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Aibe exam में संवैधानिक कानून (Constitutional Law) से पूछे जाने वाले कम से कम 350 प्रश्न

वेश्यावृत्ति से आप क्या समझते हो सरकार इसको कैसे रोक सकती है?

वेश्यावृत्ति की समस्या { Problem of Prostitution ):- वेश्यावृत्ति की उत्पत्ति और विकास का वर्णन करते हुये टैफ्ट ने कहा है कि "जब विवाह की प्रथा कमजोर हुई वेश्यावृत्ति भी पतन की ओर उन्मुख होती गयी। अतः एक प्रकार से वेश्यावृत्ति नैतिकता का एक आवरण है।" पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव तथा भारतीय नैतिक दृष्टिकोण में तेजी से व्हास के कारण भारत में आज वेश्यावृति को एक अपरिहार्य आवश्यकता तथा लोगों के सामान्य नैतिक आचरण को रक्षा के साधन के रूप में स्वीकार कर लिया लिया गया है। 

      इतिहास बताता है कि भारत में वेश्यावृ‌त्ति की प्रथा प्राचीन काल में चली आ रही है। हिन्दु राजाओं के समय में देवदासियाँ आदि होती थी। इस काल में नगर वधु के नाम से वेश्याओं को बुलाया जाता था। मुस्लिम शासक ऐश्वर्यवान और कामुक्त होते थे। वेश्यावृत्ति को अपनाने वाले लोगों के बीच नैतिक मूल्यों के प्रति  श्रद्धा और आत्म-नियंत्रण की भावना का विकास होगा तभी इसे रोका जा सकेगा। 

              वेश्यावृत्ति जिसे देह व्यापार या जिस्मफरोशी के नाम से भी जाना जाता है। एक ऐसा सामाजिक मुद्दा है जिसकी जड़ें गहरी हैं और दूरगामी परिणाम सामने लाती हैं। यह केवल धन  के लेन देन से परे एक जटिल विषय है, जिसमें शामिल लोगों के जीवन स्वास्थ्य और सुरक्षा गंभीर रूप से प्रभावित होती है ।


     यध्द्पि वेश्यावृत्ति की कोई निश्चित परिभाषा देना कठिन है फिर भी यह कहा जा सकता है कि वेश्यावृत्ति धन की प्राप्ति के लिये एक  या अनेक व्यक्तियों के साथ किया गया यौन सम्बन्ध है।

[1] कलीनर्ड  के अनुसार : वेश्यावृत्ति  एक भेद रहित धन की प्राप्ति हेतु यौन सम्बन्ध की ऐसी स्थापना है जिसमें उद्वेगात्मक उदासीनता रखती है। 


 (2) इलियट के अनुसार" वेश्यावृत्ति एक गैर कानूनी यौन संबंध संयोजन है और भावनात्मक विभेदों सहित एक आवश्यक आधार है " ।


3] स्टार्क के अनुसार : एक व्यक्ति [पुरुष या स्त्री । जो किसी प्रकार के व्यक्तिगत सन्तोष के लिये पूर्ण या अर्ध समय के व्यवसाय के रूप में बहुत से व्यक्तियों के साथ जो उसी लिंग या दूसरे लिग के हो, सामान्य या असामान्य सम्बन्ध स्थापित करने में व्यस्त हो, उसे वेश्या कहते हैं।



 वेश्यावृत्ति के कारण [ Couses of Prostitution:- वेश्यावृत्ति के पीछे कोई एक कारण नहीं है बल्कि यह कई सामाजिक और आर्थिक असमानताओं का मिलाजुला परिणाम है। आइये इन जटिलताओं को समझाने का प्रयास करें !-


 • गरीबी और बेरोजगारी:- अक्सर गरीबी और रोजगार के अभाव में महिलाओं और बच्चों मे जिस्मफरोशी के दलदल में धकेल दिया जाता है। बेहतर भविष्य की आस टूट जाने पर वेश्यावृत्ति उनके लिये जीविका का एकमात्र सहारा बनकर रह जाती है।


 • शिक्षा की कमी :- शिक्षा का अभाव जागरुकता लाने में बाधा बनता है। महिलायें अपने अधिकारों और वैकल्पिक रोजगार के अवसरों से अनजान रहती है जिससे उन्हें शोषण का शिकार - होना पड़ता है।

 • सामाजिक बहिष्कार और लैंगिक भेदभाव : कई समाजों में वेश्याओं को हेय दृष्टि से देखा जाता है, इस सामाजिक कलंक के कारण वेश्यावृत्ति छोड़ने के बाद भी उन्हें समाज में स्वीकार नहीं किया जाता जिससे उनके जीवन-यापन के साधन सीमित हो जाते हैं।


 • अज्ञानता [Ignorance] कभी-कभी अज्ञानता के कारण प्रलोभनों के वशीभूत होकर लडकियाँ धूर्त लोगों की चाल में फंसकर अपने घर से भाग जाती हैं। इस प्रकार धूर्त लोगों के चंगुल में फंसने के बाद वे लड़कियाँ वेश्यावृत्ति हेतु बाध्य हो जाती हैं। 


 • नैतिक पतन [ Moral Depression ]:- समाज के कुछ लोगों का इतना नैतिक पतन हो गया है कि वे अपने स्वार्थ को पूरा करने हेतु उच्च सामाजिक  लोगों को अपनी लड़कियों को पेश कर देते हैं ऐसी लडकियां बाद में कालगर्ल बन जाती है।


 धार्मिक अन्धविश्वास [ Religious. Orthodox7 प्राचीन काल में दक्षिण भारत में देवदासी प्रथा प्रचलित थी जिसके अनुसार मंन्दिरों में विराजमान देवता [ मूर्ति से कन्याओं की शादी करके उन्हें मंदिर में समर्पित किया जाता था और उन्हें देवदासी कहते थे। आरम्भ में मंदिर में वंश दर वंश सेवक होने के कारण इन्हें प्रशिक्षित अध्यापकों द्वारा नृत्य और गायन का प्रशिक्षण दिया जाता था तथा आर्थिक सहायता भी दी जाती थी किन्तु बाद में ऐसी सहायता के अभाव में में वेश्यावृत्ति करने हेतु विवश हो गयी ।


• जातिगत प्रथा [ caste System ):- कुछ पिछडी जातियों में यह प्रथा है कि वे अपनी नाबालिक कन्याओं को प्रथा के रुप में वेश्यावृत्ति के लिये प्रशिक्षित करते हैं । इस प्रकार अकारण ये ही लड़‌कियाँ जातिगत प्रथा की शिकार होकर वेश्यावृत्ति की ओर धकेल दी जाती हैं।


 [2] आर्थिक कारण [ Economic factors]→ जब समाज में रोजी-रोटी की गारन्टी न हो तो ' बेसहारा - औरतें सब कुछ सहन करने के लिये मजबूर हो जाती हैं। भूख से तड़पते बच्चे की छाती की - हड्डियों से लगाते हुये कड़कती सर्दी में आसमान के नीचे राते काट्ने गली स्त्री से नैतिकता की आशा रखना मूर्खता की बात होगी। अता भूख और आर्थिक कठिनाइयों से पीडित महिलायें अपने शरीर को खुले बाजार में बेचने को मजबूर हुआ करती है ।


• मानव तस्करी: दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से मानव तस्करी का जाल वेश्यावृत्ति को बढावा देता है। कम उम्र के लड़कियों और महिलाओं को धोखे से या. बलपूर्वक देह व्यापार में डाल दिया जाता है। 


• मानसिक स्वास्थ्य समस्यायें: गरीबी, हिंसा और तनाव जैसी परिस्थितियां अवसाद, चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकती हैं। इन मुश्किलों से निकलने के लिये कुछ महिलायें वेश्यावृत्ति का सहारा ले लेती हैं।


[3] मनोवैज्ञानिक कारण [ Psychological factor]: गरीबी, बेकारी। बच्चों की चिन्ता, कठोर पेशा तथा बिलासी जीवन बिताने को इच्छा स्त्रियों को मनोवैज्ञानिक रूप से भी वेश्यावृत्ति हेतु अग्रसर करती है। इनके अलावा निम्नलिखित मनोदशाएं भी वेश्यावृति के लिये उत्तरदायी हैं-


 [a] दुर्बल बुद्धि [ Feeble-mindedness): कुछ महिलायें  मन्द-बुद्धि की होती हैं कि उन्हें अपने भले - बूरे का ज्ञान नहीं होता और वे चालाक लोगों के बहकावे में आकर उनके साथ भाग जाती है। ये लोग उन्हें अपनी आय का साधन बना लेते हैं और उनके शरीर का व्यापार करते हैं।


 [b] अन्तर्दन्द [conflict ]! महिलायें बहुत ही भावुक और संवेदनशील होती है ।नारी अपने संवेगों को - प्रकट न करके  जब वह उन्हें दबा लेती है। किन्तु पारिवारिक द्वेष पीड़ा आदि से तंग आ जाती है, तब एक ऐसी स्थिति आती है कि वह उस सीमा को पार करके आवेश में उसके कदम बहक जाते हैं। जिसके कारण अपनी परिस्थितियों को सही करने के लिये वह गलत रास्ते का चुनाव कर बैठती है।


 [c] प्रेम व स्नेह का अभाव [ want of love and Affection]: कुछ परिवारों में लड़कियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है। ये लड़किया धूर्त लोगों को अपना हमदर्द मानकर उनके साथ घर छोड़कर भाग जाती है। जहाँ से वे वेश्याओं के कोठों पर पहुच जाती है।


महिलाओं को वेश्यावृत्ति से कैसे बचाया जाये ?

भारत सरकार वेश्यावृत्ति को कम करने और इसके  दुष्परिणामों को कम करने के लिये कई कदम उठा रही है। इनमें शामिल हैं:- 

कानूनी उपाय :


 • अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम 1956: यह अधिनियम वेश्यालय चलाने, तस्करी और सार्वजनिक स्थानों पर वेश्यावृत्ति को प्रतिबन्धित  करता है।

 • बाल यौन शोषण निवारण अधिनियम 2012: यह अधिनियम नाबालिगों के साथ यौन सम्बन्ध बनाने को अपराध घोषित करता है और सख्त सजा का प्रावधान करता है। 


सामाजिक पहल : 

• जागरुकता अभियान: सरकार वैश्यावृत्ति के  खतरों और इसके बजाये उपलब्ध विकल्पों के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिये अभियान चलाती है।


  

 • पुनर्वास कार्यक्रम :वेश्यावृत्ति छोड़ने वाली महिलाओं को आश्रम शिक्षा कौशल प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर प्रदान जाते हैं। 


• आर्थिक सशक्तिकरण : गरीबी की वेश्यावृति के मुख्य कारणों में से एक माना जाता है। सरकार गरीब महिलाओं को आर्थिक रुप से सशक्त बनाने के लिये योजनायें चलाती है ताकि वे वेश्यावृत्ति पर निर्भर न रहे।


संस्थागत ढांचा 

• राष्ट्रीय महिला आयोगः यह आयोग महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करता है और वेश्यावृत्ति से पीडित महिलाओं को सहायता प्रदान करता है।


 • राज्य महिला आयोग: राज्य स्तर पर भी महिला आयोगों का गठन किया गया है जो वेश्यावृत्ति से सम्बन्धित मुद्दों पर काम करते हैं।-


 सिविल सोसाइटी की भागीदारी :- 


• गैर-सरकारी संगठन [ एनजीओ) :- कई एनजीओं वेश्यावृत्ति से पीडित महिलाओं और बच्चों के पुनर्वास और सहायता के लिये काम करते हैं।


 • सामाजिक कार्यकर्ता: सामाजिक कार्यकर्ता वेश्यावृति के खिलाफ जागरुकता पैदा करने और पीडितों को सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


 यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है- 


• वेश्यावृत्ति में शामिल सभी महिलाये स्वेच्छा से नहीं होती है।

 • कई महिलायें गरीबी; मजबूरी या तस्करी के कारण इसमें फंस जाती हैं।

 • हमें वेश्यावृत्ति को कम करने के लिये प्रभावी और मानवीय समाधान खोजने के लिये मिलकर काम करना चाहिये।


 निष्कर्ष: वेश्यावृत्ति एक जटिल सामाजिक समस्या है, जिसके लिये कानूनी, सामाजिक और आर्थिक  उपायों के संयोजन की आवश्यकता होती है। सरकार वेश्यावृत्ति को कम करने के लिये कई कदम उठा  रही है लेकिन यह एक सतत प्रयास है जिसके लिये सभी का सहयोग आवश्यक है ।"  हमें वेश्यावृत्ति से जुडे कलंक को कम करना चाहिये और उन महिलाओं का समर्थन करना चाहिये जो इससे बाहर निकलना चाहती है। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि वेश्यावृति में शामिल महिलाये भी सम्मान और गरिमा के साथ जीने की हकदार हैं। 


     भारत में वेश्यावृत्ति की गैरकानूनी नहीं माना जाता है लेकिन अनैतिक व्यापार [ निवारण अधिनियम 1956 के तहत इससे जुड़ी कुछ गतिविधियों की दडनीय अपराध माना जाता है। इनमें शामिल है:- あ 


• वेश्यालय चलाना :- इसके लिये दो साल तक की जेल और दो हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। "दोबारा अपराध करने पर पांच साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है। 


• किसी वेश्या की कमाई पर जीना :- 16 साल से अधिक उम्र का कोई व्यक्ति यदि किसी वेश्या की कमाई पर निर्भर करता है तो उसे 'दो साल तक की जेल या एक हजार रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। यदि वह किसी नाबालिग वेश्या की कमाई 'पर निर्भर -करता है तो उसे कम से कम सात साल और अधिकतम दस साल तक की जेल हो सकती है।

 • किसी नाबालिग को वेश्यावृत्ति में लाना या  उसे रखना इसके लिये दस साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।


 • जबरदस्ती  वैश्यावृत्तिः किसी को वेश्यावृत्ति के लिये मजबूर करना या धमकाना भी अपराध है। इसके लिये कारावास की सजा हो सकती है। 



नोट:-+यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह अधिनियम वेश्यावृति करने वाली महिलाओं को दंडित नहीं करता है ।

• मानव तस्करी और शोषण को रोकना : → विशेष रूप से नाबालिगों और महिलाओं का ।


 • वेश्यालयों और सार्वजनिक वेश्यावृत्ति को ख़त्म करना जो सामाजिक अशान्ति और अपराध को बढ़ावा दे सकते है। 



 • पीडितों का पुनर्वासा वेश्यावृत्ति में फंसी महिलाओं और बच्चों को सहायता और पुनर्वास प्रदान करना।


 Note: यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वेश्यावृत्ति से जुड़े कई सामाजिक और आर्थिक मुद्दे हैं। वेश्या वृत्ति में फंसी महिलाओं की अक्सर गरीबी, भेदभाव और हिंसा का सामना करना पड़ता है।



 इस समस्या का समाधान करने के लिंग व्यापक प्रयासों की आवश्यकता है जिसमें :-


 • सामाजिक जागरुकता बढ़ना:- वेश्यावृत्ति ये जुड़े कलंक और भेदभाव को दूर करना ।

 • आर्थिक सशक्तिकरण वेश्यावृत्ति में फसी महिलाओं को वैकल्पिक आजीविका के अवसर  प्रदान करना।

शिक्षा और कौशल विकास : उन्हें शिक्षा और कौशल प्रदान करना जिससे वे समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सके। 


कानूनी सहायता: पीडितों को कानूनी सहायता और सुरक्षा प्रदान करना।


 Note :-अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम वेश्यावृत्ति से जुडी कुछ गतिविधियों की नियंत्रित करने में मदद करता है, लेकिन यह. एक जटिल सामाजिक समस्या है जिसके लिये व्यापक समाधान की आवश्यकता है।




    

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