भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS 2023) की 100:-→
आपराधिक मानव वध:→
भारतीय न्याय संहिता, 2023 में पुराने भारतीय दण्ड संहिता [IPC] के स्थान पर नये ढांचे के तहत धारा 299 को धारा 100 के रूप में समाहित किया गया है।
भारतीय दण्ड संहिता 1860 [IPC] की धारा 299 :-→
आपराधिक मानव वध [culpable Homicide]: -→ Section 299 के अनुसार, जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु कारित करने के आशय से या ऐसी शारीरिक क्षति मृत्यु कारित हो जाना सम्भाव्य हो या यह ज्ञान रखते हुये कि या सम्भाव्य है कि वह उस कार्य से मृत्यु कारित कर दे या इस ज्ञान के साथ कि उसके कृत्य से मृत्यु हो सकती है, " तो वह आपराधिक मानव [culpable Homicide] कहलाता है।
मुख्य तत्त्त [Essential Ingredients]:→
→मृत्यु होनी चाहिये [ Death must occur]
→•कार्य जानबूझकर या मृत्यु की संभावना को जानते हुये किया गया हो (Intention or knowledge
→ • कार्य का कारण सीधा या अप्रत्यक्ष रूप से मृत्यु से जुड़ा हो [Direct mexus with death)
धारा 299 जोकि IPC का section है जिसको और सरल और स्पष्ट शब्दों में जानते है क्योकि यदि हमने इस Section की स्पष्ट तरीके से समझ लिया तो BNS का New section जोकि कि section 100 पूरा का पूरा एक ही तरह से परिभाषित है केवल Section 100 को सरल भाषा में परिभाषित किया गया है।
धारा 299 के अनुसार :- →
→•जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है
[1] मृत्यु कारित करने का इरादा रखते हुए, या
[2] ऐसा कार्य करते समय यह जानते हुये कि उसका कार्य मृत्यु का कारण बन सकता है। तो वह आपराधिक मानव वध [Calpable Homicide] करता है।
सरल शब्दों में यदि किसी के कार्य से किसी की जान जाती है और उस कार्य से जानबूझकर मारने का इरादा वा ज्ञान है किसी की मृत्यु हो सकती है तो यह आपराधिक मानव वध कहलाता है।
[2] भारतीय न्याय संहिता, 2023 में इसका स्थान धारा [Section] 100 ने ले लिया:→
धारा 100 [ BNS 2023] में IPC, section 299 की ही तरह से यह कहता है कि जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की मृत्यु का कारण इस आशय से करता है या इस ज्ञान के साथ करता है कि उसके द्वारा या उसके द्वारा किए गये कृत्य के कारण किसी भी व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है, तो वह आपराधिक मानव वध करता है।
स्पष्टीकरण: → मूल सिद्धांत वहीं है - केवल कानून को और स्पष्ट और सरल भाषा में लिखा गया है और कुछ शब्दों को अपतन किया गया है।
[७] महत्वपूर्ण बिंदु :→
• इरादा (Intention] होना या
•ज्ञान(knowledge) होना कि कार्य से मृत्यु संभव है, इन दोनों में से कोई एक तत्व होना आवश्यक है।
•सभी हत्यायें आपराधिक मानव वध होती है, लेकिन हर आपराधिक मानव वध हत्या [ murder] नहीं होती ।
Important : → (मर्डर और कुलपेबल होमिसाइड में अन्तर IPC की धारा ३००/ BNS की धारा 101 में बताया गया है।
→ कुछ उदाहरणों के माध्यम से हम इस section को और अच्छे एवं स्पष्ट तौर पर जान सकेंगे ।
उदाहरण 1: → A, B से झगड़ते समय गुस्से में B को जोर से धक्का देता है, जिसे B का सिर दीवार से टकरा जाता है और वह मर जाता है।
• अगर A को यह ज्ञान था कि धक्का देने से गंभीर चोट या मृत्यु हो सकती है, तो यह आपराधिक मानव वध है।
उदा०:→ X जानबूझकर Y को छुरे से घायल करता है, इस आशय से कि वह मरे और मर जाता है। यहाँ स्पष्ट इरादा है। इसलिये यह आपराधिक मानव वध है। और यदि विशेष परिस्थितियों न हो तो हत्या भी बन सकती है।]
उदा०: → P जंगल में शिकार करते समय गलती से आदमी पर गोली चला देता है, जबकि उसे यह ज्ञान होना चाहिये था कि वह इंसान भी ही सकते हैं। यहाँ ज्ञान का तत्व है इसलिये ये (आपराधिक मानव वध बन सकता है।
धारा 100 BNS 2023 नई व्यवस्था 2023 में पारित भारतीय न्याय संहिता में IPC को रिप्लेस किया गया है। इसमें IPC की बहुत ही धारायें फिर से क्रमांकित की गयी और भाषा को अधिक स्पष्ट एवं सरल बनाया गया।
कानूनी बातों में कोई मूलभूत अंतर नहीं आया है। केवल भाषा और प्रस्तुतीकरण में सुधार हुआ है।
[1]इरादतन हत्या की कोशिश: → A अपने दुश्मन B से बदला लेने के लिये उसके सिर पर लोहे की रॉड से वार करता है। B की मृत्यु हो जाती है।
इरादे का स्पष्टिकरण:→ यहाँ पर A द्वारा यह कृत्य जानबूझकर B की हत्या और गहरा आघात पहुंचाने के लिये किया। क्योंकि A ने उस पर एक हथियार चुना ।
• यह आपराधिक मानव वध है और परिस्थितियों के अनुसार धारा 101 (मर्डर) के अन्तर्गत भी जा सकता है।
[2] ज्ञान [knowledge आधारित मामला:- C गाडी तेज चलाता है और व्यस्त इलाके में विना रुके रेड लाइट पार करता है।C के इस कृत्य के कारण एक राहगीर की मृत्यु हो जाती है।
स्पष्टीकरण :-→
Cको ज्ञान होना चाहिये था कि उसकी लापरवाही से किसी की जान जा सकती है।
• यह इरादा नही बल्कि ज्ञान पर आधारित आपराधिक मानव वध है।
• दुर्घटना, लेकिन जानबूझकर खतरा लिया गया:- D द्वारा अपनी पत्नी को डराने के लिये उसे झील में धक्का देता है जबकि उसे पता है कि वह तैरना नहीं जानती। वह डूबकर मर जाती है।
•D का इरादा मारने का नही था लेकिन उसे यह ज्ञान था कि ऐसा करने से वह मर सकती है ।यह भी आपराधिक मानव वध है ।
हर हत्या आपराधिक मानव वध होती है। लेकिन हर आपराधिक मानव वध हत्या नहीं होती है।
दंड [Panistament→ धारा 100[ BNS के तहत दोषी पाए जाने पर :
•अधिकतम सजा आजीवन कारावास या
• अधिकतम 10 वर्ष तक का कारावास [परिस्थितिक पर निर्भर
• साथ में जुर्माना भी हो सकता है।
Conclusion:→
धारा 299 (IPC] = धारा 100 (BNS] यानी Culpable Homicide मूल तत्व नहीं हैं - मृत्यु +इरादा या ज्ञान
• BNS में बदलाव सिर्फ क्रम संख्या और भाषा में है मंशा और अवधारणा समान है।
यहां एक प्रार्थना पत्र ( शिकायत पत्र ] का उदाहरण दिया गया है जो आप एक प्रत्यक्षदर्शी [ Eyewithess के रूप में पुलिस को दे सकते है। यह पत्र औपचारि रूप से लिखा गया है और इसमें आवश्यक कानूनी व तथ्यात्मक बिन्दु शामिल है।
प्रार्थना पत्र
थाना प्रभारी
[थाने का नाम ]
[ जिला / शहर का नाम ]
विषय : एक सड़क दुर्घटना में तेज गति से वाहन चलाकर एक राहगीर की मृत्यु किए जाने के सम्बन्ध में प्राथमिकी दर्ज करने हेतु प्रार्थना पत्र ।
महोदय
मैं आपका पूरा नाम ] पुत्र । पुत्री श्री[ पिता का नाम निवासी ८ आपका पूरा पता) दिनांक दिनांक को प्रातः /साये लगभग [ समय लिखे] बजे, [स्थान / चौराहे का नाम] उपस्थित था। थी। उसी रामम मैने एक तेज गति को आती हुई कार [वाहन संख्या-यदि ज्ञात हो तो को देखा। जो रेड लाइट तोडकर अत्यंत लापरवाही से भीडभाड वाले क्षेत्र में प्रवेश कर गई ।
उसी क्षण एक पैदल राहगीर [जिसका नाम मुझे ज्ञात नहीं] सड़क पार कर रहा था, जिसे उक्त वाहन ने तेज रफ्तार से टक्कर मार दी। टक्कर इतनी गंभीर ही कि राहगीर कुछ ही क्षणों में वहीं गिरकर अचेत ही गया। स्थानीय लोग व मैं तुरुन्त उसके पास पहुंचे हमने देखा कि वह व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो चुका था और बाद में सूचना मिली कि उसकी मृत्यु हो गयी।
उक्त घटना मेरे सामने प्रत्यक्ष रुप से घटी है और मैं इसका प्रतापादर्शी हूँ। वाहन चालक ने अत्यधिक लापरवाही लापरवाह ड्राइविंग एवं यातायात नियमों का उल्लघन करते हुये जानलेवा दुर्घटना की है। जोकि भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 100 (आपराधिक मानव वध ) धारा 204 [लापरवाही से वाहन चलाना) तथा अन्य संबन्धित धाराओं के अन्तर्गत दंडनीय अपराध है।
अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि उक्त घटना के संबन्ध में प्राथमिकी दर्ज कर उचित कानूनी कार्यवाही की जाये ताकि पीडित को न्याय मिल सके। मैं इस मामले में सहयोग हेतु उपस्थित रहने को तत्पर हूँ।
सधन्यवाद ।
भवदीय
[आपका नाम ]
[ आप का पता ]
[ मोबाइल नम्बर ]
दिनांक ।
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