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क्या विवाहिता महिला यदि किसी अन्य पुरुष से शारीरिक संबंध बनाए तो वह पति से गुजारा भत्ता (Maintinace) प्राप्त कर सकती है?

भारतीय समाज में विवाह एक पवित्र संस्था मानी जाती है लेकिन जब पति-पत्नी के रिश्तों में दरार आती है तो गुजारा भत्ता (maintenance) एक महत्वपूर्ण कानूनी अधिकार बन जाता है। प्रश्न यह उठता है कि अगर पत्नी ने विवाह के दौरान किसी (अन्य पुरुष से शारीरिक सम्बन्ध बना लिये ही (adultery) तो क्या वह पति से गुजारा भत्ता प्राप्त करने  की पात्र है? इस  Blog Post में हम इस जटिल प्रश्न को भारतीय कानून न्यायालय के दृष्टिकोण और कुछ महत्वपूर्ण निर्णयों के आधार पर स्पष्ट करेंगे।




      गुजारा भत्ता का कानूनी आधार (maintenance Law: भारतीय दण्ड संहिता की धारा 125 crpc के अन्तर्गत पत्नी यदि स्वंय अपना भरण-पोषण नहीं कर सकती, तो वह पति से गुजारा भत्ता मांग सकती है। लेकिन यह अधिकार नैतिक आचरण और वैवाहिक निष्ठा से भी जुड़ा हुआ है  ।

क्या व्यभिचार (Adultery) maintinace के अधिकार को समाप्त कर देता है? 

 अगर पत्नी पति के रहते हुये स्वेच्छा से किसी और पुरुष के साथ शारीरिक संबन्ध बनाती है तो यह "व्यभिचार" माना जायेगा और यह स्थिति धारा 125 (4) Crpc के अन्तर्गत आती है जिसमें स्पष्ट किया गया है: "पत्नी को तब तक भत्ता नहीं मिलेगा जब तक वह व्यभिचार कर रही हो। पति को छोड चुकी हो या पति के साथ रहने से इनकार कर रही हो बिना उचित कारण के।



 क्या पति के शारीरिक रूप से अक्षम (नपुंसक) होने पर पत्नी किसी और से संबन्ध बनाती है तो वह maintenance की अधिकारी होती है?


         पति पत्नी के बीच प्रेम विश्वास और शारीरिक संवेदनात्मक सामंजस्य पर आधारित होती है। लेकिन जब पति नपुंसक [Impotent) होता है और पत्नी अपनी शारीरिक जरुरतों की पूर्ति के लिये किसी अन्य पुरुष से सम्बन्ध बना लेती है तो कानूनी दृष्टि से यह प्रश्न खड़ा होता है कि "क्या पत्नी ऐसी स्थिति में पति से गुजारा भत्ता (maintenance) प्राप्त करने की अधिकारी होती है? 



    गुजारा भत्ता (maintenance) का मूल आधार धारा 125 crpc के अन्तर्गत "यदि कोई महिला अपने पति के द्वारा छोड़ दी गयी है और वह स्वंय अपना' भरण पोषण नहीं कर सकती तो वह पति से गुजारा भत्ता मांग सकती है। लेकिन यह अधिकार कुछ सीमाओं के अधीन होता है - जैसे यदि पत्नी ने व्यभिचार (adultery) किया हो तो वह इस अधिकार से वंचित हो सकती है।




 क्या पति का नपुंसक होना पत्नी के व्यभिचार को सही ठहराता है,?


 नहीं। भारत में विवाहेत्तर संबन्ध की नैतिक व कानूनी रूप से गलत माना जाता है भले ही पति नपुंसक क्यों न हो। पत्नी को तलाक के वैध कारण के रूप में पति की नपुसंकता को अदालत में साबित कर विवाह विच्छेद (divoce) की मांग करनी चाहिये। लेकिन अगर वह विवाह जारी रखते हुये किसी और पुरुष से शारीरिक संस्वन्ध बनाती है। तो वह व्यभिचार की श्रेणी में आता  है। 




Important न्यायिक निर्णय (Case law):→


 Krishna Bhattacharjee V. Sarathi Choudhury (2016 25CC 705):- इस केस में Court ने कहा कि maintenance का अधिकार पत्नी की सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा से जुड़ा है, लेकिन नैतिक आचारण भी जरूरी है। → हालांकि यह Case प्रताडना व घरेलू हिंसा से जुड़ा था लेकिन इसमें कहा गया कि गुजारा भत्ता तभी मिलेगा जब पत्नी नैतिक रूप से वैवाहिक जिम्मेदारियों का पालन कर रही हो।




M.D. V. R.D. (Bombay HC, family Court Appeal No. 27 of 2014]: 

तथ्य: पति नपुसक था। पत्नी ने court में तलाक मांगा और कहा कि वह मानसिक और शारीरिक तौर पर कष्ट में है। 


निर्णय: Court ने कहा कि पति की नपुसंकता एक वैध कारण है तलाक का लेकिन पत्नी तलाक से पहले यदि किसी और से संबन्ध बनाती है तो वह व्यभिचार है और इससे वह maintenance के अधिकार से वंचित हो सकती है।



 उदाहरण: रोशनी और राजेश की शादी की 2 साल हुये राजेश शारीरिक रूप से अक्षम (Impotent) है और डाक्टर से प्रमाणित है। रोशनी से किसी अन्य पुरुष से सम्बन्ध बना लिये और जब यह राजेश को पता चला तो उसने कोर्ट में सबूत के साथ पेश किया। अगर Roshani maintenace की मांग करती है तो 



यदि वह court को यह साबित कर दे कि उसने राजेश की नपुसकता के कारण तलाक लिया और कोई अवैध सम्बन्ध तलाक से पहले नही था तो उसे maintenance मिल सकता है।


 लेकिन अगर सम्बन्ध तलाक के पहले से है और वह साबित हो जाते हैं तो crpe की धारा 125 (4) के अनुसार वह maintenance की अधिकारी नहीं होगी।



Subhash Bhatnagar V. Smt. urmila Bhatnagar AIR 1990 A115)→


 तथ्य:- पत्नी ने विवाह के दौरान किसी अन्य पुरुप से संब-ध बनाये थे। 


निर्णय: कोर्ट ने कहा कि जब पत्नी व्याभिचार कर रही है। तब उसे पति से गुजारा भत्ता लेने का अधिकार नहीं है। 


Rohtash Singh ve Ramendri (AIR 2000 SC952) 


तथ्य:- पत्नी पति से अलग रह रही थी लेकिन  व्यभिचार (Adultary)  का कोई ठोस प्रमाण नहीं था ।

निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक व्यभिचार साबित नहीं होता, तब तक पत्नी को maintenance देने से इनकार नहीं किया जा सकता ।

 निष्कर्ष: केवल आरोप से पत्नी का अधिकार खत्म नही होता  प्रमाण होना जरूरी है।


 K. Shanmugam V. V. Shantidevi [1991 CrLJ 2371 mad HC)

 तथ्य :- पति ने यह साबित कर दिया कि पत्नी के संबन्ध किसी अन्य व्यक्ति से हैं।

 निर्णय: मद्रास हाईकोर्ट ने पत्नी को maintenance देने से मना कर दिया क्योंकि उसका आचरण विवाह के नियमों के विपरीत था।



Note: पत्नी केवल एक बार किसी दूसरे व्यक्ति से सम्भोग के कारण अपने भरण-पोषण के अधिकार को नहीं खो देती और न ही किसी पुरुष के साथ मित्रता को जारता माना जा सकता है। [ महबूवी बीबी बनाम नासिर फरीद 1977 cr.LJ 3917 | अतः पति अपनी पत्नी के चाल चलन पर सन्देह के आधार पर भरण पोषण देने से इन्कार नही कर सकता है। भरण पोषण के अधिकार से पत्नी तभी वंचित की जा सकती है जब वह किसी अन्य पुरुष के साथ लगातार सम्बन्ध बना रही हो। 


क्या पति की नपुसकता पत्नी को दूसरा संबन्ध बनाने का कानूनी अधिकार देती है?


 स्पष्ट उत्तर - नहीं।

 पत्नी को तलाक के लिये परिवार न्यायालय [family court में याचिका दायर करनी चाहिए।  जब तक विवाह वैध रुप से जारी है ।तब तक दूसरा सम्बन्ध अवैध माना जायेगा - चाहे पति नपुसक हो या नहीं। 


Note: crpc की धारा 125 [५) क्या कहती है? 

"यदि पत्नी व्यभिचार कर रही हो पति को छोड़ चुकी  हो या बिना उचित कारण के पति के साथ न रह रही हो तो उसे maintenance नहीं मिलेगा।



उदाहरण: मान लीजिये काजल और करन पति पत्नी है। काजल किसी अन्य पुरुप से प्रेम सम्बन्ध में पड़ जाती है और उसके साथ रहने लगती है। करन तलाक के लिये अर्जी देता है और काजल maintenance की मांग करती है। अगर करन court में यह साबित कर देता है कि काजल किसी अन्य पुरुष के साथ सहवास कर रही है तो court काजल को maintenance देने से इन्कार कर सकती है। 


ध्यान देने योग्य बातें:


 1. केवल (आरोप काफी नहीं है- प्रमाण आवश्यक है। 


२. पत्नी की स्वतंत्रता और सम्मान का उल्लंघन न हो इस पर कोर्ट विशेष ध्यान देता है। 


3. Count हर case की परिस्थितियों के अनुसार फैसला देती है।


                 maintenance एक संवेद‌नशील और महत्वपूर्ण अधिकार है, लेकिन यह पूर्णतः नैतिक और कानूनी आधारों पर निर्भर करता है। यदि पत्नी ने अपने कर्तव्यों का उल्लघंन किया है विशेषतः विवाहेत्तर संबन्ध बनाकर और यह सिद्ध हो जाता है तो वह पति से गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं होगी। 



क्या मुस्लिम महिलाएं भी गुजारा भत्ता (maintenance ) की हकदार होती हैं, यदि उनका सम्बन्ध किसी अन्य पुरुष से हो जाये ?


मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की चर्चा विशेष रुप से महत्वपूर्ण हो जाती है खासकर जब बात गुजारा भत्ता (maintenance) की हो । कई बार प्रश्न उठता है- 


    "यदि एक मुस्लिम महिला का किसी अन्य पुरुष से नाजायज संबन्ध हो जाता है तो क्या वह अपने पति से maintenance की हकदार रहती है? 

मुस्लिम महिला और Maintenance का अधिकार : - मुस्लिम महिला के गुजारा भत्ता पाने के अधिकार को मुख्य रुप से निम्नलिखित कानूनों के तहत देखा जाता है। 


1. धारा 125 Crpc (सभी धर्मो पर लागू ):→ अगर कोई महिला अपने पति द्वारा छोड़ी गई है या उनका पालन-पोषण नही हो रहा तो वह maintenance मांग सकती है। 


  2. Muslim women (Protection of Right on
Divorce) Act.1986:→
 तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं के लिये विशेष कानून है। जिसमें इद्दत अवधि के दौरान maintenance की बात कही गयी है और फिर मेहर, उपहार और अन्य सहायता की व्यवस्था की जाती है।


 क्या नाजायज संबन्ध होने पर मुस्लिम महिला maintenance नहीं पा सकती ? 

यदि यह साबित हो जाये कि महिला ने विवाह के दौरान किसी गैर मर्द से शारीरिक सम्बन्ध बनाये तो वह न केवल सामाजिक बल्कि कानूनी रूप से भी maintenance के अधिकार से वंचित हो सकती है। यह केवल मुस्लिम महिलाओं पर नहीं बल्कि सभी महिलाओं पर भी लागू होता है। 


 Related important Case Law: 


Mohd Ahmed khan V. Shah Bano Begum [AIR 1985 SC 945):→


 तथ्य: तलाकशुदा मुस्लिम महिला ने गुजारा भत्ता मांगा। 

निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने crpc की धारा 125 के तहत कहा कि धर्म कोई बाधा नहीं है। मुस्लिम महिला को भी maintenance मिलेगा यदि वह खुद का भरण- पोषण नहीं कर सकती ।


 Note: लेकिन इसमें महिला के चरित्र पर कोई आरोप सिद्ध नहीं था । यदि साबित होता कि वह व्यभिचार में लिप्त थी तो निर्णय अलग हो सकता था।

 Noor Saba khatoon V. Mohd. Quasim (1997 (6) Scc 233)→

 निर्णय: - मुस्लिम महिला बच्चों को भी crpc 125 के अन्तर्गत maintenance मिल सकता है।


 Note:- इस केस में भी व्यभिचार का मुद्दा नहीं ।। लेकिन यह सिद्ध करता है कि मुस्लिम महिलाओं को crpc का सरक्षण प्राप्त है।


 Jameela Beevi v M.M. Abdul Rahim (Madras Hight court 2010): - 

तथ्य: मुस्लिम महिला पर आरोप था कि वह किसी अन्य व्यक्ति के साथ रह रही थी ।




निर्णय: कोर्ट ने कहा कि यदि महिला स्वेच्छा से किसी गैर मर्द के साथ रह रही है तो उसे maintenance का अधिकार नही मिलेगा । पति का कर्तव्य तब समाप्त हो जाता है। 


⇒ यह निर्णय स्पष्ट करता है कि भले ही महिला मुस्लिम हो लेकिन यदि उसका आचरण विवाह के विरुद्ध है तो वह maintenance से वंचित हो सकती है।

 Example! Nadia और Arif की married 5 साल हुये। Arif को पता चला कि Nadia का किसी अन्य पुरुष के साथ सम्बन्ध है और वह उसके साथ रहने लगी है। Arif ने Divorce दे दिया । Nadia maintenance के लिये Court गयी। अगर Arif Court में यह साबित कर दे कि Nadia का दूसरा सम्बन्ध स्वेच्छा से और विवाह के दौरान बना था, तो crpc की धारा 125 (4) के अनुसार उसे maintenance नहीं मिलेगा।


      Crpc की धारा 125(4) पत्नी को तब maintenance नहीं मिलेगा जब वह व्यभिचार कर रही हो पति को छोड़ चुकी हो या बिना उचित कारण के पति के साथ रहने से इनकार कर रही हो।


 Note: यह प्रावधान सभी धर्मो की महिलाओं पर लागू होता है मुस्लिम महिलाओं पर भी।




मुस्लिम महिलाये भी crpc की धारा 125 के  तहत maintenance की अधिकारी होती हैं चाह वह तलाकशुदा हो या न हों।

             लेकिन यदि वह विवाह के दौरान किसी अन्य पुरुष से नाजायज सम्बन्ध बनाती हैं, और यह Court में सिद्ध हो जाता है तो  maintenance की पात्र नहीं रहती । 


                 इस्लाम महिलाओं को सम्मान देता है और भारतीय संविधान सभी नागरिकों को समान अधिकार देता है। लेकिन जब महिला विवाह में निष्ठा न रखे तो कानून भी उसे maintenance का अधिकार देने से रोक सकता है- चाहे वह मुस्लिम हो या किसी और धर्म की ।


            गुजारा भत्ता एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण (अधिकार है लेकिन यह पूर्णता नैतिक और कानूनी आधारों पर निर्भर करता है। यदि पत्नी ने अपने कर्तव्यों का उल्लघन किया है विशेषता विवाहेत्तर संवन्ध बनाकर और सिद्ध हो जाता है तो वह पति से maintenance पाने की हकदार नही होगी। पत्नी को maintenance तभी मिलता है जब तक वह ईमानदारी और नैतिकता के साथ वैवाहिक जीवन जी रही हो।



 Note: केवल आरोप से पत्नी का (अधिकार खत्म नहीं होता प्रमाण होना जरूरी है।


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