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किसी संदिग्ध स्थान की तलाशी हेतु Search warrant जारी करने के लिये आवेदन कैसे करें?

गलत ढंग से रोके गरे व्यक्तियों के लिये search warrant  जारी करने का तात्पर्य कुछ ऐसा है कि यह सामाजिक जीवन में हम अपने आस- पास ही ऐसी बहुत सी घटनाये देखते रहे हैं। जैसे कि किसी दबंग व्यक्ति द्वारा किसी का अपहरण करके उसको अपने घर या अन्य स्थान पर बन्दी बनाना या बंदी बना कर रखना । ऐसी परिस्थिति में यदि आप उस रसूखदार व्यक्ति की शिकायत पुलिस के पास करते हो तो पुलिस बिना search warrant के उसके घर और उन स्थानों खोजने के लिये search warrant की आवश्यकता होती है। 


                search warrant की एक विशेषता है कि यदि मजिस्ट्रेट search warrant जारी करता है तो इस order का पालन पुलिस द्वारा तत्काल प्रभाव से किया जाता है। पुलिस search warrant के behalf पर उस व्यक्ति की गहन तलाशी का पावर रखती है। जैसे हम  आप ने फिल्मो में देखा होगा कि पुलिस से अक्सर 'search warrant लोग मांग बैठते हैं कि "क्या Inspector तुम्हारे पास मेरे घर कि तलाशी का Serch warrunt है।


      Search warrant भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता [crpc] की धारा 93 से 98 के अनुसार अदालत द्वारा [ मजिस्ट्रेट) द्वारा जारी किया जाता है। इसको जारी करने का उद्देश्य किसी व्यक्ति के घर, दुकान या किसी (अन्य स्थान की तलाशी [Search] लेने की कानूनी अनुमति मिलती है।


Search warrant जारी करने की परिस्थितियां: 

Search warrant को judicial magistrate द्वारा जारी किया जाता है। Search warrant निम्नलिखित परिस्थितियों में जारी किया जाता है -

 [1] पुलिस को संदेह हो कि किसी स्थान पर आपत्तिजनक सामग्री अवैध वस्तुयें या अपराध से जुड़ा कोई सबूत छिपा है।

 उदा०: Police को information मिली की कुछ व्यक्तियों ने एक लड़की को संदिग्ध अवस्था में एक घर में ले जाते हुये देखा गया है। लेकिन वह पुलिस को जांच में सहयोग नहीं कर रहा है।ऐसे में search warrant जारी किया जा सकता है। 

[2] जब किसी साक्ष्य का न्यायालय में होना अति आवश्यक हो तो ऐसी स्थिति में न्यायालय search warrant जारी कर सकती है।

          हमारे मन में एक सवाल आता है कि पुलिस के पास तो Power होता है कही भी Search करने का तो फिर Searh warrant ki जरुरत क्यों होती है? 


         Searh warrant की जरूरत इसलिये होती है ताकि किसी भी व्यक्ति की privacy का Violation ना हो। अगर बिना warnant किसी की property को Search किया जाये तो वह illegal हो सकता है। Court से Search warrant लेने का मतलब होता है कि law enforcement authorities को अपने आरोपो को साबित करने के लिये ठोस सबूत है। तभी वह searh warrant की मांग कर रही है


Searh warrant को issue करने का तरीका:-


 [1] Application:- सबसे पहले law in enforcement officer को अपने investigation के आधार पर न्यायालय से एक प्रार्थना पत्र देना होता है और court में यह बताना होता है कि उनके पास पर्याप्त सबूत है, कि जिसके आधार पर उनको किसी व्यक्ति के खिलाफ Search warrant को issue किया जाये। 


[2] Affidavit: -Court में officer को एक Affidivit Summit करना पड़ता है, जिसमें officer को अपने investigation की पूरी सही-सही रिपोर्ट जैसे कि कहां search करना, किस चीज की तलाश है और क्यों? 


[3] Court Review: court द्वारा application और Affidavit review की जाती है तथा जांच के बाद यदि Court को लगता है कि Search warrarat की जरूरत है तो court search warrant issue कर देती है।


 (4) Execution: court के द्वारा issue Search warrant मिल जाने के बाद police या law enforcement agency उस warrant का प्रयोग करके जिस स्थान का Search warrant Issue कराया गया है उसकी तलाशी का अधिकार प्राप्त कर लेती हैं।


 Search warrant के प्रकार:-

 Search warrant निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं:-

 [1] General search warrant: - यह Search warrant किसी भी जगह यानी कि निर्धारित जगह को search करने के लिए होता है। उदाहरण के तौर पर किसी घर या मकान, दुकान में कोई गैरकानूनी activity को होने के आधार Court  द्वारा General Search warrant को issue किया जाता है। 


[2] Specific Searh warrant: -  यह search warrant अत्यधिक संदिग्ध वस्तुओं की विशेष तलाशी के लिये issue किया जाता है। इसमें शामिल है drugs, firearms और चोरी इत्यादि कि वस्तओं के छिपाने की शका होने पर court द्वारा तलाशी का आदेश। 



Warrant की validity: search warrant एक limited time period के लिये मात्र valid होता है। अगर उस समय Search warrant का उपयोग नही किया तो वह expire हो जाता है।


 Note: Search warrant का ना होना पर  भी police या अन्य कोई Law enforcement agency द्वारा तलाशी किसी के निजी जीवन से हस्तक्षेप करना संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लघंन माना जा सकता है।


                  इसको हम एक उदाहरण के माध्यम से समझते है। जैसे कोई व्यक्ति है और police को यह  शक है कि उसके घर में कुछ ग़लत और संदिग्ध अपराधिक गतिविधि हो रही है और अगर पुलिस बिना search warrant के उसके घर में घुसकर Search करती है और पुलिस को कुछ नहीं मिलता है तो वह व्यक्ति court में Police पर उसके निजी जीवन में हस्तक्षेप करना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उल्लंघन के खिलाफ धारा 166 A  IPC [कानून का दुरुपयोग ]के तहत कार्यवाही की माग कर सकता है।



अगर पुलिस के पास magistate द्वारा जारी Search Warrant है और वह घर की तलाशी लेते है तो ऐसी तलाशी कानूनन वैद्य मानी जायेगी। यदि तलाशी में अवैध सामग्री मिले तो वह सबूत के तौर पर मान्य होगी। Section 100 crpc के (अन्तर्गत तलाशी के दौरान Police को अपने साथ कुछ स्वतंत्रत गवाहों की मौजूदगी आवश्यक है।


 Right to privacy को मौलिक अधिकार घोषित किया गया। क्योंकि एक एक महत्वपूर्ण फैसले में Justice K.s. Puttaswamy [Retd.] V Union of India (2017 (10) SC 1] में कोर्ट द्वारा 9जजों की संविधान पीठ द्वारा यह निर्णय दिया गया कि निजता का अधिकार Article 21 के तहत मौलिक अधिकार है। इसका कारण है, Search warrant (और निगरानी से सम्बन्धित सामलों पर भी पड़ा क्योंकि अब किसी की तलाशी या निगरानी करना सीधे तौर पर निजता के अधिकार से टकराता है।


 सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक अन्य सामले में kharak singh vs. State of UP. (1964 AIR 1295) 1964 SCR (1) 332] यह मामला गुप्त निगरानी (और रात्रि में घर की तलाशी से सम्बन्धित था । Supream Court का यह कहना था कि बार-बार किसी व्यक्ति निगरानी करना व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लघन है। इस केस में पहली बार यह माना गया कि Right to privacy भले ही (अलग से न हो परन्तु वह Article21 के अतंर्गत आता है।



सुप्रीम court ने एक अन्य मामले में State of Maharashtra Vs. Natwarlal Damodardas Soni (1980 AIR 593, 1980 SCR (2) 340) में कहा कि यदि पुलिस के पास पर्याप्त Resonable ground हो तो बिना वारंट भी तलाशी ली जा सकती है, परन्तु इसका दुरुपयोग नहीं होना चाहिये । यह case money Laundering. और ज्वेलरी की अवैध खरीद बिक्री से जुड़ा हुआ था जिसमें पुलिस ने तलाशी ली थी।

              निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है और यह सविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित है। इसका तात्पर्य यह है कि राज्य या पुलिस कोई भी निजी जानकारी, दस्तावेज या स्थान की तलाशी तभी ले सकती है जब FIR, संदेह, पुख्ता सूचना, अदालत द्वारा Search Warrant प्राप्त किया गया हो और यह प्रक्रिया न्याय संगत व पारदर्शी हो। 

           इसीप्रकार एक अन्य मामले में Income Tax v. Seth Brothers 1969 AJR 367 के बाद में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तलाशी की प्रक्रिया में न्यायसंगतता, उचित कारण और विवेक आवश्यक है। इस मामले में Income Tax department ने search और सीजर के दौरान सारा स्टॉक जब्त कर लिया था। आरोपियों ने कहा कि प्रक्रिया मनमानी और अवैध थी। 


Most Important section related to power of Search:→



Crpa Section 93:  →magistate power to order Search warrant.

 Section 94 → चोरी या अवैध वस्तुओ की तलाशी

 Section 97:→अवैध रूप से बंद व्यक्ति को छुड़ाने के लिये।

 Section 165 →Police द्वारा विना magistate के अनुमति के विना Search .

             लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में बिना Search warrant के भी बिना भी पुलिस को power है कि वो Search कर सकती है। यदि Police किसी संदिग्ध की मौके पर पकडती है। और उसके सामने कोई आपराधिक गतिविधि हो रही हो और देरी करने से साक्ष्य नष्ट हो सकता है। तथा Section 165 crpc के तहत तत्काल खतरे की स्थिति में बिना Search warrant के भी तलाशी ली जा सकती है।



किसी संदिग्ध स्थान की तलाशी हेतु Search warrant जारी करने के लिये आवेदन


     न्यायालय  मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी महोदय बांदा


                     अभियुक्त बनाम आवेदक


 प्रार्थना पत्र प्रार्थी सोहराब जी पुत्र केवटराम निवासी छिछरहा थाना नरैनी जनपद बांदा की ओर से निम्नलिखित निवेदन है:- 


1. यह कि अभियुक्त छोटवा उर्फ मोनू पुत्र पुत्त्रौवा निवासी औरा थाना चिल्ला जिला बांदा निम्नलिखित है। जोकि अपने माता-पिता के साथ रहता है। प्रार्थी की  ससुराल इसी गांव में है। प्रार्थी कि ससुराल के घर के कुछ दूरी पर अभियुक्त का भी मकान स्थित है, जहां पर प्रार्थी की विधवा सास व एक पुत्री जिसकी आयु 18 वर्ष है, जोकि रिश्ते में मेरी साली है। अपनी मां यानी मेरी सास के साथ रहती है। जिसका नाम कुसुमा है।


 २. यह कि अभियुक्त की उम्र लगभग 21 साल है। और वह BA प्रथम वर्ष का छात्र है। प्रार्थी की साली कुसुमा जोकि कक्षा 10 की छात्रा है, और जो अभियुक्त के पास शाम 5 बजे ट्यूशन पढने अपनी मां की अनुमति से जाती थी।


 ३. यह कि दिनांक 13-06-2025 को आवेदक की साली जब देर शाम तक घर वापस नही पहुँची तब प्रार्थी की सास (अभियुक्त के घर गया जहाँ उसकी माँ ने बताया कि (अभियुक्त शाम 8 बजे बाहर गया है तथा आज तुम्हारी लड़की मेरे घर ट्‌यूशन पढ़ने आयी हीं नहीं है।


4. यह कि यह सूचना प्राप्त होने के पश्चात प्रार्थी की सास ने अपनी पुत्री की सहेलियों के यहाँ एवं सम्बन्धियों से 'पूछ-ताछ की। परन्तु कही से किसी प्रकार का सकारात्मक जवाब नहीं मिला । तभी एक दुकानदार ने बताया कि हाँ उसने अभियुक्त के साथ उक्त लडकी को बस स्टैक की तरफ जाते हुये देखा था। 


5. यह कि उस बात की जानकारी होने के तुरंत बाद प्रार्थी ने थाने जाकर देर रात को एक रिपोर्ट दर्ज कराई और आज सुबह माननीय न्यायालय के समाने उपस्थित होकर यह आवेदन पत्र प्रस्तुत कर रहा हूँ। 


6. यह कि प्रार्थी को जब परिस्थितियों की देखने से पूर्ण विश्वास ही गया है कि दुनिया को दिखाने के लिए वह प्रार्थी की साली को बहन कहता था लेकिन दुर्भावना के वशीभूत होकर उसके शोषण करने के उद्देश्य से वह उसकी साली को अपहृत करके किसी अन्य स्थान पर ले गया है।


        अतः माननीय न्यायालय से विनम्र अनुरोध है कि अभियुक्त के पास में प्रार्थी की साली को ढूँढने के लिये सर्च वारण्ट अभियुक्त के खिलाफ जारी किया जाए और प्रार्थी की साली को जल्द से जल्द ढूँढने का सख्त निर्देश पुलिस को दिया जाए, जोकि न्यायहित में अति आवश्यक है। 

स्थान                                          प्रार्थी 



दिनांक                    द्वारा 

अधिवक्ता


Note:- यह मात्र एक criminal drafting जिसमें इसका मात्र आप Search warrant काएक नमूना  लिया गया है।  जिसका  उद्‌देश्य मात्र आप को किसी भी तरह से सम्वन्धित मामलों की Drafting कैसे की जाती है। ये केवल मात्र उदाहरण है।



    

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