IPC की धारा 371: दासों का आदतन लेन-देन भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 371 का उद्देश्य मानवाधिकारों की रक्षा करना और समाज में दासता जैसी अमानवीय प्रथाओं को समाप्त करना है। यह धारा उन अपराधियों पर लागू होती है जो दासों के आयात, निर्यात, स्थानांतरण, क्रय, विक्रय, तस्करी या सौदे जैसे कार्यों में आदतन संलग्न रहते हैं। इस धारा के अनुसार, जो व्यक्ति दासों के व्यापार का अभ्यास करता है, उसे आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। इसके अतिरिक्त, उसे अधिकतम पांच वर्षों के कारावास और जुर्माने का भी प्रावधान है। धारा 371 का उद्देश्य और महत्व धारा 371 का मुख्य उद्देश्य समाज से दासता की प्रथा को समाप्त करना है। भारत में, विशेष रूप से ब्रिटिश शासन के दौरान, दासता और मानव व्यापार आम थे। स्वतंत्रता के बाद, संविधान ने हर व्यक्ति को स्वतंत्रता और गरिमा का अधिकार प्रदान किया। IPC की धारा 371 उन लोगों को कठोर दंड देती है जो इन मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। उदाहरण के माध्यम से समझें उदाहरण 1: रमेश नाम का व्यक्ति विदेशी देशों से लोगों को गैरकानूनी रूप से भारत में लाता है और उन्हें बंध...
This blog is related LLB LAWS ACTS educational and knowledegeble amendments CASE LAWS acts AND MORE