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क्या कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा हैं तो क्या वह दूसरी शादी धर्म बदल कर कर सकता है?If a person is already married, can he change his religion and marry again?

इनकम टैक्स निर्धारण अधिकारी की क्या शक्तियाँ होती है?What are the powers of the Income Tax Assessing Officer?

  आयकर पदाधिकारी ( Income Tax Authorities )  आयकर अधिनियम , 1961 के उद्देश्यों के लिए धारा 116 के अनुसार निम्नलिखित आयकर पदाधिकारी हैं -  1. प्रत्यक्ष करों का केन्द्रीय बोर्ड , जिसका गठन सेण्ट्रल बोर्ड्स ऑफ रिवेन्यू एक्ट , 1963 के अन्तर्गत किया गया है ।  2. प्रमुख डायरेक्टर जनरल ऑफ इनकम टैक्स या प्रमुख कमिश्नर ऑफ इन्कम टैक्स  3. डायरेक्टर जनरल ऑफ इनकम टैक्स या प्रमुख कमिश्नर ।  4. प्रमुख डायरेक्टर्स ऑफ इनकम टैक्स या प्रमुख कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स ।   5. डायरेक्टर्स ऑफ इनकम टैक्स या आयकर कमिश्नर या आयकर कमिश्नर ( अपील ) ।   6. ऐडीशनल डायरेक्टर ऑफ इनकम टैक्स या एडीशनल कमिश्नर्स ऑफ इनकम टैक्स या एडीशनल कमिश्नर्स ऑफ इनकम टैक्स ( अपील ) । Income Tax Authorities  As per section 116 of the Income Tax Act, 1961 the following are the Income Tax Authorities -  1. The Central Board of Direct Taxes, which has been constituted under the Central Boards of Revenue Act, 1963.  2. Principal Director General of Income Tax or Principal Commissioner of Income Tax  3. Director General of Income T

According to section 253, what is the relation of any tax payer with the Appellate Tribunal?धारा 253 के अनुसार कोई भी करदाता जो टैक्स देता है उसका अपील ट्रिब्यूनल से क्या संबंध होता है?

अपील योग्य आदेश से आशय आयकर अधिनियम की धारा 253 के अनुसार  कोई भी करदाता , जो निम्नलिखित में से किसी आदेश से पीड़ित या असंतुष्ट है , तो वह अपीलेट ट्रिब्यूनल में अपील कर सकता है :  ( i ) डिप्टी कमिश्नर ( अपील्स ) द्वारा धारा 246 ( 1 ) के अन्तर्गत अपील में 1-10-1998 तक पारित आदेश अथवा कमिश्नर ( अपील्स ) द्वारा पारित निम्न आदेश-  ( अ ) धारा 154 के अन्तर्गत भूल सुधार सम्बन्धी आदेश ,  ( ब ) धारा 250 के अन्तर्गत अपोल में दिया गया आदेश ,  ( स ) धाराएँ 271 , 271 - A या 272 - A के अन्तर्गत दिया गया अर्थदण्ड का आदेश ।  ( ii ) कर निर्धारण अधिकारी द्वारा 30 जून , 1995 के बाद , किन्तु जनवरी , 1997 से पूर्व धारा 158 BC ( c ) के अन्तर्गत किया गया आदेश , जो धारा 132 के अन्तर्गत प्रारम्भ की गई खोज ( Search ) अथवा धारा 132 - A के अन्तर्गत खाता पुस्तकों , अन्य प्रपत्रों अथवा किसी सम्पत्ति की माँग के सम्बन्ध में है ।  Appealable order means as per section 253 of the Income Tax Act, any taxpayer, who is aggrieved or aggrieved by any of the following orders, may prefer an appeal to the Appellate Tribunal:  

धारा 143 के अंतर्गत रेगुलर टैक्स को कैसे निर्धारित किया जाता है या रेगुलर टैक्स की क्या प्रक्रिया है?How is regular tax determined under section 143 or what is the procedure for regular tax?

रेगुलर टैक्स का निर्धारण करने की प्रक्रिया क्या है?  धारा 143 के अंतर्गत किए गए टैक्स निर्धारण को नियमित टैक्स निर्धारण कहते हैं इसके संबंध में निम्नलिखित बातों को बताया गया है- (1) जब इनकम का पूरा लेखा-जोखा धारा 139 के अंतर्गत अथवा धारा 142(1) के नोटिस के जवाब में दाखिल किया है तो ऐसे प्राप्त होने वाली आय के संबंध में निम्नलिखित प्रक्रियाओं को अपनाया जाएगा- (*) सम्पूर्ण आय का हानि को जोडने पर  निम्न समायोजनाओं के बाद की जायेगी   विवरणी  में दी गई सूचनाओं मे जोड या घटाने मे गलती ;  ( स ) यदि आय विवरण धारा 139 ( 1 ) में निर्धारित देय तिथि के बाद दाखिल किया गया है , तो इस आय - विवरण में किसी हानि की पूर्ति माँगी गयी है , तो ऐसी हानि की पूर्ति के दावे को  अस्वीकार कर दिया जायेगा । ( द ) यदि अंकेक्षण रिपोर्ट में है तो ऐसे व्यय को  कुल आय की गणना करने में नहीं लिया गया है तो ऐसे व्यय स्वीकृत नही होगें ।  ( य ) यदि आय - विवरण धारा 139 ( 1 ) में निधारित देय तिथि के बाद दाखिल किया गया है , आय विवरण में दावित ( Claimed ) 10AA , 80-IA , धारा 80-IB , धारा 80 - IC , 80- ID या धारा 80 - E के अन्तर्

Income Tax में' Losses एवं उनकी पूर्ति करना ' क्या होता है ? [ What is meant by carry forward and Set off of losses income taxes ?]

 ( Carry forward and set off of losses  terms of incomethe tax) :- जब किसी finace year के उसी वर्ष के विभिन्न sources  शीर्षकों के  profits में से पूरी नहीं की जा सकती तो ऐसे अपूरित हानि को अगले वर्षों के लाभों में से पूरा करने के लिए आगे से जाया जाता है तथा अगले वर्षों के लाभों में से पूरा किया जाता है । इसी को ' हानियों को आगे ले जाना तथा उनकी पूर्ति करना ' कहते हैं । इस सम्बन्ध में निम्न बातें ध्यान देने योग्य हैं :- ( 1 ) केवल निम्नलिखित हानियों को ही आगे ले जाकर अगले वर्षों में पूरित किया जा सकता है-  ( अ ) ' मकान - सम्पति से आय ' शीर्षक की हानि ;  ( ब ) ' व्यापार अथवा पेशे से लाभ या प्राप्तियाँ ' शीर्षक की हानियाँ ;  ( स ) सट्टे के व्यापार की हानि ;  ( द ) ' पूँजो लाभ ' शीर्षक की हानि ;   ( य ) घुड़ - दौड़ के घोड़ों के स्वामित्त्व एवं रख - रखाव के कार्य से उत्पन्न ' अन्य साधनों से आय ' शीर्षक की हानि । किसी भी अन्य शीर्षक की हानि को पूर्ति हेतु आगे नहीं ले लाया जा सकता है ।  ( 2 ) केवल वही करदाता , जिसे हानि हुई है , उसको पूर्ति हेतु आगे ले