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आर्म्स अधिनियम, 1959 की धारा 9: फायर आर्म्स पर रोक और नियमों की पूरी जानकारी

आर्म्स अधिनियम, 1959 की धारा 9: सरल भाषा में पूरी जानकारी

आर्म्स अधिनियम, 1959 भारत में हथियारों और गोला-बारूद (Ammunition) के अधिग्रहण, उपयोग, और बिक्री को नियंत्रित करने वाला मुख्य कानून है। इस अधिनियम की धारा 9 विशेष रूप से उन व्यक्तियों पर फायर आर्म्स (हथियार) और गोला-बारूद प्राप्त करने, रखने, बेचने और स्थानांतरित करने के संबंध में रोक लगाती है, जिन्हें ऐसा करना कानूनी रूप से अनुचित या सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरनाक माना गया है।

आइए, इसे सरल भाषा में समझते हैं।


धारा 9 का उद्देश्य

इस धारा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हथियार केवल उन व्यक्तियों तक पहुंचें जो जिम्मेदार हैं और जिनके पास इनका उपयोग करने का वैध अधिकार है। यह कानून उन व्यक्तियों को हथियारों तक पहुंच से रोकता है जो:

  1. उम्र में अपरिपक्व हैं।
  2. अपराधों के लिए दोषी ठहराए गए हैं।
  3. मानसिक रूप से अस्थिर हैं या सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं।

धारा 9(1)(a): हथियार रखने पर रोक

यह प्रावधान निम्नलिखित व्यक्तियों को फायर आर्म्स या गोला-बारूद रखने, खरीदने या उपयोग करने से रोकता है:

1. आयु सीमा (Age Restriction)

कोई भी व्यक्ति जो 21 वर्ष की आयु पूरी नहीं करता, वह फायर आर्म्स का अधिग्रहण, कब्जा या उपयोग नहीं कर सकता।

  • उदाहरण:
    यदि राम, जो 19 वर्ष का है, हथियार खरीदने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन करता है, तो उसका आवेदन यह कहते हुए खारिज कर दिया जाएगा कि वह निर्धारित आयु सीमा पूरी नहीं करता।

2. अपराधों के लिए दोषसिद्धि (Conviction for Crimes)

यदि किसी व्यक्ति को हिंसा या नैतिक पतन (Moral Turpitude) से संबंधित अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है, तो वह अपनी सजा पूरी होने के पांच वर्षों तक हथियार नहीं रख सकता।

  • उदाहरण:
    श्याम को एक हिंसक झगड़े के लिए दो साल की सजा हुई थी। उसकी सजा खत्म होने के बाद भी, अगले पांच साल तक वह हथियार नहीं खरीद सकता।

3. शांति बनाए रखने के लिए बंधपत्र (Bond for Peace)

यदि किसी व्यक्ति को शांति बनाए रखने या अच्छे व्यवहार के लिए बंधपत्र भरने का आदेश दिया गया है, तो वह उस अवधि के दौरान हथियार नहीं रख सकता।

  • उदाहरण:
    मोहन को सार्वजनिक अशांति के लिए एक साल का बंधपत्र भरने का आदेश दिया गया। इस अवधि के दौरान वह हथियार नहीं रख सकता।

धारा 9(1)(b): हथियार बेचने पर रोक

यह प्रावधान विक्रेताओं को ऐसे व्यक्तियों को हथियार बेचने या स्थानांतरित करने से रोकता है जो धारा 9(1)(a) के तहत अयोग्य हैं।

1. अयोग्य व्यक्तियों को हथियार बेचना

अगर विक्रेता को पता हो या शक हो कि कोई व्यक्ति धारा 9(1)(a) के तहत आता है, तो उसे हथियार बेचना या मरम्मत करना अवैध है।

  • उदाहरण:
    एक हथियार विक्रेता को पता चलता है कि ग्राहक की उम्र 20 साल है। वह उसे बंदूक बेचने से मना कर देता है।

धारा 9(2): प्रशिक्षण के लिए अपवाद

सरकार कुछ शर्तों के तहत प्रशिक्षण के लिए हथियारों का उपयोग करने की अनुमति देती है। यह विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए है जो प्रतिस्पर्धात्मक शूटिंग (Competitive Shooting) या अन्य विशेष परिस्थितियों में प्रशिक्षण ले रहे हों।

  • उदाहरण:
    18 वर्षीय रीमा, एक राष्ट्रीय स्तर की शूटिंग प्रतियोगिता के लिए अभ्यास कर रही है। सरकार द्वारा अनुमोदित कार्यक्रम के तहत, उसे फायर आर्म्स का उपयोग करने की अनुमति दी गई है।

धारा 9 और अन्य प्रावधानों का संबंध

धारा 9, आर्म्स अधिनियम की अन्य धाराओं के साथ मिलकर एक मजबूत नियामक ढांचा तैयार करती है:

  1. धारा 3: लाइसेंस प्राप्त किए बिना फायर आर्म्स रखना अवैध है।
  2. धारा 5: अयोग्य व्यक्तियों को हथियारों की बिक्री पर रोक लगाती है।
  3. धारा 6: हथियारों में बिना अनुमति संशोधन करना अवैध है।
  4. धारा 8: बिना पहचान चिह्न वाले हथियार रखना अपराध है।

व्यावहारिक उदाहरण

1. आयु सीमा का पालन

सुमित, जो 20 साल का है, हथियार का लाइसेंस चाहता है, लेकिन उसे अस्वीकार कर दिया जाता है क्योंकि वह 21 वर्ष का नहीं हुआ है।

2. अपराध का इतिहास

राजेश, जिसे पांच साल पहले हिंसक अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था, हथियार खरीदना चाहता है। उसे यह कहते हुए मना कर दिया गया कि वह अभी भी अयोग्य है।

3. मानसिक स्वास्थ्य

एक हथियार विक्रेता ने एक ग्राहक को बंदूक बेचने से मना कर दिया क्योंकि उसने अस्थिर व्यवहार प्रदर्शित किया।

4. प्रशिक्षण के लिए अपवाद

नीता, एक राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी, सरकार की अनुमति के साथ अपने कोच के मार्गदर्शन में हथियार का उपयोग करती है।


निष्कर्ष

आर्म्स अधिनियम, 1959 की धारा 9, भारत में सार्वजनिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। यह सुनिश्चित करती है कि हथियार केवल जिम्मेदार और योग्य व्यक्तियों के पास ही रहें।

यह कानून न केवल सार्वजनिक सुरक्षा को बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि हथियारों का उपयोग जिम्मेदारी और कानून के दायरे में हो।

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