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विदेशों में भारतीय कानून: IPC, UAPA, और अंतरराष्ट्रीय संधियों के तहत भारतीय अधिकार क्षेत्र की समझ

यातायात के चिन्ह लगवाने के कौन -कौन से लाभ होते है?What are the benefits of installing traffic signs?

  यातायात चिह्न लगवाने की शक्ति-  (1) (क) राज्य सरकार या राज्य सरकार द्वारा इन निमित्त प्राधिकृत कोई अधिकारी धारा 112 को उपधारा (2) के अधीन नियत किन्हीं गति सीमाओं को या धारा 115 के अधीन अधिरोपित किन्हीं प्रतिषेधों या निर्बन्धनों को या साधारणतया मोटर यान यातायात के विनियमन के प्रयोजन के लिए यातायात चिह्न को सार्वजनिक स्थान में रखवा या लगवा सकेगा अथवा रखने वा लगाने देगा।  Power to install traffic signs-  (1) (a) The State Government or any officer authorized by the State Government in this behalf may enforce any speed limits fixed under sub-section (2) of section 112 or any prohibitions or restrictions imposed under section 115 or the regulation of motor vehicle traffic generally;  For this purpose, a traffic sign may be placed or installed or allowed to be placed or installed in a public place. (ख) राज्य सरकार या राज्य सरकार द्वारा इन निमित्त प्राधिकृत कोई प्राधिकारी राजपत्र में अधिसूचना द्वारा या अनुसूची के भाग क में निर्दिष्ट समुचित यातायात चिह्न को उपयुक्त स्थानों में लग

बिना परमिट के वाहन के उपयोग करने पर क्या सजा दी जा सकती है?What is the punishment for using a vehicle without a permit?

  परमिट के बिना यान का उपयोग:-  (1) कोई व्यक्ति जो धारा 66 की उपधारा (1) के उपबन्धों के उल्लंघन में या ऐसे परमिट की उस मार्ग सम्बन्धी जिस पर और उस क्षेत्र सम्बन्धी, जिसमें और उस प्रयोजन सम्बन्धी, जिसके लिए उस यान का उपयोग किया जा सकेगा, किसी शर्त का उल्लंघन करके मोटर यान को चलायेगा, मोटर यान का उपयोग करायेगा या किये जाने देगा, वह प्रथम अपराध के लिए जुर्माने से, जो पाँच हजार रुपये तक हो सकेगा किन्तु दो हजार रुपये से कम नहीं होगा और किसी पश्चात्वर्ती अपराध के लिए कारावास से, जो एक वर्ष तक हो सकेगा किन्तु तीन मास के कम नहीं होगा या जुर्माने से, जो दस हजार रुपये तक हो सकेगा किन्तु पाँच हजार रुपये से कम नहीं होगा या दोनों से दण्डनीय होगा- Use of vehicle without permit:-  (1) Any person who, in contravention of the provisions of sub-section (1) of section 66 or any condition of such permit relating to the route over which and the area in which and the purpose for which the vehicle may be used,  drives a motor vehicle, causes a motor vehicle to be used or allows a motor vehicle to

अवश्यम्भावी दुर्घटनाएँ क्या है ? यह दैवीय कृत्य से किस प्रकार भिन्न है?What are inevitable accidents? How is it different from act of God?

अवश्यम्भावी दुर्घटनाएँ (Inevitable Accidents):- अवश्यम्भावी दुर्घटनाओं से तात्पर्य ऐसी दुर्घटनाओं से है जिन्हें किन्हीं सावधानियों से बचाया नहीं जा सकता है। इसका तापर्त्य ऐसी दुर्घटना नहीं है जिसका घटित होना पूर्णतया असम्भव हो, वरन् इसका तात्पर्य है कि उसे एक सामान्य व्यक्ति द्वारा युक्तियुक्त सतर्कता द्वारा रोकना सम्भव नहीं था। विधि किसी व्यक्ति से युक्तियुक्त सम्भावनाओं के प्रति सचेत होने की आशा करती है। परन्तु वह विलक्षण घटनाओं के प्रति सचेत होने के लिए बाध्य नहीं है। जैसे-यदि एक कार के ड्राइवर को कार चलाते समय दौरा पड़ता है और उससे दुर्घटना हो जाती है या वह गैराज से मरम्मत करवा के गाड़ी निकालने समय ब्रेक फेल हो जाने के कारण कोई दुर्घटना हो जाती है तो इन दोनों मामलों में अवश्यम्भावी दुर्घटना का बचाव लागू होगा। Inevitable Accidents:- Inevitable accidents refer to such accidents which cannot be avoided by taking any precautions.  It does not mean such an accident which is completely impossible to happen, but it means that it was not possible to prevent it by an ordinary person by taki

क्षति की दूरस्थता क्या होती है ? क्षति की दूरस्थता को निश्चित करने के लिये क्या नियम है?What is remoteness of damage? What are the rules for determining the remoteness of injury?

अपकृत्य हो जाने के बाद प्रतिवादी के दायित्व का प्रश्न उठता है। किसी दोषपूर्ण कार्य के अन्तहीन (endless) परिणाम हो सकते हैं, अथवा उसके परिणामों के भी परिणाम हो सकते हैं। उदाहरण के लिये, एक साइकिल सवार असावधानी के साथ एक ऐसे पदयात्री को ठोकर मारता है, जो अपने जेब में एक बम लेकर जा रहा था। पदयात्री जैसे ही भूमि पर गिरता है, बम का विस्फोट हो जाता है। पदयात्री और चार अन्य व्यक्ति जो सड़क पर से जा रहे थे, इस विस्फोट के कारण मृत्यु ग्रस्त हो जाते हैं। सड़क के समीप का एक भवन बम विस्फोट के परिणामस्वरूप आग में जलने लगता है, और असमें कुछ महिलायें और बच्चे गम्भीर रूप से जल जाते हैं। यहाँ प्रश्न यह उठता है कि साइकिल सवार इन समस्त परिणामों के लिये उत्तरदायी है ? After the commission of the tort, the question of the liability of the defendant arises.  A wrongful act can have endless consequences, or its consequences can also have consequences.  For example, a cyclist may inadvertently hit a pedestrian who was carrying a bomb in his pocket.  The bomb explodes as the pedestrian falls to the ground.  Pe

उसी जब इसी रेमिडियम का सूत्र जहां अधिकार है वहां उपचार भी है का क्या अर्थ है?What is the meaning of this Remidium formula, where there is authority, there is also a remedy?

जहाँ अधिकार है, वहाँ उपचार भी है (Ubi Jus Ibi Remidium) यह अपकृत्य विधि का एक महत्वपूर्ण सिद्धान्त है। इस सिद्धान्त के माध्यम से "विधिक क्षति" का अभिप्राय और अधिक स्पष्ट हो जाता है। विधिशास्त्रियों के अनुसार जहाँ कानूनी उपचार नहीं उपलब्ध है, वहाँ यह समझना चाहिए कि कानूनी, क्षति नहीं हुई है।" यदि किसी व्यक्ति को कोई अधिकार प्राप्त है तो उसे अधिकार की सुरक्षा के साधन भी प्राप्त होने चाहिए और अगर उस अधिकार के उपयोग में किसी तरह का अवरोध उत्पन्न किया जाता है तो उसके खिलाफ उपचार भी होना चाहिए। बिना उपचार के किसी अधिकार की कल्पना व्यर्थ होती है। अधिकार का अभाव तथा उपचार का अभाव परस्पर अभिन्न है। इस सूत्र से यह नहीं समझना चाहिए कि प्रत्येक नैतिक अथवा राजनैतिक दोष के लिए कानूनी उपचार प्राप्त हैं। इसके अंतर्गत तो सिर्फ कानूनी दोष तथा कानूनी उपचार का ही संबंध स्थापित होता है। ब्रेडले बनाम गॉसेट में न्यायमूर्ति स्टीफेन ने कहा था कि जहाँ कानूनी उपचार नहीं होता, वहाँ कानूनी दोष भी नहीं होता। Where there is a right, there is also a remedy (Ubi Jus Ibi Remidium)  This is an

सभी सिविल क्षतियाँ अपकृत्य नहीं होती का क्या मतलब है ? (All Civil Injuries are Not Tort)

सभी सिविल क्षतियाँ अपकृत्य नहीं होती (All Civil Injuries are Not Tort) किसी भी सिविल क्षति के अपकृत्य होने के लिए यह आवश्यक है कि उस क्षति में किसी व्यक्ति के कृत्य द्वारा दूसरे व्यक्ति में निहित तथा विधि द्वारा संरक्षित अधिकारों का उल्लंघन हुआ हो। किसी वास्तविक हानि का होना अपकृत्य के दोष के लिए आवश्यक नहीं है। दूसरी तरफ यदि किसी कृत्य से वास्तविक हानि तो हुई है परन्तु किसी विधिक अधिकार का उल्लंघन नहीं हुआ है तो वह क्षति अपकृत्य की श्रेणी में नहीं आती है। अपकृत्य की यह अवधारणा दो सूत्रों बिना हानि के अपकृति (Injuria Sine Damno) तथा विधिक अधिकार के उल्लंघन के बिना क्षति (Damno Sine Injuria) पर आधारित है। All Civil Injuries are Not Tort  For any civil injury to be a tort, it is necessary that in that injury, by the act of one person, the rights vested in another person and protected by law have been violated.  The existence of an actual loss is not essential to the culpability of tort.  On the other hand, if an act has caused actual loss but no legal right has been violated,

दुष्कृत्य कितने प्रकार के होते हैं?How many types of misdeeds are there?

दुष्कृत्यों के प्रकार (Kinds of Torts) अपकृत्य विधि में दुष्कृति के दो प्रकार माने जाते हैं- (1) बिना हानि के क्षति (Injuria Sine Damno) (2) बिना क्षति के हानि (Damno Sine Injuria) ( 1) बिना हानि के क्षति (Injuria Sine Damno)— इस सूत्र का तात्यर्य है कि बिना किसी वास्तविक क्षति के वादी के विधिक अधिकारों का उल्लंघन । यहाँ वादी को कोई वास्तविक क्षति होना आवश्यक नहीं है। इस सूत्र के अनुसार दुष्कृति के लिए यह आवश्यक है कि व्यक्ति में निहित विधिक अधिकारों का प्रतिवादी द्वारा अतिक्रमण किया गया हो, किसी वास्तविक क्षति अथवा नुकसान को सिद्ध करना आवश्यक नहीं है। विधि में व्यक्ति के अधिकारों को दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है। विशुद्ध अधिकार (absolute rights) एवं विशेषित अधिकार (Qualified rights)। विशुद्ध अधिकार विधि द्वारा संरक्षित अधिकार होते हैं इन अधिकारों का उल्लंघन मात्र अपने आप में वाद योग्य होता है। वादी को यह साबित करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है कि उसे किसी प्रकार की वास्तविक हानि हुई है जैसे अतिचार (Tresspass) का अपकृत्य । Kinds of Torts   In tort law, two types of tort ar

अपकृत्य तथा अपराध में क्या अन्तर है ?What is the difference between misdemeanor and crime?

अपकृत्य विधि की विशेषताएँ  ( Characteristics of the Tort-concept) (1) अपकृत्य विधि किसी व्यक्ति के अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित विधि है। विशेष परिस्थितियों में व्यक्तियों के मध्य, साधारण कानून के अनुसार अधिकार व कर्तव्य उत्पन्न होते हैं। इन कर्त्तव्यों व अधिकारों का उल्लंघन ही अपकृत्य कहलाता है। (2) अपकृत्य उन अनुचित कृत्यों से भिन्न होता है जो पूर्णरूपेण संविदा भंग के अन्तर्गत आते हैं। (3) अपकृत्य का उपचार दीवानी न्यायालय (civil court) में क्षतिपूर्ति के लिए दायर करके प्राप्त किया जा सकता है। (4) अपकृत्य एवं अपराध दोनों भिन्न हैं। (5) अपकृत्यपूर्ण दायित्व समाज के सभी व्यक्तियों के विरुद्ध होता है अतः समाज का प्रत्येक व्यक्ति अपकृत्य न करने के लिए बाध्य है। यह एक लोकलक्षी (Right in Rem) अधिकार है।  (6) अपकृत्य विधि का मुख्य उद्देश्य क्षतिपूर्ति हैं, अर्थात् पीड़ित व्यक्ति को यथासम्भव उस अवस्था में ला देना जिसमें कि वह अपकृत्य से पूर्व था । Characteristics of the Tort-concept  (1) Tort law is the law relating to the violation of the rights of a person.  In special circumstances, right

विनफील्ड के अपकृत्य की परिभाषा की सीमाक्षा का क्या मतलब है ?What is meant by the threshold of Winfield's definition of tort?

विनफील्ड के अपकृत्य की परिभाषा की सीमाक्षा:-   विनफील्ड द्वारा अपकृत्य की परिभाषा के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं-  (1 ) अपकृत्य का दायित्व, विधि द्वारा न कि पक्षकारों द्वारा पूर्व निश्चित किये हुये कर्त्तव्यों के भंग करने से उत्पन्न होता है-: अपकृत्यपूर्ण दायित्व की उत्पत्ति किसी कर्त्तव्य के उल्लंघन से होती है। इसके लिये यह आवश्यक है कि प्रतिवादी पूर्व निश्चित कर्त्तव्य का पालन करने के लिए बाध्य हो और उसकी यह बाध्यता विधि द्वारा आरोपित हो अर्थात् यदि वह अपने कर्त्तव्य का उल्लंघन करता है तो क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी होगा। इस आधार पर अपकृत्य को संविदा से भिन्न किया जा सकता है। अपकृत्य में कर्त्तव्य का निर्धारण विधि द्वारा होता है। जैसे यह प्रत्येक व्यक्ति का कर्त्तव्य है कि वह किसी दूसरे पक्षकारों का अपमान न करे, या चोरी न करे, या धोखाधड़ी न करे किन्तु संविदा में कर्त्तव्य की अवधारणा पक्षकारों की सहमति द्वारा ही होती है जैसे एक चित्रकार कुछ धनराशि के लिए चित्र बनाता है। इसकी अवधारणा उसकी अपनी सहमति पर निर्भर करती है। Limitation of Winfield's definition of tort:-   The main points