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क्या कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा हैं तो क्या वह दूसरी शादी धर्म बदल कर कर सकता है?If a person is already married, can he change his religion and marry again?

अंतर्राष्ट्रीय विधि में शरण क्या है?(what is Asylam ?)

शरण(Asylam):- शरण या आश्रय से तात्पर्य उस शरण तथा सक्रिय सुरक्षा से है जो एक राज्य द्वारा अन्य राज्य के राजनीतिक शरणार्थी को उसकी प्रार्थना पर प्रदान की जाती है। शरण प्रत्यर्पण  का विलोम है। जहाँ शरण की समाप्ति होती है वहां प्रत्यर्पण  प्रारंभ होता है। शरण के अंतर्गत प्रत्येक राष्ट्र को किन्ही परिस्थितियों में समर्पण से इनकार करने का अधिकार है और इस अधिकार के अंतर्गत शरण देने वाले क्षेत्र अधिकारियों का दायित्व है कि वे शरणागत को आश्रय दें और उस को सक्रिय सुरक्षा प्रदान करें। शरण के दो आवश्यक तत्व होते हैं(1) शरण अस्थाई सहारे से अधिक होती है,(2) सक्रिय सुरक्षा उन अधिकारियों द्वारा जिनके क्षेत्र में आश्रय दिया गया है।             मानवीय अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के अनुच्छेद 14 के अनुसार प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति को दूसरे देशों में आश्रय मांगने का अधिकार है। प्रोफेसर ओपेनहाइम के अनुसार वास्तव में शरण का अधिकार और कुछ नहीं वरन प्रत्येक राज्य की क्षमता है जिसके अनुसार वह पीड़ित विदेशी व्यक्ति को अपने क्षेत्र में आने दे तथा उसे आश्रय प्रदान करें। वास्तव में शरण प्राप्त करने का

प्रत्यर्पण क्या होताहै?इसकी क्या शर्तें होती है?(What do you mean by extradition ? )

सामान्यतः प्रत्येक राज्य अपने प्रदेश के अंदर ही अपने नागरिकों पर अधिकारिता रखता है। कभी - कभी ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न होती है कि एक व्यापारी अपने देश में भीषण अपराध करके दूसरे देश में भाग जाता है। ऐसी दशा में संबंधित देश पर क्षेत्राधिकार रखने तथा उसे दंडित करने में अपने को असहाय पाता है। ऐसि परिस्थिति में पहला देश उस देश से जिसमें व्यक्ति अपराध करके भाग गया है यह प्रार्थना करता है कि अपराधी को उसे सौंप दिया जाए। दूसरे देश द्वारा अपराधी को पहले देश को सौंपना प्रत्यर्पण कहलाता है।प्रत्यर्पण  अधिकतर संधियों पर आधारित है।         प्रत्यर्पण के संबंध में राज्यों का कोई सामान्य कर्तव्य नहीं है। प्रत्यर्पण द्विपक्षीय संधियों पर निर्भर करता है। अपराधी के प्रत्यर्पण करने तथा संबंधित राज्यों द्वारा उसे वापस मांगने का विधिक अधिकार प्रत्यर्पण संधि के प्रावधानों के अनुसार ही उत्पन्न होता है। यदि कोई राज्य चाहे बिना प्रत्यर्पण संधि के भी किसी अन्य राज्य की प्रार्थना पर किसी व्यक्ति का प्रत्यर्पण कर सकता है। प्रत्यर्पण  की परिभाषा विभिन्न ने विधि शास्त्रियों ने भिन्न-भिन्न प्रकार से दी ह

नागरिकता क्या होती है?( what is nationality)

राष्ट्रीयता(Nationality): राष्ट्रीयता शब्द से किसी व्यक्ति के किसी देश का सदस्य होने का ज्ञान होता है। राष्ट्र के व्यक्तियों से अपने राज्यों के प्रति निष्ठा धारण करने की अपेक्षा की जाती है जो व्यक्ति राज्य के प्रति स्थाई निष्ठा धारण करते हैं उन्हें राज्य के नागरिक के रूप में जाना जाता है। इसलिए राष्ट्रीयता को व्यक्ति की प्रस्थिति जो निष्ठा के बंधन द्वारा राज्य से संबंध है के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। इसलिए शब्द राष्ट्रीयता व्यक्तियों तथा राज्य के मध्य विधिक संबंध को व्यक्त करता है। ओपनहाइन ने राष्ट्रीयता की परिभाषा निम्न प्रकार से दी है कि किसी व्यक्ति की राष्ट्रीयता उसका किसी राज्य का सदस्य अर्थात नागरिक होने का गुण है।      " nationality of an individual is the quality of being subject of a certain state and therefore its citizen.              (professor oppenheim)       According to storc, राष्ट्रीयता युक्तियों की सामूहिक सदस्यता का पद है जिसके माध्यम से उन व्यक्तियों के कार्यों उनके निर्णय और उनकी नीतियों की प्रमाणिकता प्रदान होती है। ( nationality is a st

हस्तक्षेप क्या होता है? किन परिस्थितियों में एक देश द्वारा दूसरे देश में हस्तक्षेप करना उचित होता है?(what is intervention ?)

हस्तक्षेप का अर्थ तथा परिभाषा: जब एक राज्य अपने दूसरे राज्य के मामलों में इस उद्देश्य से दखल किया जाता है जिससे या तो वस्तुओं की विद्यमान स्थिति को बनाए रखा जाए अथवा उनमें परिवर्तन लाया जाए तो इसे हस्तक्षेप कहते हैं। दूसरे शब्दों में हम इस प्रकार भी कह सकते हैं कि जब एक राज्य द्वारा या अनेक राज्यों द्वारा किसी अन्य राज्य के मामले में दखल दिया जाता है तो इसे हस्तक्षेप कहते हैं। ब्रियर्ली ने हस्तक्षेप की परिभाषा करते हुए लिखा है कि यदि दूसरे  राज्य के घरेलू या वैदेशिक मामलों में दखल देने के ऐसे कार्य तक सीमित हैं जिससे किसी राज्य की स्वतंत्रता भंग ना होती हो। अतः एक राज्य द्वारा दूसरे राज्य को उसके स्वयं द्वारा किए जाने वाले कार्य के संबंध में केवल परामर्श देना इस अर्थ में हस्तक्षेप नहीं कहला सकता। हस्तक्षेप का स्वरूप का आज्ञात्मक होना चाहिए। यह या तो शक्ति के प्रयोग द्वारा बलपूर्वक किया गया होना चाहिए या इसके पीछे बल प्रयोग की धमकी होनी चाहिए। इसके तानाशाही और आदेश्त्माक स्वरूप को पहले स्पष्ट किया जा चुका है। प्रोफेसर ओपनहाइम के अनुसार हस्तक्षेप किसी राज्य द्वारा एक अन्य र

प्रादेशिक प्रभुसत्ता क्या होती है?(what is the Territorial sovereignty ?)

प्रादेशिक प्रभुसत्ता(Territorial Sovereignty ): राज्य की सबसे बड़ी विशेषता उसके पास सर्वोच्च सत्ता का होना है। जिसके आधार पर कोई राज्य व्यवस्था और शांति स्थापित रखने और कानूनों का पालन कराने में समर्थ होते हैं। इसी को प्रादेशिक प्रभुसत्ता कहते हैं। प्रादेशित प्रभुसत्ता के अंतर्गत राज्य को अपने प्रदेश में विद्यमान व्यक्तियों पर तथा संपत्ति पर अधिकार प्राप्त होता है। किसी बाहरी राज्य के लोगों पर कोई अधिकार नहीं होता।यह विचार दीवानी कानून के वैयक्तिक संपत्ति पर स्वामित्व की कल्पना से ग्रहण किया गया है। मैक्स ह्यबर(Max Huber) ने Island of palinas Arbitration नामक मामले में प्रादेशिक प्रभुसत्ता के लक्षण का दर्शन करते हुए कहा था कि राज्यों के संबंध में प्रभुसत्ता का अर्थ स्वतंत्रता है। भूमंडल के एक भाग में स्वतंत्रता का आशय यह है कि यहाँ  केवल मात्र राज्य को राज्य संबंधी कार्य करने का अधिकार है ।       Sovereignty in relation between States signifies independence regard to a position of the globe the right to exercise there in to the exclusion of any other state, the function of

किसी देश द्वारा दूसरे देश पर अधिकार करने के क्या तरीके होते हैं?( modes of acquiring possession on the territory by State?

अंतर्राष्ट्रीय विधि के अंतर्गत किसी राज्य द्वारा किसी प्रदेश को निम्नलिखित तरीकों से प्राप्त किया जा सकता है:- (1) आवेशन(Occupation ): ओपेनहाइम के अनुसार आवेशन एक ऐसा कार्य है जिसके व्दारा कोई राज्य अपने या उस प्रदेश पर प्रभुत्व सम्पन्नता प्राप्त कर लेता है जिस पर उस समय किसी दूसरे राज्य के प्रभुत्व  संपन्नता नहीं है।( occupation is the act of appropriation by a state by which it internationally acquires sovereignty over such a territory as it is at the time  not under the sovereignty of another state.)         अतः जब कोई राज्य किसी स्वामी विहीन  प्रदेश में प्रवेश करके अपना आधिपत्य स्थापित करता है तो उसे आवेशन कहा जाता है। स्टार्क  के शब्दों में आवेशन ऐसे प्रदेश पर प्रभुसत्ता स्थापित करना है जिस पर किसी अन्य राज्य का अधिकार ना हो चाहे ऐसे प्रदेश का नवीन अन्वेषण हो या इस पर किसी अन्य राज्य ने अपना अधिकार छोड़ दिया हो। आवेशन केवल किसी राज्य द्वारा ही किया जा सकता है। यह राज्य कृत्य होता है तथा राज्य की सेवा में किया जाता है तथा इसे करने के पश्चात राज्य द्वारा इसकी अभिस्वीकृति की जानी चाह

समुद्र तटीय क्षेत्र क्या होते हैं?( what do you mean by Maritine territorial sea?)

समुद्र तटीय क्षेत्र(Maritine Belt):- समुद्र तटीय क्षेत्र समुद्र का वह भाग है जो समुद्र तटीय राज्य से मिला होता है तथा राज्य की उस पर क्षेत्रीय प्रभुत्व  संपन्नता होती है।1958 समुद्र तटीय पट्टी (समुद्री क्षेत्र)से संबंधित जेनेवा अभिसमय के अनुच्छेद 1 के अनुसार किसी देश के प्रभुत्व संपन्नता  समुद्र के ना केवल उस भाग पर ही रहती है  जिसे सामुद्रिक पट्टी कहते हैं वरन् उसके ऊपर वायुमंडल में तथा समुद्र तल पर भी रहती है। समुद्र विधि पर अभिसमय 1982 के अनुच्छेद 2 के अनुसार समुद्र तटीय राज्य की प्रभुत्व संपन्नता उसके भूमि क्षेत्र तथा आंतरिक पानी तथा Archipelagic राज्य  के मामले में Archipelagic  waters के परे समुद्र की पाश्र्वस्थ पट्टी तक होती है। इस पाश्र्वस्थ पट्टी को सामुद्रिक पट्टी कहते हैं        इस प्रकार की पट्टी कम से कम 3 मील चौड़ी होती है जिसकी नाप कम गहरे जल के स्थान में अथवा अन्य किसी निर्धारित आधार रेखा से आरंभ होती है। तटवर्ती प्रदेश पर तटवर्ती  राज्य(Littoral state) के आधार के स्वरूप के संबंध में अंतरराष्ट्रीय विदिशा स्त्रियों में मतभेद है क्योंकि एक मत के अनुसार तटवर्ती