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क्या कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा हैं तो क्या वह दूसरी शादी धर्म बदल कर कर सकता है?If a person is already married, can he change his religion and marry again?

अवश्यम्भावी दुर्घटनाएँ क्या है ? यह दैवीय कृत्य से किस प्रकार भिन्न है?What are inevitable accidents? How is it different from act of God?

अवश्यम्भावी दुर्घटनाएँ (Inevitable Accidents):- अवश्यम्भावी दुर्घटनाओं से तात्पर्य ऐसी दुर्घटनाओं से है जिन्हें किन्हीं सावधानियों से बचाया नहीं जा सकता है। इसका तापर्त्य ऐसी दुर्घटना नहीं है जिसका घटित होना पूर्णतया असम्भव हो, वरन् इसका तात्पर्य है कि उसे एक सामान्य व्यक्ति द्वारा युक्तियुक्त सतर्कता द्वारा रोकना सम्भव नहीं था। विधि किसी व्यक्ति से युक्तियुक्त सम्भावनाओं के प्रति सचेत होने की आशा करती है। परन्तु वह विलक्षण घटनाओं के प्रति सचेत होने के लिए बाध्य नहीं है। जैसे-यदि एक कार के ड्राइवर को कार चलाते समय दौरा पड़ता है और उससे दुर्घटना हो जाती है या वह गैराज से मरम्मत करवा के गाड़ी निकालने समय ब्रेक फेल हो जाने के कारण कोई दुर्घटना हो जाती है तो इन दोनों मामलों में अवश्यम्भावी दुर्घटना का बचाव लागू होगा।

Inevitable Accidents:- Inevitable accidents refer to such accidents which cannot be avoided by taking any precautions.  It does not mean such an accident which is completely impossible to happen, but it means that it was not possible to prevent it by an ordinary person by taking reasonable care.  The law expects a person to be aware of reasonable possibilities.  But he is not bound to be conscious of singular events.  For example, if the driver of a car suffers a stroke while driving and gets into an accident or he gets an accident due to brake failure while taking out the car after getting it repaired from the garage, then in both these cases the inevitable accident is prevented.  will apply.


सर फ्रेडरिक पोलक के मतानुसार " अपरिहार्य या अवश्यम्भावी दुर्घटना वह होती है जिसे साधारण बुद्धि का व्यक्ति उन परिस्थितियों में आवश्यक सावधानी या सतर्कता के बरतने के बावजूद भी रोक नहीं सकता जिनमें वह कारित होती है। अवश्यम्भावी दुर्घटना ऐसे कार्य हैं जिन्हें साधारण बुद्धि एवं आवश्यक सतर्कता से भी उन परिस्थितियों में रोक नहीं सकता जिनमें ये घटित हुए। यदि सतर्कतापूर्ण ढंग से किए किसी कार्य से कोई क्षति होती है तथा ऐसी दशा में होती है जो नुकसानी का मुकदमा चलाने का आधार नहीं बनता है। मनुष्य को सम्भावित घटनाओं के प्रति सजग रहना चाहिए, कल्पित घटनाओं के नहीं। जैसे कि-

होमून बनाम माथेर में प्रतिवादी का नौकर दो घोड़ों को एक आम रास्ते पर ले जा रहा था। एक कुते के भौंकने से घोड़े भकड़ गये तथा अप्रत्याशित रूप से दौड़ने लगे। परिचायक ने उनकी नियन्त्रित करने के बहुत प्रयास किए परन्तु वह उनको नियन्त्रित न कर सका और एक तीक्ष्ण मोड़ पर वादी से भिड़ गये और वादी गम्भीर रूप से घायल हो गया। न्यायालय ने निर्णय दिया कि प्रतिवादी दायी नहीं था।

According to Sir Frederick Pollock, "An inevitable or inevitable accident is one which a person of ordinary prudence could not have prevented in spite of having exercised due care or caution in the circumstances in which it is caused. Inevitable accidents are those acts which ordinary prudence and necessary prudence could not prevent."  in the circumstances in which they occurred. If any injury is caused by an act done prudently and in a condition which does not constitute a ground for suing for damages.  Need, not of imaginary events, such as-


 In Homun v. Mather, the defendant's servant was leading two horses along a common path.  The barking of a dog startled the horses and unexpectedly started running.  The attendant made many efforts to control them but he could not control them and at a sharp turn collided with the plaintiff and the plaintiff was seriously injured.  The Court ruled that the defendant was not liable.


इसी प्रकार एक अन्य वाद में स्टेनली बनाम पावेल में वादी तथा प्रतिवादी दोनों एक ही शिकारी दल के सदस्य थे शिकार खेलने के दौरान प्रतिवादी द्वारा पक्षियों पर चलाई गई एक गोली एक पेड़ की शाखा पर लग कर वापस लौट गई तथा वादी के लग गई जिससे वादी घायल हो गया। इस वाद में न्यायालय द्वारा यह धारित किया गया कि वादी की चोट लगना एक शुद्ध दुर्घटना थी अतः प्रतिवादी को दायी नहीं ठहराया गया। अवश्यम्भावी दुर्घटना के बचाव की सीमा बड़ी ही सीमित है ऐसा कोई सामान्य सिद्धान्त नहीं है कि आवश्यम्भावी दुर्घटना एक अच्छा बचाव है। कठोर दायित्व के मामलों में अवश्यम्भावी दुर्घटना का विशेष रूप जिसे दैवीकृत्य कहते हैं एक अच्छा बचाव है। अन्य कई मामलों जैसे उपेक्षा के अपकृत्य में इसे अच्छा बचाव नहीं माना गया है। जैसे कि-

ब्राउन बनाम केण्डाल के केस में है। एक बार वादी एवं प्रतिवादी के कुत्ते आपस में लड़ रहे थे। प्रतिवादी कुत्तों को छुड़ाने के लिए उनको मार रहा था और वादी वहाँ खड़ा इस घटना को देख रहा था। इसी बीच प्रतिवादी द्वारा वादी की आँख में चोट लग गई। वादी ने नुकसानी के लिए प्रतिवादी पर मुकदमा चलाया। कोर्ट ने निर्णय दिया कि प्रतिवादी का कार्य अपरिहार्य घटना थी, जिसमें असावधानी या सतर्कता की बात नहीं आती। लड़ते हुए कुत्तों को अलग करना एक उचित कार्य था और उसी बीच यदि वादी की आँख में चोट लग गई तो वादी को नुकसानी प्राप्त करने का कोई हक नहीं।

Similarly, in Stanley v. Powell, in another case, both the plaintiff and the defendant were members of the same hunting party, a shot fired by the defendant at a bird while hunting hit a tree branch and returned and hit the plaintiff, causing injury to the plaintiff.  got injured.  In this case it was held by the Court that the injury caused to the plaintiff was a pure accident and therefore the defendant was not held liable.  The extent of the defense of inevitable accident is very limited There is no general principle that inevitable accident is a good defence.  In cases of strict liability, a special form of inevitable accident called deviability is a good defence.  In many other cases, such as in the tort of negligence, it has not been held to be a good defence.  As if-


 In the case of Brown v. Kendall.  Once the dogs of the plaintiff and the defendant were fighting with each other.  The defendant was killing the dogs to get rid of them and the plaintiff was standing there watching the incident.  In the meanwhile the plaintiff's eye was hurt by the defendant.  The plaintiff sued the defendant for damages.  The Court held that the defendant's act was an inevitable event, which did not amount to negligence or carelessness.  It was a proper act to separate the fighting dogs and in the meantime if the plaintiff's eye was injured, the plaintiff was not entitled to damages.



अवश्यम्भावी दुर्घटना तथा दैवीय कृत्य में अन्तर अवश्यम्भावी दुर्घटनाएँ को दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-

(I) ऐसी दुर्घटनाएँ जो प्राकृतिक कारणों से होती हैं तथा जो किसी भी प्रकार से मानवीय कारणों पर निर्भर नहीं होती हैं, तथा 


(II) ऐसी दुर्घटनाओं जो आंशिक अथवा पूर्णरूप से मानवीय कारणों से होती हैं तथा जिनके घटने में प्राकृतिक कारणों का कोई योगदान नहीं होता है।



               इनमें से प्रथम प्रकार की घटनाओं को दैवीय कृत्य कहते हैं तथा दूसरे प्रकार की घटनाएँ अवश्यम्भावी दुर्घटनाओं के अन्तर्गत आती हैं। अतः दैवीय कृत्य तथा अवश्यम्भावी दुर्घटनाओं में मुख्य अन्तर यह है कि दैवीय कृत्य ऐसी असाधारण घटनाओं को कहा जाता है जो प्राकृतिक कारणों से होती हैं। ऐसी घटनाएँ मानवीय कारणों से घटित नहीं होतीं और किसी भी प्रकार की दूरदर्शिता तथा सावधानीपूर्ण व्यवहार से इनसे बचा नहीं जा सकता था। जबकि अवश्यम्भावी दुर्घटनाएँ पूर्ण अथवा आंशिक रूप से मानवीय कारणों पर निर्भर होती हैं।

Difference between inevitable accident and divine act Inevitable accidents can be divided into two categories-


 (I) accidents which are caused by natural causes and which do not depend in any way on human causes, and



 (II) Such accidents which are caused partly or wholly by human causes and in the occurrence of which natural causes have no contribution.




 Out of these, the first type of incidents are called divine acts and the second type of incidents come under inevitable accidents.  Therefore, the main difference between divine act and inevitable accidents is that such extraordinary events are called divine acts which happen due to natural reasons.  Such incidents do not happen due to human reasons and could not have been avoided by any kind of foresight and careful behavior.  While inevitable accidents are fully or partially dependent on human causes.


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