदि दलित व्यक्ति पर हमला जाति के आधार पर हुआ है, तो इस अधिनियम की धाराएँ ला...

criminal cases एक शहर से दूसरे शहर में transfer करने की क्या प्रक्रिया होती है ? उदाहरण सहित विस्तार से जानकारी दो।

🔰 प्रस्तावित ब्लॉग टॉपिक:⇒ "क्रिमिनल केस ट्रांसफर करने की सम्पूर्ण कानूनी प्रक्रिया – BNSS, 2023 की धाराओं, केस लॉ और व्यावहारिक उदाहरण सहित" ✍️ ब्लॉग ड्राफ्टिंग स्ट्रक्चर ( Friendly Format):⇒ Meta Title: ⇒ ➤ क्रिमिनल केस ट्रांसफर करने की सम्पूर्ण प्रक्रिया | BNSS 2023 की धाराएँ व केस लॉ सहित Meta Description: ⇒ ➤ जानिए Criminal Case Transfer की पूरी प्रक्रिया – कौन सी अदालत किस स्तर पर केस ट्रांसफर कर सकती है, किन आधारों पर ट्रांसफर होता है, और इससे जुड़े प्रमुख केस लॉ। Focus Keywords: ⇒ Criminal Case Transfer Process in India BNSS 2023 Sections 446, 447, 448, 450 आपराधिक मामला ट्रांसफर प्रक्रिया Supreme Court Criminal Case Transfer High Court Case Transfer 🧾 ब्लॉग की मुख्य रूपरेखा ( शब्दों के अनुसार विस्तृत संरचना):⇒ भाग 1: परिचय (Introduction) क्रिमिनल केस क्या होता है? ट्रांसफर की आवश्यकता क्यों पड़ती है? BNSS 2023 में पुराने CrPC से क्या बदलाव हुए? भाग 2: कानूनी आधार (Legal Provisions) BNSS की धारा 446 से 450 तक का वि...

विशेष विवाह अधिनियम 1954 क्या होता है ? यह किस प्रकार से अंतर-धार्मिक और अंतर-जातीय विवाह से सम्बंधित है ?

ब्लॉग पोस्ट का विषय: विशेष विवाह अधिनियम, 1954: अंतर-धार्मिक और अंतर-जातीय विवाहों का संरक्षक कानून परिचय विशेष विवाह अधिनियम, 1954 (SMA) भारत में अंतर-धार्मिक और अंतर-जातीय विवाह करने वाले लोगों के लिए एक सुरक्षित और कानूनी ढांचा प्रदान करता है। यह कानून धर्म, जाति और सामाजिक बाधाओं से परे, समानता और धर्मनिरपेक्षता की भावना को बढ़ावा देता है। इस ब्लॉग में हम इस अधिनियम के प्रावधानों को सरल भाषा में समझेंगे, इसके तहत विवाह और तलाक की प्रक्रिया का विस्तृत विवरण देंगे और साथ ही इससे जुड़ी जमीनी सच्चाइयों पर चर्चा करेंगे। ब्लॉग ड्राफ्टिंग के मुख्य बिंदु परिचय विशेष विवाह अधिनियम का उद्देश्य। इसका महत्व और इसकी आवश्यकता। एसएमए के अंतर्गत विवाह की प्रक्रिया विवाह के लिए पात्रता। 30 दिनों की नोटिस अवधि। विवाह अधिकारी के समक्ष विवाह का पंजीकरण। तलाक की प्रक्रिया और आधार तलाक के लिए कानूनी आधार। दोष आधारित तलाक। आपसी सहमति से तलाक। बिना गलती के तलाक की अवधारणा। प्रत्येक आधार का उदाहरण सहित वर्णन सरल उदाहरण जो आम लोगों को समझने में मदद करें। वि...

पुलिस स्पेशल सेल द्वारा मोटरसाइकिल जब्त करने पर क्या करें, जब कोई मुकदमा पंजीकृत न हो?

यहाँ एक विस्तृत,  ब्लॉग पोस्ट है जो कि कभी आपकी या  किसी व्यक्ति की मोटरसाइकिल को पुलिस विभाग की स्पेशल सेल पकड़ लेती है और किसी भी थाने में मुकदमा पंजीकृत नहीं करती है तो ऐसे स्थिति में क्या करें की गाड़ी को रिलीज करवा लिया जाये इस पर एक  blog post लिखकर मेरे द्तवारा  जितना सम्भव है उतना विशेष जानकारी के साथ  उदाहरण सहित समझाने की आप लोगों को कोशिश है ।🔥🔥🔥🔥 पुलिस स्पेशल सेल द्वारा मोटरसाइकिल जब्त करने पर क्या करें, जब कोई मुकदमा पंजीकृत न हो? कई बार ऐसी स्थिति सामने आती है जब पुलिस विभाग की स्पेशल सेल किसी व्यक्ति की मोटरसाइकिल या अन्य वाहन को रोककर अपने कब्जे में ले लेती है, लेकिन किसी भी थाने में उसके संबंध में FIR या मुकदमा पंजीकृत नहीं करती। इस तरह की परिस्थिति में वाहन मालिक के लिए यह समझना जरूरी है कि कानूनी प्रक्रिया क्या है और वाहन को रिलीज कराने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए जाएं। 1. सबसे पहले स्थिति की पुष्टि करें जिस पुलिस टीम या स्पेशल सेल ने गाड़ी पकड़ी है, उनसे लिखित या मौखिक रूप से पूछें कि वाहन क्यों रोका गया है। यह ...