भारत में Adoption की प्रक्रिया क्या होती है? Adoption के लिये किन शर्तों को पूरा किया जाना अति आवश्यक है ? विस्तार से बताओ।
हिन्दू दत्तक ग्रहण [Hindu Adoption] भारतीय समाज की एक प्राचीन और महत्वपूर्ण प्रथा है, जो धार्मिक, सामाजिक और कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यह प्रक्रिया न केवल बच्चों के जीवन को सुधारने का एक माध्यम है बल्कि यह उन परिवारों के लिये भी एक नई उम्मीद की किरण है जो संतान की कमी से जूझ रहे होते हैं। कानूनी भाषा में दत्तक ग्रहण को परिभाषित किया जाये तो अपनी सन्तान के समान किसी अन्य व्यक्ति की सन्तान को विधिक प्रास्थिति [ Legal Status ] प्रदान करने को दत्तक ग्रहण कहते हैं। दत्तक ग्रहण से माना जाता है कि Adopt बच्चे का दत्तक ग्रहीता के घर में पुनार्जन्म [Re-Birth हुआ है तथा दत्तक देने वाले के घर में उसकी कानूनी मृत्यु [Legal Death] हो गयी है। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि : Adoption की प्रथा का उल्लेख प्राचीन हिन्दु धर्मग्रन्थों जैसे मनुस्मृति और धर्मशास्त्रों में मिलता है। वेदों में इसे पुण्य कार्य माना गया है और इसे संतानहीन दंपतियों के लिये वरदान के रूप में देखा गया है। प्राचीन काल में दत्तक ग्रह