IPC की धारा 381 और BNS की धारा 306: लिपिक या सेवक द्वारा स्वामी की संपत्ति की चोरी चोरी एक अपराध है, लेकिन यदि यह अपराध स्वामी के विश्वासघात से जुड़ा हो, तो इसे और भी गंभीर माना जाता है। IPC की धारा 381 ने उन मामलों को परिभाषित किया था, जहां लिपिक (कर्मचारी) या सेवक स्वामी की संपत्ति चुराता था। अब इसे भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 306 के तहत समाहित किया गया है। इस ब्लॉग में हम इन दोनों धाराओं का विस्तार से अध्ययन करेंगे और उदाहरण के साथ इसे समझेंगे। IPC की धारा 381: लिपिक या सेवक द्वारा स्वामी की संपत्ति की चोरी IPC की धारा 381 उन मामलों में लागू होती थी, जहां किसी लिपिक, सेवक या विश्वासपात्र ने स्वामी की अनुमति के बिना उनकी संपत्ति चुराई हो। इस धारा के तहत चोरी करने वाले व्यक्ति को विशेष रूप से लिपिक या सेवक माना जाता था, जो स्वामी के घर या कार्यालय में काम करता है। धारा 381 की परिभाषा : “यदि कोई व्यक्ति लिपिक, सेवक, या किसी अन्य विश्वस्त व्यक्ति के रूप में स्वामी के पास काम कर रहा हो और वह स्वामी की संपत्ति चोरी करता है, तो वह IPC की धारा 381 के तहत दंडनीय होगा।” दंड का...
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