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भारत में दहेज हत्या में क्या सजा का प्रावधान है ? विस्तार से चर्चा करो।

IPC की धारा 363-क और बीएनएस की धारा 139 बाल अधिकारों की सुरक्षा की महत्वपूर्ण section

आईपीसी की धारा 363-क और बीएनएस की धारा 139: बाल अधिकारों की सुरक्षा की महत्वपूर्ण धाराएं →

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 363-क, जो अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) में धारा 139 बन चुकी है, बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों को संरक्षित करने के लिए बनाई गई एक विशेष और महत्वपूर्ण धारा है। यह धारा मानव तस्करी, बाल शोषण और उन्हें उनके अधिकारों से वंचित करने के खिलाफ एक कठोर कदम है।

धारा 363-क (IPC) →

आईपीसी की धारा 363-क का मुख्य उद्देश्य बच्चों को गैरकानूनी तरीके से ले जाने, उन्हें बेचने या खरीदने और किसी भी प्रकार की जबरदस्ती में धकेलने से बचाना है। यह धारा खास तौर पर बच्चों के अपहरण और उनके यौन शोषण, बाल श्रम और तस्करी जैसे अपराधों से संबंधित है।

महत्वपूर्ण बिंदु: →

उम्र सीमा: → इस धारा के अंतर्गत 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को शामिल किया गया है।

अपराध का प्रकार: → यदि कोई व्यक्ति किसी बच्चे को जबरदस्ती, धोखे से या लालच देकर किसी भी अनैतिक काम के लिए ले जाता है, तो यह अपराध माना जाएगा।

सजा:  →दोषी पाए जाने पर इस धारा के अंतर्गत 10 साल तक का कारावास और जुर्माना हो सकता है।

बीएनएस की धारा 139 →

नए भारतीय न्याय संहिता (BNS) में धारा 363-क को संशोधित करके धारा 139 का रूप दिया गया है। बीएनएस की धारा 139 का उद्देश्य वही है, लेकिन इसे और अधिक व्यापक और स्पष्ट बनाया गया है।

महत्वपूर्ण संशोधन: →

व्यापक परिभाषा: → नए कानून में बच्चों की तस्करी की परिभाषा को विस्तारित किया गया है, जिसमें बच्चों को घरेलू मजदूरी, बंधुआ मजदूरी, या अवैध गतिविधियों में शामिल करने के लिए अपहरण करना भी शामिल है।

सख्त सजा:  →अब सजा को बढ़ाकर 14 साल तक का कारावास और भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

आधुनिक तकनीक का दुरुपयोग: → इंटरनेट और सोशल मीडिया के माध्यम से बच्चों को फंसाने के मामलों को भी इस धारा में जोड़ा गया है।

उदाहरण के माध्यम से समझें →

उदाहरण 1: →
एक 16 वर्षीय लड़की को नौकरी का झांसा देकर एक व्यक्ति ने शहर से बाहर ले जाकर उसे अवैध रूप से बेच दिया। यह मामला आईपीसी की धारा 363-क (अब बीएनएस की धारा 139) के तहत आएगा, क्योंकि लड़की को धोखे से ले जाकर तस्करी का शिकार बनाया गया।

उदाहरण 2: →
एक बच्चे को खेलते हुए उसके घर से अपहरण कर लिया गया और उससे जबरन बाल श्रम करवाया गया। यह भी धारा 139 के तहत अपराध माना जाएगा, क्योंकि बच्चे को उसकी इच्छा के विरुद्ध काम करने पर मजबूर किया गया।

उदाहरण 3: →
एक गैंग सोशल मीडिया के जरिए बच्चों को बहला-फुसलाकर अपने गिरोह में शामिल कर रहा था। यह बीएनएस की धारा 139 के अंतर्गत आएगा, क्योंकि यहां आधुनिक तकनीक का दुरुपयोग कर बच्चों को शोषण का शिकार बनाया गया।

धारा की उपयोगिता: →

इस धारा का मुख्य उद्देश्य बच्चों को उनके मूल अधिकारों से वंचित करने वाले अपराधों पर रोक लगाना है। यह कानून बाल तस्करी, यौन शोषण, और जबरन मजदूरी जैसे गंभीर अपराधों के खिलाफ एक प्रभावी हथियार है।

निष्कर्ष: →

आईपीसी की धारा 363-क और बीएनएस की धारा 139 बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक मजबूत कानून हैं। यह न केवल बच्चों को अपराधों से बचाने में मददगार है, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी देता है। इस कानून का सख्ती से पालन और जागरूकता ही बच्चों के उज्ज्वल भविष्य का आधार बनेगी।

ध्यान दें:  →यदि आपको किसी बच्चे के शोषण या तस्करी का संदेह हो, तो तुरंत स्थानीय पुलिस या बाल संरक्षण हेल्पलाइन (1098) पर संपर्क करें।

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