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क्या कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा हैं तो क्या वह दूसरी शादी धर्म बदल कर कर सकता है?If a person is already married, can he change his religion and marry again?

Best Judgement Assessment का क्या अर्थ होता है ?

 सर्वोत्तम कर - निर्धारण से आशय ( Meaning of Best Judgement Assessment ) 

आयकर अधिकारी को ऐसे कर निर्धारण का तब सहारा लेना पड़ता है जबकि करदाता की ओर से उसे उचित सहयोग नहीं मिल पाता है । यदि करदाता अपनी आय का विवरण न जमा करे या आयकर अधिकारी द्वारा दिये गये नोटिस की अवहेलना करे तो विवश होकर आयकर अधिकारी को उपलब्ध सूचना के आधार पर ही धारा 144 के अनुसार कर निर्धारण के सम्बन्ध में अपना सर्वोच्च निर्णय देना पड़ता है ।

                            सर्वोत्तम निर्णय कर निर्धारण में आयकर अधिकारी को वास्तव में सर्वोत्तम निर्णय ही करना चाहिए अर्थात् उस करदाता की कुल आय का अनुमान ईमानदारी से उसके गतवर्ष पूर्व के कर निर्धारण को उसी तरह के व्यापार करने वाले अन्य करदाताओं की गतवर्ष पूर्व के कर - निर्धारण को उसी तरह के व्यापार करने वाले अन्य करदाताओं की गतवर्ष की कुल आय को उसके व्यापार की स्थिति को तथा प्रस्तुत अन्य सामग्री को ध्यान में रखकर करना चाहिए । केवल कल्पना अथवा हवाई घाड़े छौड़ाकर अन्दाज मान से कुल आय की गणना सर्वथा वर्जित है , चूँकि सर्वोत्तम निर्णय का प्रयोग करत समय आयकर अधिकारी एक न्यायाधीश का कार्य करता है , अतः उसे ऐसी स्थिति में अपना कर्त्तव्य उचित रूप से ही निर्वाह करना चाहिए ।



सर्वोत्तम निर्णय कर - निर्धारण के प्रकार ( Types of Best Judgement Assessment )

 ( i ) अनिवार्य सर्वोत्तम निर्णय कर निर्धारण ( Compulsory best judgement assessment ) - धारा 144 के अनुसार , निम्न परिस्थितियों में सर्वोत्तम कर निर्धारण के अतिरिक्त कर निर्धारण के पास कोई विकल्प नहीं है -

( 1 ) जब एक व्यक्ति धारा 139 ( 2 ) के अनुसार जारी किये गये नोटिस बावजूद भी अपनी आय का विवरण दाखिल नहीं करता है , तथा धारा 139 ( 4 ) के अन्तर्गत विवरण अथवा धारा 139 ( 1 ) के अन्तर्गत संशोधित विवरण दाखिल नहीं करता है , अथवा ।

Meaning of Best Judgment Assessment


 The Income Tax Officer has to resort to such assessment when he does not get proper cooperation from the taxpayer.  If the taxpayer does not submit the details of his income or ignores the notice given by the Income Tax Officer, then the Income Tax Officer is forced to give his highest decision regarding tax assessment according to section 144 only on the basis of available information.


 In best judgment assessment, the Income Tax Officer should actually exercise best judgement, i.e. estimate the total income of that assessee honestly and assess his previous year assessment in the same manner as that of other taxpayers carrying on similar business.  The total income of the previous year of other taxpayers carrying on the business of the assessee should be worked out after taking into account the position of his business and other material submitted.  Calculating the total income by mere conjecture or guesswork is strictly prohibited, since the Income Tax Officer acts as a judge while exercising best judgement, so he should discharge his duty properly in such a situation.




 Types of Best Judgment Assessment


 (i) Compulsory best judgment assessment - As per section 144, the assessee has no option but to make a best judgment assessment in the following circumstances -


 (1) When a person fails to file the return of his income in spite of the notice issued under section 139(2), and does not file the return under section 139(4) or the amended return under section 139(1)  is, or

 ( ii ) धारा 142 ( 1 ) के अनुसार दिये गये नोटिस के अनुसार हिसाब अथवा अन्य दस्तावेज अथवा माँगी गई सूचनाएँ नहीं प्रस्तुत करता है अथवा धारा 14 ( 2A ) के अन्तर्गत हिसाब का आडिट नहीं करता है , अथवा 

 ( iii ) आय का विवरण दाखिल करने के बाद , धारा 143 ( 2 ) के अनुसार किये गये नोटिस के अनुसार उपस्थित नहीं होता अथवा आय के विवरण के सम्बन्ध में सबूत नहीं पेश करता है ।

        तो आयकर अधिकारी स्वयं द्वारा एकत्रित की हुई सब सम्बन्धित सामग्री को ध्यान में रखकर उसकी कुल आय अथवा हानि को अपने सर्वोत्तम निर्णय के अनुसार निर्धारित करता है । तथा ऐसे कर निर्धारण के आधार पर करदाता द्वारा चुकायी जाने वाली अथवा उसे वापस होने वाली कर की गणना करता है । 


( 2 ) विवेकानुसार सर्वोत्तम कर निर्धारण - धारा 145 ( 2 ) के अनुसार द्वारा रखे हुए बहीखातों के लेखों से सन्तुष्ट नहीं है या करदाता ने लेखा रखने की कोई पद्धति नियमपूर्वक नहीं अपनाई है तो आयकर अधिकारी को विवेकानुसार सर्वोत्तम कर निर्धारण करने का अधिकार है । ऐसे कर निर्धारण के विरुद्ध केवल अपील की जा सकती है । 


सर्वोत्तम निर्णय कर निर्धारण का परिणाम - सर्वोत्तम कर निर्धारण के निम्नलिखित परिणाम होते हैं 


( i ) करदाता पर धारा 271 के अन्तर्गत अर्थ दण्ड लगाया जा सकता है ।

 ( ii ) करदाता को धाराएँ 276 CC तथा 276 D के अन्तर्गत सजा हो सकती है । 

(ii) fails to produce the accounts or other documents or information called for in accordance with the notice given under section 142(1) or audits the accounts under section 14(2A), or


 (iii) after filing the return of income, does not appear in accordance with the notice made in accordance with section 143(2) or does not produce evidence in relation to the return of income.


 Then the Income Tax Officer determines his total income or loss according to his best judgment after taking into account all relevant material collected by him.  And on the basis of such assessment, calculates the tax to be paid by the taxpayer or refunded to him.



 (2) Best discretionary tax assessment - If not satisfied with the accounts of the books maintained by him in accordance with section 145(2) or if the taxpayer has not adopted any method of keeping accounts as per rules, then the Income Tax Officer has the right to make discretionary tax assessment.  Only an appeal can lie against such assessment.



 Best judgment assessment results in - Best assessment results in the following



 (i) Penalty can be imposed on the taxpayer under section 271.


 (ii) The taxpayer may be punished under sections 276 CC and 276 D.


( iii ) अधिक कर लगाने के सम्बन्ध में सर्वोत्तम निर्णय कर निर्धारण के विरुद्ध अपील करने की दशा में करदाता को अपीलेट अधिकारी के समक्ष नये तथ्य प्रस्तुत करने से रोक दिया ।

( iv ) इस धारा के अन्तर्गत कर की वापसी अस्वीकृत की जा सकती है । 


सर्वोत्तम निर्णय कर निर्धारण के खिलाफ उपचार ( Remedies Against Best Judgement Assessment ) 

किसी करदाता को सर्वोत्तम निर्णय कर निर्धारण के खिलाफ निम्न उपाय प्राप्त है 


( a ) सर्वोत्तम निर्णय कर निर्धारण के खिलाफ अपील करना । 

( b ) आयकर अधिनियम की धारा 186 के अन्तर्गत प्रार्थना पत्र भेजकर कर निर्धारण को दोबारा  खुलवाना ।
 (iii) In case of an appeal against the best judgment assessment of excess tax, the taxpayer is barred from presenting new facts before the Appellate Officer.


 (iv) Refund of tax may be refused under this section.



 Remedies Against Best Judgment Assessment


 A taxpayer has the following remedies against a best judgment tax assessment



 (a) Appeal against best judgment tax assessment.


 (b) To reopen the assessment by sending an application under section 186 of the Income Tax Act.

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