किसी देश द्वारा दूसरे देश पर अधिकार करने के क्या तरीके होते हैं?( modes of acquiring possession on the territory by State?
अंतर्राष्ट्रीय विधि के अंतर्गत किसी राज्य द्वारा किसी प्रदेश को निम्नलिखित तरीकों से प्राप्त किया जा सकता है:-
(1) आवेशन(Occupation ): ओपेनहाइम के अनुसार आवेशन एक ऐसा कार्य है जिसके व्दारा कोई राज्य अपने या उस प्रदेश पर प्रभुत्व सम्पन्नता प्राप्त कर लेता है जिस पर उस समय किसी दूसरे राज्य के प्रभुत्व संपन्नता नहीं है।( occupation is the act of appropriation by a state by which it internationally acquires sovereignty over such a territory as it is at the time not under the sovereignty of another state.)
अतः जब कोई राज्य किसी स्वामी विहीन प्रदेश में प्रवेश करके अपना आधिपत्य स्थापित करता है तो उसे आवेशन कहा जाता है। स्टार्क के शब्दों में आवेशन ऐसे प्रदेश पर प्रभुसत्ता स्थापित करना है जिस पर किसी अन्य राज्य का अधिकार ना हो चाहे ऐसे प्रदेश का नवीन अन्वेषण हो या इस पर किसी अन्य राज्य ने अपना अधिकार छोड़ दिया हो। आवेशन केवल किसी राज्य द्वारा ही किया जा सकता है। यह राज्य कृत्य होता है तथा राज्य की सेवा में किया जाता है तथा इसे करने के पश्चात राज्य द्वारा इसकी अभिस्वीकृति की जानी चाहिए।
आवेशन द्वारा आधिपत्य स्थापित करने के लिए निम्नलिखित बातों का होना आवश्यक है:
(a) अस्वामित्व
(b) प्रभुता स्थापित करने की इच्छा(wish to establish occupation )
इस संबंध में निम्नलिखित दो प्रमुख सिद्धांत है:
(1) क्रमबद्धता का सिद्धांत( principles of continuity)
(2)संस्पर्शिता का सिद्धांत (principles of contiguity)
(1) क्रमबद्धता का सिद्धांत के अनुसार किसी प्रदेश को आवेशित करने वाला राज्य अपनी प्रभुता या विस्तार इस प्रदेश के साथ लगे भूभाग में उतने ही बड़े क्षेत्र तक करता है जहां तक कि उसकी सुरक्षा और नियम की भूमि का स्वाभाविक विकास आवश्यक हो।
(2)संस्पर्शिता के सिद्धांत के अनुसार आवेशन करने वाला राज्य अपनी प्रभुता का विस्तार इस प्रदेश के साथ भौगोलिक दृष्टि से संस्पर्शिता करने वाले पड़ोसी प्रदेशों पर भी करता है। यह दोनों सिद्धांत बड़े अस्पष्ट और व्यापक हैं और इन पर अभी तक अंतरराष्ट्रीय कानून के निश्चित नियम नहीं निर्धारित हुए।
(2) चिरभोग(Prescription ): चिरभोग द्वारा भी किसी प्रदेश का अधिकार हो सकता है। यदि कोई राज्य किसी प्रदेश पर बहुत समय तक लगातार अपना अधिकार बनाए रहे तो उस प्रदेश पर उसकी वास्तविक प्रभुत्व संपन्नता रहती है तथा वह प्रदेश उस राज्य का हो जाता है। स्टार्क के शब्दों में चिरभोग किसी प्रदेश पर शांतिपूर्वक बहुत समय तक वास्तविक प्रभुत्व संपन्नता के फल स्वरुप होता है। चिरभोग द्वारा कोई राज्य किसी क्षेत्र को तभी प्राप्त कर सकता है जबकि उस क्षेत्र पर उसने किसी अन्य राज्य की प्रभुत्व संपन्नता स्वीकार नहीं की हो। यदि ऐसा राज्य संबंधित राज्य पर शासन करते हुए उस पर किसी अन्य राज्य की प्रभुत्व संपन्नता स्वीकार करता है तो वह चिरभोग द्वारा उस क्षेत्र को प्राप्त नहीं कर सकता है।चिरभोग द्वारा प्राप्त क्षेत्र पर कब्जा शांतिपूर्वक तथा अवरोध रहित होना चाहिए। ऐसा कब्जा सार्वजनिक तथा कुछ निश्चित समय के लिए होना चाहिए।
(3) अभिवृद्धि(Accression): स्टार्क के शब्दों में अभिवृद्धि का अधिकार तब उत्पन्न होता है जब किसी राज्य के प्रभु सत्ता में विद्यमान प्रदेश में प्राकृतिक कारणों में नए प्रदेश की वृद्धि होती है और वह नया प्रदेश इस में सम्मिलित नहीं होता। इसमे किसी प्रकार की औपचारिक कार्यवाही या घोषणा की आवश्यकता नहीं होती। इस प्रकार की वृद्धि नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से शनै शनै बनी हुई भूमि या आवृद्धि समुद्र द्वारा इस प्रकार बढ़ती हुई भूमि डेल्टा नदी के मध्य के बनने वाले टापू। इन सब अवस्थाओं में वृद्धि मुख्य भूमि के स्वामी की समझी जाती है। यदि किसी प्रकार के प्रादेशिक समुद्र में नए टापू बन जाए तो इसका परिणाम यह होता है कि प्रादेशिक समुद्र की सीमा को इन टापुओं के अंतिम छोर से नापा जाता है और राज्य की समुद्री क्षेत्राधिकार पहले ही अपेक्षा अधिक विस्तृत हो जाता है।
(4) अंतरण(Cession): इसमें प्रादेशिक प्रभुसत्ता एक राज्य से निकलकर दूसरे हाथ में चली जाती है।ब्रियर्ली के शब्दों में राज्य द्वारा किसी प्रदेश का विद्यमान अपना अधिकार दूसरे राज्य को प्रदान करना है।
किसी प्रदेश का अंतरण:
(1) ऐच्छिक(Voluntary ) बिक्री विनिमय या दान द्वारा।
(2)अनैच्छिक(involuntary ): युद्ध में हार जाने पर अंतरण के लिए कभी-कभी वहां के निवासियों को जनमत संग्रह भी करना पड़ता है।19वीं शताब्दी में यह प्रथा बहुत प्रचलित थी। सन 1960 में फ्रांस ने मेवाय और नीम को अपने राज्य में मिलाने से पहले जनमत संग्रह किया था।
अन्तरण के लिए यह आवश्यक है कि आंतरिक प्रदेश पूर्ण स्वामित्व की स्थापना की जाए और उसकी पुष्टि अंतरण की संधि द्वारा हो। ओपनहाइम के अनुसार उस संधि के बाद ही अंतरण होना चाहिए।
(5) विजय(Conquest): युद्ध में जब कोई राज्य दूसरे को परास्त कर देता है तो विजेता राज्य उस पर अपना प्रभुत्व जमा लेता है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पूर्वी ग्रीनलैंड के मामले में यह कहा था कि विजय तभी प्रभुसत्ता की हानि का कारण बनती है जब 2 राज्यों में युद्ध हो और उनमें से एक के पराजित होने पर उसके पास विद्यमान प्रदेश की प्रभुसत्ता विजेता को प्राप्त हो जाए।
अतः ओपेनहाइम के अनुसार किसी प्रदेश पर विजय द्वारा आधिपत्य करने के लिए यह आवश्यक है कि शत्रु देश को सैनिक पराजय दी जाए तथा उस प्रदेश पर अपने राज्य का अंग बनाने की घोषणा की जाए।
स्टार्क अंगीकार के निम्नलिखित दो प्रकार बताए गए हैं:
(1) युद्ध में शत्रु को पराजित करके अपने राज्य में मिला ना जैसे 1936 में इटली ने एबीसीनिया को जीतकर अपने राज्य का अंग बनाया।
(2) कभी-कभी अंगीकृत राज्य अंगीकर्ता राज्य की पूरी अधीनता में थे जैसे जापान ने 1910 में कोरिया का अंगीकरण किया किंतु वह पहले से ही उसकी अधीनता में था।
(6) सम्मेलन का निर्णय: स्टार्क ने नये प्रदेश पर आधिपत्य का एक और तत्व बताया है जो कि सम्मेलन का निर्णय है। प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद पेरिस के मित्र राष्ट्रों का शांति सम्मेलन हुआ जिसमें वारसा संधि, सेंट जर्मन तथा नई संधि द्वारा विभिन्न प्रदेशों की प्रभुसत्ता तक अन्य प्रदेशों को प्रदान की गई थी।
(7) पट्टा(Lease): पट्टे के द्वारा भी किसी प्रदेश में प्रभुसत्ता स्थापित की जा सकती है। उदाहरण के लिए 1930 में पनामा के गणराज्य ने पनामा शहर क्षेत्र को संयुक्त अमेरिका को दे दिया।
(8) गिरवी(Pledge): कभी-कभी ऐसी परिस्थितियां भी उत्पन्न हो जाती है जब कोई राज्य दूसरे राज्य से रुपए आदि के लिए अपने प्रदेश के कुछ भाग को गिरवी रख दे। इस प्रकार भी संबंधित प्रदेश की प्रभुसत्ता के कुछ भाग का हस्तांतरण हो जाता है। उदाहरण के लिए 1968 में जिनेवा के गणराज्य ने कारसिका द्वीप को फ्रांस को गिरवी रखा था।
प्रदेश द्वारा राज्य क्षेत्र या किसी भाग को खोना(Loss of state territory ): प्रोफेसर ओपनहाइम के अनुसार राज्य के प्रदेश निम्नलिखित ढंग से खोये जा सकते हैं:
(1)अध्र्यपण(Cession): कोई भी राष्ट्र जिस प्रकार किसी प्रदेश को अध्यर्पण द्वारा प्राप्त कर सकता है उसी प्रकार दूसरा राज्य उससे वंचित हो जाता है।
(2) प्राकृतिक क्रिया(operation of nature ): प्राकृतिक कारणों द्वारा भी एक राष्ट्र अपने प्रदेश को खो बैठता है। उदाहरण के लिए भूकंप द्वारा समुद्र का किनारा द्वीप पूरे भाग का लोप हो सकता है। इसी प्रकार नदियों के बहाव में परिवर्तन होने के कारण भी प्रदेश का कुछ भाग घट सकता है।
(3) अधीनकरण(Subjugation ): जिस प्रकार विजय द्वारा कोई राज्य किसी प्रदेश को प्राप्त कर सकता है इसके विपरीत अधीनकरण द्वारा संबंधित राज्य अपने प्रदेश को खो बैठता है।
(4)चिरभोग (prescription ): जब किसी एक राज्य के प्रदेश पर किसी दूसरे राज्य का दीर्घ काल तक आधिपत्य रहता है तो आधिपत्य रखने वाला राज्य चिरभोग द्वारा उसे प्राप्त कर लेता है तथा जिस राज्य का प्रदेश में पहले था हुआ है उसे खो बैठता है।
(5) क्रांति(Revolt): क्रांति के फलस्वरूप नया राज्य जन्म लेता है तो यह कहा जाता है कि पहले वाले राज्य ने अपना प्रदेश को दिया। उदाहरण के लिए 1579 में नीदरलैंड क्रांति द्वारा स्पेन के हाथ से निकल गया। प्रकाश 1776 के क्रांति के फलस्वरूप ग्रेट ब्रिटेन ने अमेरिका की प्रदेश को खो दिया। बांग्लादेश क्रांति करके सन 1971 में स्वतंत्र हो गया तथा पाकिस्तान ने इस प्रकार व क्षेत्र खो दिया।
(6) परित्याग द्वारा: जब कोई राज्य किसी प्रदेश का परित्याग कर देता है या उस प्रदेश पर अपने परम सत्ता शिथिल कर देता है तो वह प्रदेश को खो देता है।
(7) उपनिवेश द्वारा स्वतंत्रता प्राप्त करके: वर्तमान समय में अनेक राज्य जो पहले उपनिवेश थे अब स्वतंत्र हो गए हैं जिन राज्यों में ऐसे राज्य उपनिवेश थे उन्होंने यह क्षेत्र को दिया।
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