वेश्यावृत्ति की समस्या { Problem of Prostitution ):- वेश्यावृत्ति की उत्पत्ति और विकास का वर्णन करते हुये टैफ्ट ने कहा है कि "जब विवाह की प्रथा कमजोर हुई वेश्यावृत्ति भी पतन की ओर उन्मुख होती गयी। अतः एक प्रकार से वेश्यावृत्ति नैतिकता का एक आवरण है।" पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव तथा भारतीय नैतिक दृष्टिकोण में तेजी से व्हास के कारण भारत में आज वेश्यावृति को एक अपरिहार्य आवश्यकता तथा लोगों के सामान्य नैतिक आचरण को रक्षा के साधन के रूप में स्वीकार कर लिया लिया गया है। इतिहास बताता है कि भारत में वेश्यावृत्ति की प्रथा प्राचीन काल में चली आ रही है। हिन्दु राजाओं के समय में देवदासियाँ आदि होती थी। इस काल में नगर वधु के नाम से वेश्याओं को बुलाया जाता था। मुस्लिम शासक ऐश्वर्यवान और कामुक्त होते थे। वेश्यावृत्ति को अपनाने वाले लोगों के बीच नैतिक मूल्यों के प्रति श्रद्धा और आत्म-नियंत्रण की भावना का विकास होगा तभी इसे रोका जा सकेगा। वेश्यावृत्ति जिसे देह व्यापार या जिस्मफरोशी के नाम से भी जाना जाता है। एक ऐसा सामाजिक मुद्दा है जिसकी जड़ें गहरी हैं और
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