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Showing posts from April, 2023

विदेशों में भारतीय कानून: IPC, UAPA, और अंतरराष्ट्रीय संधियों के तहत भारतीय अधिकार क्षेत्र की समझ

राज्य के विरुद्ध अपराधों का वर्गीकरण कीजिए तथा उनके दण्ड के क्या प्रावधान है ? समझाइये । What are the Provisions of Punishment ? Classify the offeng for against the state and in respect of them .

 जब कोई व्यक्ति ऐसा कार्य करता है जिससे राज्य की एकता एवं संप्रभुता को क्षति पहुंचती है , तो इसे राज्य के विरुद्ध अपराध कहा जाता है । जो व्यक्ति अपने कृत्य से राज्य की एकता एवं सम्प्रभुता को क्षति पहुंचाता है उसे दण्डित किया जाना आवश्यक होता है । इस सम्बन्ध में आवश्यक व्यवस्थाएँ भारतीय दण्ड संहिता में की गई हैं ।   राज्य के विरुद्ध अपराधों को हम पाँच भागों में विभाजित कर सकते हैं  ( 1 ) भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध करना ; युद्ध करने का प्रयास करना या उसके विरुद्ध  षड्यन्त्र करना या उसके लिए व्यक्तियों तथा शस्त्रों को एकत्रित करना ।  ( धारा 121 , 121 क , 122 एवं 123)  ( 2 ) राष्ट्रपति या राज्यपाल को कोई कार्य करने के लिए बाध्य करना या उनकी शक्तियों  , के निष्पादन में अवरोध पैदा करना ।  ( 3 ) राजद्रोह ( Sedition )  ( 4 ) भारत सरकार के साथ शक्तिपूर्ण व्यवहार रखने वाली किसी शक्ति के विरुद्ध युद्ध  करना ( धारा 125 ) । या ऐसी किसी शक्ति के सम्बन्ध में लूटमार करना ( धारा 126 ) या जानबूझ  कर ऐसी सम्पत्ति को लेना जो ऐसी लूटमार से प्राप्त की गई है । ( धारा 127)  ( 5 ) किसी राजबन्दी को निकल भग

अपराध का दुष्प्रेरण भारतीय दण्ड संहिता की धारा 107 क्या बताती है?Abetment of offense What does section 107 of the Indian Penal Code tell?

एक व्यक्ति जिसने स्वयं कोई अपराध ना किया हो किसी अपराध के कारित  होने में सहायक हो सकता है और इस प्रकार उसे दोषी ठहराया जा सकता है । जब किसी अपराध को करने में अनेक व्यक्ति भाग लेते हैं और उनमें से प्रत्येक उस अपराध से संबंधित  कोई न कोई या थोड़ा या बहुत कार्य करता है तो ऐसे अपराध में उनमें से प्रत्येक का योगदान माना जायेगा और उन सभी पर अपराधिक उत्तरदायित्व ( Criminal Liability ) आरोपित किया जायेगा । भारतीय दण्ड संहिता में यह व्यवस्था है कि केवल किसी अपराध या उसमें सक्रिय भाग लेना ही आपराधिक दायित्व के लिए पर्याप्त नहीं है बल्कि यदि कोई व्यक्ति अपराध करने के लिए दूसरों को उकसाता भी है या ऐसी सलाह देता है जिससे उकसान या सलाह देने के कारण दूसरा कोई अपराध कर बैठे तो ऐसी सलाह अभिप्रेरण ( Abetment ) | देने वाला व्यक्ति भी दण्ड का भागीदार होता है ।  A person who has not himself committed an offense can be an accessory to the commission of an offense and thus be held guilty.  When a number of persons take part in the commission of an offense and each of them is related to that offense If one or

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 87से लेकर 90 तक मे क्या बताया गया है ? विस्तार से उदाहरणार्थ समझाये ।What has been mentioned in section 87 to 90 of the Indian Penal Code? Explain in detail with example.

सहमति ( Consent ) - भारतीय दण्ड संहिता में सहमति की कोई परिभाषा नहीं दी गई है केवल धारा 90 में इस बात का उल्लेख किया गया है कि मान्य सहमति दण्ड संहिता की धारा 90 उपबंधित करती है कि " कोई सहमति ऐसी सम्मति नहीं है जैसी इस संहिता की किसी धारा से आशयित है । यदि सम्मति किसी व्यक्ति ने क्षति , मद के अधीन यदि तथ्य के भ्रम के अधीन दी हो और यदि कार्य करने वाला व्यक्ति यह जानता हो या उसके पास विश्वास करने का कारण हो कि ऐसे भ्रम के परिणामस्वरूप वह सम्मति दी गयी थी , अथवा    यदि वह सम्मति ऐसे व्यक्ति ने दी हो जो चित्त विकृति या मत्तता के कारण उस बात की जिसके लिये वह अपनी सम्मति देता है , प्रकृति और परिणाम को समझने में असमर्थ हो । । अथवा  जब तक कि सन्दर्भ में तत्प्रतिकूलित प्रतीत न हो यदि वह सम्मति ऐसे व्यक्ति ने दी है जो बारह वर्ष से कम आयु का है । " Consent - No definition of consent has been given in the Indian Penal Code, only in section 90 it has been mentioned that valid consent.  If the consent is given by a person under a misconception of fact, subject to injury, item, and if

नशे में व्यक्ति द्वारा किए गए अपराध - भारतीय दण्ड संहिता की धारा 85 और 86 क्या कहती है?Offenses committed by a person in a state of intoxication - what do sections 85 and 86 of the Indian Penal Code say?

 नशे में व्यक्ति द्वारा किए गए अपराध - भारतीय दण्ड संहिता की धारा 85 और 86 मे इस सम्बन्ध मे यह व्यवस्था की गयी है कि   अपनी इच्छा के विरुद्ध मदहोश कर दिये जाने की स्थिति में एक व्यक्ति का जो कि निर्णय देने मे असमर्थ है कार्य ( Act of a person incapable of judgment by reason of intoxication caused against his will) भारतीय दण्ड संहिता की धारा 85 के अनुसार कोई भी कार्य अपराध नही है जो कि उसे करते समय नशे के कारण उस कार्य के रूप  को यह कि जो कुछ वह करता है , वह दोषपूर्ण या विधि के प्रतिकूल है , इसके जानने में असमर्थ है किन्तु उस समय जबकि वह वस्तु जिससे उसको नशा हुआ है उसकी उसे अनजाने में उसकी इच्छा के विरुद्ध दी गई है ।  इस प्रकार नशे में धुत्त व्यक्ति को इस धारा के अन्तर्गत अपवाद का लाभ प्राप्त करने लिए यह सिद्ध करना होगा कि-  ( i ) वह कार्य की प्रवृत्ति को समझने में असमर्थ था , या  ( ii ) वह यह जानने में असमर्थ था कि जो कुछ वह कर रहा है , वह दोषपूर्ण या विधि के प्रतिकूल है।   ( iii ) वह चीज जिससे अभियुक्त को नशा हुआ था वह उसके अपने ज्ञान के बिना या इच्छा के विरुद्ध दी गई होना