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भारतीय जेलों में जाति आधारित भेदभाव: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला और इसके प्रभाव

एनआरआई विवाह: प्रक्रिया, दस्तावेज़, चुनौतियाँ और समाधान की पूरी जानकारी

एनआरआई विवाह: प्रक्रिया, चुनौतियाँ, और समाधान भारत में शादी केवल दो व्यक्तियों का ही नहीं, बल्कि उनके परिवारों और सांस्कृतिक परंपराओं का भी मेल है। खासकर एनआरआई विवाह (Non-Resident Indian Marriage) का मामला थोड़ा अलग और खास होता है। ऐसे विवाहों में न केवल भावनाएँ, बल्कि कानूनी प्रक्रियाएँ और सांस्कृतिक विविधताएँ भी शामिल होती हैं। इस ब्लॉग में हम एनआरआई विवाह से जुड़ी हर जरूरी जानकारी को सरल और विस्तार से साझा करेंगे। एनआरआई विवाह क्या है? एनआरआई विवाह वह है जिसमें शादी में शामिल व्यक्ति भारतीय मूल का हो लेकिन विदेश में रहता हो, या एक साथी भारत का हो और दूसरा विदेश में। यह विवाह भारत और दूसरे देशों के कानूनों के तहत होता है, जिससे यह और भी जटिल हो जाता है। उदाहरण: अभिषेक, जो अमेरिका में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, की शादी भारत में रहने वाली प्रियंका से तय होती है। अभिषेक को भारत में शादी की प्रक्रिया पूरी करने के लिए कई कानूनी औपचारिकताएँ पूरी करनी होंगी। एनआरआई विवाह के लिए जरूरी दस्तावेज शादी में किसी भी प्रकार की परेशानी से बचने के लिए दोनों पक्षों को निम्न दस्तावेज...

POCSO अधिनियम(Act) क्या होता है? यह बच्चों के किन अधिकारों को सुरक्षित करने का कार्य करता है?

                     POCSO अधिनियम: बच्चों को यौन शोषण से सुरक्षा की एक कानूनी ढाल→    बच्चों के यौन शोषण के बढ़ते मामलों को देखते हुए, भारत सरकार ने बच्चों को यौन अपराधों से बचाने और उनके अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 14 नवंबर 2012 को Protection of Children from Sexual Offences Act (POCSO) लागू किया। यह अधिनियम संयुक्त राष्ट्र के बाल अधिकारों पर कन्वेंशन (1992) के अनुसमर्थन के परिणामस्वरूप तैयार किया गया था। POCSO अधिनियम का उद्देश्य बच्चों के प्रति यौन अपराधों को कठोर सजा के प्रावधानों के साथ परिभाषित करना और उनकी सुरक्षा के लिए एक स्पष्ट कानूनी ढांचा तैयार करना है। POCSO अधिनियम की विशेषताएँ→ 1. लिंग-निष्पक्षता (Gender-Neutrality)→ POCSO अधिनियम की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह लिंग-निष्पक्ष (gender-neutral) है। यानी, यह कानून लड़के और लड़कियों दोनों को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है। किसी भी 18 साल से कम उम्र के व्यक्ति को "बच्चा" के रूप में परिभाषित किया गया है और पीड़ित के लिंग के आधार ...