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Showing posts from May, 2022

अपराध शास्त्र के सम्प्रदायों के बारे में आलोचनात्मक विवेचना कीजिए?

.अल्पवयस्कों के लिये साधारण अपवादों के सम्बंध में क्या छूट दी गयी है ? (what exception has been made in favour of minors with respect to an offence under general exceptions .)

7 वर्ष से कम आयु के शिशु के कार्य:- भारतीय दंड संहिता की धारा 82  में यह कहा गया है कि कोई बाल अपराध नहीं है जो 7 वर्ष से कम आएगी शिशु द्वारा की जाती है।            प्रस्तुत धारा का यह प्रावधान कि 7 वर्ष से कम आयु के बच्चे द्वारा किया गया कोई कार्य अपराध नहीं माना जाएगा , इस मान्यता पर आधारित है कि 7 वर्ष से कम आयु का शिशु आपराधिक दुराशय के अभाव में अपराध करने के लिए अयोग्य (doli incapex) होता है। ब्लैक स्टोन का कहना है कि विवेक का निर्माण ना कर सकने वाली आयु के बालक को किसी भी अपराधिक विधि के अधीन दंडित नहीं किया जाना चाहिए।          आँग्ल विधि में ऐसी आयु के शिशुओं को अपराध करने में असक्षम माना गया है जो अच्छाई बुराई के बीच अंतर स्थापित करने में असमर्थ हो।         बाबू सेन बनाम सम्राट के मामले में यह स्पष्ट किया गया है कि धारा 82 के अंतर्गत 7 वर्ष से कम आयु के बच्चों को अपराधिक दायित्व से उन्मुक्त केवल दंड संहिता की धारा 82 के अंतर्गत ही नहीं  अपितु अन्य सभी स्थानीय तथा विशिष्ट विधियों के अंतर्गत भी उपलब्ध है।       मार्ग बनाम लोडर के वाद में सात वर्ष से कम आयु के बालक

दंड का उद्देश्य क्या होता है? इसके विभिन्न सिद्धांतों की संक्षिप्त कौन-कौन से हैं?( what is the object of punishment? Discuss its various theories in brief. State the punishment which can be awarded according to Indian Penal Code.)

समाज में शांति एवं व्यवस्था बनाए रखना राज्य का एक आवश्यक कर्तव्य है। राज्य अपने इस कर्तव्य का निर्वाह अपराधों पर रोकथाम करके करता है। राज्य अपराधों की रोकथाम अपराधियों को दंडित करके करता है। अतः दण्ड  का मुख्य उद्देश्य अपराधों की रोकथाम करना है। यह विचारणीय प्रश्न है कि किसी अपराधी को उसके अवैध कृत्य के लिए किस प्रकार दंडित किया जाए। दंड का निर्धारण उनको किए जाने की परिस्थितियों और समय के साथ बदलते हुए स्वरूप के अनुसार किया जाता है। उदाहरण के लिए सभ्यता के प्रारंभिक काल में दंड की व्यवस्था बड़ी क्रूर और असभ्य रूप में थी जिसके अनुसार बदला लेना(To take revenge) ही मुख्य उद्देश्य होता था। अतः  किसी व्यक्ति की यदि हत्या हो जाती थी तो मृतक के घरवाले जब तक अपराधी से बदला नहीं लेते थे चैन से नहीं बैठते थे। उसके बाद स्थिति यह बनी की "आंख के बदले आंख" ,दांत के बदले दांत' और 'नाखून के बदले नाखून' की व्यवस्था आई जिसका तात्पर्य यह था कि अपराधी को उतनी ही हानि पहुंचाई जाए जितनी उसने स्वयं की है।              समाज का स्वरूप धीरे-धीरे बदलने के साथ ही साथ शासन व्यवस्थ

लोक सेवक कौन होते हैं ?इसमें और सरकारी सेवक या कर्मचारी में क्या अंतर होता है?( define the word public servant and point out the difference between IT and the government servant.)

लोक सेवक(Public Servant): भारतीय दंड संहिता की धारा 21 के अंतर्गत निम्नलिखित श्रेणियों के सभी व्यक्ति लोक सेवक (Public servant ) हैं (1) भारत की स्थल, जल और वायु सेना का प्रत्येक कमीशन प्राप्त अधिकारी। (2) प्रत्येक न्यायाधीश जिसमें वह शक्ति भी सम्मिलित है जिसको चाहे वह स्वयं अथवा मनुष्यों के समूह के सदस्यों की हैसियत से किसी न्याय निर्णय उनके कर्तव्यों के पालन कराने का अधिकार है। (3) न्यायालय का प्रत्येक ऐसा पदाधिकारी जिसका उस पद के कारण यह कर्तव्य हो कि वह किसी तथ्य विधि के मामले पर अनुसंधान और रिपोर्ट प्रस्तुत करें अथवा किसी दस्तावेज को रखें या किसी न्यायिक क्रिया को कार्यान्वित करें या उसकी व्याख्या करें। (4) जूरी का प्रत्येक सदस्य(jury man) असेसर (Assessor) या पंचायत का कोई अधिकारी जो न्यायालय की सहायता कर रहा हो या लोक सेवक। (5) प्रत्येक मध्यस्थ(Arbitrator) जिसे न्यायालय द्वारा कोई मामला निर्णय करने के लिए प्रतिवेदित करने के लिए निर्देशित किया गया हो। (6) प्रत्येक व्यक्ति जो ऐसा पद धारण किए हो जिसके कारण वह किसी अन्य व्यक्ति को बंद कर सके या उसके वंदीकरण करा सके। (7) सरकार का प्र

अपराध क्या होता है उसकी परिभाषा दीजिए? अपराध की मुख्य अवस्थाओं का उल्लेख कीजिए?( define crime. Discuss the essential stage of crime. Clarify the difference between crime and torts.)

अपराध वह कृत्य है जो ना केवल विधि द्वारा वर्जित है बल्कि वह समाज की नैतिक मान्यताओं के प्रतिकूल भी है जिसके लिए किसी देश की दंड विधि के अधीन दंड का प्रावधान हो। उदाहरण : हत्या ,चोरी, डकैती, बलात्कार आदि अपराध है क्योकि यह न केवल दंड  विधि के अंतर्गत दंडनीय है बल्कि समाज विरोधी कृत्य भी हैं। इसके ठीक विपरीत संपरिवर्तन (conversion) मानसिक आघात आदि समाज के हित में ना होते हुए भी अपराध नहीं है बल्कि केवल अपकृत्य हैं क्योंकि इनके लिए दंड का प्रावधान ना होकर अपकृत्य विधि में क्षतिपूर्ति की व्यवस्था है।                  वास्तव में अपराधी कैसा रोग और बुराई है जिससे संपूर्ण सामाजिक और राष्ट्रीय जीवन प्रभावित हो उठता है। समाज के लिए यह बहुत ही घातक है। इसी रोग के निदान के लिए दंड विधि का प्रादुर्भाव हुआ है।            अपराध शब्द जितना प्रचलित है उसकी परिभाषा देना ही कठिन है। रसेल का भी ऐसा ही विचार है। वे कहते हैं कि अपराध को परिभाषित करना एक ऐसा कार्य है जो अब तक किसी लेखक ने संतोषजनक रूप से नहीं किया है। वास्तव में अपराध मूल रूप से समय समय पर समाज के उन वर्गों द्वारा अपनाई गई नीति का निर्माण

What are the basic principles of air warfare? हवाई युध्द के मौलिक सिद्धांत क्या हैं?

हवाई युद्ध नियमों के कुछ मौलिक सिद्धांत है जिनका पालन हवाई युद्ध में किया जाता है।      प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय विधि शास्त्री ओपेनहाइम (Openheim)के अनुसार यह निम्नलिखित है (1) मानवीयता का सिद्धांत: इसके अंतर्गत आवश्यकता से अधिक क्रूरता और हिंसा का प्रयोग नहीं करना है (2) युद्ध ना करने वाली जनता पर सीधा आक्रमण करने का निषेध। (3) तटस्थ देशों को किसी युद्ध मान देशों के विरुद्ध तैयारी का अथवा लड़ाई का क्षेत्र ना बनाना। हेग सम्मेलन (The Hague coference):- पहले गुब्बारों द्वारा या जहाजों द्वारा विस्फोटक  द्रव्य फेंकने का कार्य होता था परंतु सन 1899 से पहले हेग सम्मेलन में इस पर पाबंदी लगाई गई।       सन् 1907 के दूसरे हेग सम्मेलन तथा वायुयानों के तथा हवाई लड़ाई से क्षेत्र में नए अविष्कारों के कारण परिस्थिति बदल गई और कई राज्य इस विषय पर पाबंदी नहीं लगाना चाहते थे। इस अधिवेशन में निम्नलिखित नियमों पर आम सहमति हुई- (1)असैनिक जनता को डराने या आतंकित करने के उद्देश्य से इसे हानि  पहुंचाने के प्रयोजन से अथवा सैनिक स्वरूप रखने वाली वैधानिक संपत्ति का विध्वंस करने के लिए बम बरसा नहीं की जा सकती। (2