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विदेशों में भारतीय कानून: IPC, UAPA, और अंतरराष्ट्रीय संधियों के तहत भारतीय अधिकार क्षेत्र की समझ

POCSO अधिनियम(Act) क्या होता है? यह बच्चों के किन अधिकारों को सुरक्षित करने का कार्य करता है?

                     POCSO अधिनियम: बच्चों को यौन शोषण से सुरक्षा की एक कानूनी ढाल→    बच्चों के यौन शोषण के बढ़ते मामलों को देखते हुए, भारत सरकार ने बच्चों को यौन अपराधों से बचाने और उनके अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 14 नवंबर 2012 को Protection of Children from Sexual Offences Act (POCSO) लागू किया। यह अधिनियम संयुक्त राष्ट्र के बाल अधिकारों पर कन्वेंशन (1992) के अनुसमर्थन के परिणामस्वरूप तैयार किया गया था। POCSO अधिनियम का उद्देश्य बच्चों के प्रति यौन अपराधों को कठोर सजा के प्रावधानों के साथ परिभाषित करना और उनकी सुरक्षा के लिए एक स्पष्ट कानूनी ढांचा तैयार करना है। POCSO अधिनियम की विशेषताएँ→ 1. लिंग-निष्पक्षता (Gender-Neutrality)→ POCSO अधिनियम की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह लिंग-निष्पक्ष (gender-neutral) है। यानी, यह कानून लड़के और लड़कियों दोनों को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है। किसी भी 18 साल से कम उम्र के व्यक्ति को "बच्चा" के रूप में परिभाषित किया गया है और पीड़ित के लिंग के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होता। 2. यौन अपराधों

धारा 498A महिलाओं की सुरक्षा और दुरुपयोग पर न्यायालयों की भूमिका

भारतीय समाज में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कानून बनाए गए हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण कानून है भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498A। इस कानून का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को उनके पति या ससुराल वालों द्वारा की जाने वाली क्रूरता और दहेज से जुड़ी हिंसा से बचाना है। यह कानून तब लागू होता है जब किसी महिला को उसके पति या ससुराल पक्ष द्वारा शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है, खासकर दहेज की मांग के संदर्भ में। हालांकि, समय के साथ इस कानून के दुरुपयोग को लेकर भी कई सवाल उठे हैं। धारा 498A का उद्देश्य:- धारा 498A का मुख्य उद्देश्य है, महिलाओं को उनके पति और ससुराल पक्ष द्वारा किसी भी प्रकार की क्रूरता से बचाना। इस कानून के तहत "क्रूरता" का मतलब है किसी महिला को इस हद तक प्रताड़ित करना कि वह आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाए, या उसके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचे। इसके अलावा, यह कानून दहेज की मांग को लेकर महिलाओं को प्रताड़ित करने वाले व्यवहार को भी कवर करता है।       यह कानून गैर-जमानती (Non-Bailable) और संज्ञेय (Cognizable) अपराधों की श्रेण