Skip to main content

Posts

Showing posts from February, 2023

अग्रिम जमानत याचिका का क्या अर्थ होता है ? What is the meaning of anticipatory bail petition?

Income Tax Act 1961 का section 80(c) क्या होता है ?What is section 80(c) of Income Tax Act 1961?

आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80 ( c ) के अंतर्गत निर्धारिती को अनुमान्य लाभ ( c ) ( Benefit permissible to Assessee Under Setion 80 ( c ) of Income Tax Act )  धारा 80 - C को कटौती के लिए किये गये विभिन्न विनियोगों एवं जमाओं के बारे में निम्न  नियम हैं-  ( 1 ) विनियोग , जमा आदि कटौती योग्य राशि में भुगतान आधार पर सम्मिलित किये जाते हैं - इस धारा के अन्तर्गत कटौती के लिए गर्णित ' कटौती योग्य राशि ' में से सम्मिलित किए जाने वाले विनियोग , अंशदान अथवा जमाएँ आदि को तभी सम्मिलित किया जायेगा , जबकि इनका वास्तव में भुगतान हो चुका है । उपर्युक्त सभी मदों  पर गत वर्ष में वास्तव में व्यय / भुगतान की गई राशि को ही कटौती योग्य राशि में जोड़ा जायेगा , भले ही भुगतानित राशि गत वर्ष से सम्बन्धित है अथवा गत वर्ष से पूर्व के अथवा गत वर्ष से बाद वाले वर्ष से सम्बन्धित है । यह भुगतानित राशि करदाता चाहे अपनी कर योग्य आय में से करे अथवा करमुक्त आय में से करदाता द्वारा गत वर्ष में इन मदों  पर वास्तव में व्यय अथवा भुगतान अथवा जमा की गई राशि हो कटौती योग्य राशि में सम्मिलित की जायेंगी , चाहे यह राशि गत वर्

Best Judgement Assessment का क्या अर्थ होता है ?

  सर्वोत्तम कर - निर्धारण से आशय ( Meaning of Best Judgement Assessment )  आयकर अधिकारी को ऐसे कर निर्धारण का तब सहारा लेना पड़ता है जबकि करदाता की ओर से उसे उचित सहयोग नहीं मिल पाता है । यदि करदाता अपनी आय का विवरण न जमा करे या आयकर अधिकारी द्वारा दिये गये नोटिस की अवहेलना करे तो विवश होकर आयकर अधिकारी को उपलब्ध सूचना के आधार पर ही धारा 144 के अनुसार कर निर्धारण के सम्बन्ध में अपना सर्वोच्च निर्णय देना पड़ता है ।                             सर्वोत्तम निर्णय कर निर्धारण में आयकर अधिकारी को वास्तव में सर्वोत्तम निर्णय ही करना चाहिए अर्थात् उस करदाता की कुल आय का अनुमान ईमानदारी से उसके गतवर्ष पूर्व के कर निर्धारण को उसी तरह के व्यापार करने वाले अन्य करदाताओं की गतवर्ष पूर्व के कर - निर्धारण को उसी तरह के व्यापार करने वाले अन्य करदाताओं की गतवर्ष की कुल आय को उसके व्यापार की स्थिति को तथा प्रस्तुत अन्य सामग्री को ध्यान में रखकर करना चाहिए । केवल कल्पना अथवा हवाई घाड़े छौड़ाकर अन्दाज मान से कुल आय की गणना सर्वथा वर्जित है , चूँकि सर्वोत्तम निर्णय का प्रयोग करत समय आयकर अधिकारी एक न्यायाधीश

इनकम टैक्स रिटर्न और उसको रिफंड कराने के लिये क्या उपाय है?What is the solution for income tax return and refund?

कर वापसी एवं प्रक्रिया ( Procedure of Refund of Tax )      आयकर अधिनियम की धारा 237 के अनुसार , यदि कोई व्यक्ति कर निर्धारण को इस  बात से सन्तुष्ट कर दे कि किसी कर निर्धारण वर्ष के लिए उसके द्वारा चुकाया गया अथवा उसकी  ओर से चुकाया गया कर उस वर्ष की उस कर की राशि से अधिक है जो वह अधिनियम के  अन्तर्गत चुकाने को बाध्य है तो वह इस आधिक्य राशि को वापस पाने का अधिकारी है । संक्षेप में , यदि करदाता द्वारा चुकाया गया कर ( Tax paid ) उस पर देय कर से अधिक है तो वह अधिक चुकाई गई राशि को वापस पाने का अधिकारी है ।  करदाता निम्नलिखित दशाओं में कर वापसी की माँग कर सकता है - ( i ) उद्गम स्थान पर अधिक दर से कटौती हो जाने पर ।  ( ii ) अधिक अग्रिम कर जमा कर दिये जाने पर ।  ( iii ) अपील के निर्णय में करदाता की कुल आय कम हो जाने पर ।  ( iv ) भूल सुधार हेतु किये गये संशोधन के अन्तर्गत कर की राशि कम हो जाने पर  ( v ) अनिवासी से स्रोत पर अधिक दर से कटौती कर लिये जाने पर ।  ( vi ) दोहरे करारोपण की छूट मिलने की दशा में ।  Tax refund and procedure (Procedure of Refund of Tax)  As per section 237 of the Income-

इनकम टैक्स कमिश्नर की शक्तियां What are the powers given to the Commissioner of Income Tax?

इनकम टैक्स कमिश्नर की शक्तियां:- इनकम टैक्स अधिनियम के विधिक उपबंधों के अनुसार टैक्स इनकम टैक्स कमिश्नर की नियुक्ति की जाती है जो कि कर बोर्ड एवं केन्द्रीय सरकार के द्वारा अधिनियम के उद्देश्यों की पूर्ति के सन्दर्भ में जो भी कार्य दिये जाते हैं उनको पूरा करने का दायित्व आयुक्त का होता है , जिनकी भलीभाँति पूर्ति के लिये उन्हें कुछ अधिकार भी प्रदान किये गये हैं जो कि निम्न प्रकार वर्णित है - ( i ) जब आयुक्त को बोर्ड द्वारा अधिकृत कर दिया जाये तो वह धारा 117 ( 3 ) में दिये गये नियुक्ति के अधिकार का प्रयोग करते हुये कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिये अपने अधीनस्थों की नियुक्ति कर सकता है ।  ( ii ) धारा 120 के अनुसार आयुक्त किसी विशेष क्षेत्र के बारे में या विशेष श्रेणी के व्यक्तियों या विशिष्ट श्रेणी की आयों के बारे में आदेश जारी कर सकता है कि संयुक्त आयुक्त कर निर्धारण अधिकारी के कार्यों का करेगा ।  ( iii ) आयुक्त को अधिकार प्राप्त है कि वह किसी मामले में अपने अधीनस्थ एक कर निर्धारण अधिकारी से अपने ही अधीन किसी दूसरे का निर्धारण अधिकारी को ट्रांसफर कर दे ।  Powers of Income Tax Commissi

इनकम टैक्स का विवरण दाखिल किये जाने की समयसीमा क्या है?What is the deadline for filing income tax return?

विवरणी दाखिल करने का समय ( Time of Filing Tax Return )  आयकर अधिनियम की धारा 139 ( 1 ) के अनुसार:- प्रत्येक व्यक्ति , संयुक्त हिन्दू परिवार , व्यक्तियों का संघ या समूह या कृत्रिम व्यक्ति या कम्पनी या फर्म सभी को अपनी आय का विवरण दाखिल किया जाना अनिवार्य है । यदि उसकी आय निर्धारित कटौतियाँ घटाने से पूर्व न्यूनतम कर योग्य सीमा से अधिक है ।         प्रत्येक कम्पनी एवं फर्म को अपनी गतवर्ष की आय पर देय तिथि तक लाभ या हानि का विवरण दाखिल करना आवश्यक है । यहाँ पर देय तिथि से तात्पर्य उस निर्धारित समय सीमा से है जो कि अधिनियम के अनुसार आय का विवरण दाखिल करने के लिये निर्धारित की जाती है ।  Time of Filing Tax Return   According to Section 139 (1) of the Income Tax Act:- It is mandatory for every individual, joint Hindu family, association or group of persons or artificial person or company or firm to file a return of their income.  If his income exceeds the minimum taxable limit before deducting the prescribed deductions.  Every company and firm is required to file a statement of profit or loss

टैक्स वसूल करने के क्या नियम होते है ?What are the rules for collecting tax?

कर वसूली की विभिन्न विधियाँ  ( Methods of Recovery of Tax )    ( 1 ) आयकर कब देय है ( धारा 220 ( 1 ) ) - करदाता का मांग का नोटिस प्राप्त होने के बाद 30 दिन के अन्दर नोटिस में लिखी हुई रकम नोटिस में दिये हुये व्यक्ति को दिये हुये स्थान पर चुकानी होती है । यदि आयकर अधिकारी के पास यह विश्वास करने का पर्याप्त कारण है कि पूरे 30 दिन की अवधि देने से सरकारी आय में हानि हो सकती है तो यह इन्सपेक्टिंग असिस्मेन्ट कमिश्नर को पूर्व अनुमति से माँग के नोटिस में लिखी हुई रकम 30 दिन से कम की अवधि में अवधि में माँग कर सकता है ।  ( 2 ) ब्याज का भुगतान ( धारा 220 ( 2 ) ) - यदि माँग नोटिस में लिखी गयी रकम नोटिस में दी गयी अवधि के अन्दर न चुकाई जाय तो करदाता को उक्त अवधि के समाप्त होने के बाद की तिथि से भुगतान की तिथि तक की अवधि का 1.00 % प्रतिमाह ( अथवा माह के किसी भाग के लिये ) की दर से ब्याज देने को दायी होगा ।  Various methods of tax collection  (Methods of Recovery of Tax)  (1) When income tax is due (Section 220 (1)) - After receiving the notice of demand from the taxpayer, within 30 days the amount w