सामान्यतः प्रत्येक राज्य अपने प्रदेश के अंदर ही अपने नागरिकों पर अधिकारिता रखता है। कभी - कभी ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न होती है कि एक व्यापारी अपने देश में भीषण अपराध करके दूसरे देश में भाग जाता है। ऐसी दशा में संबंधित देश पर क्षेत्राधिकार रखने तथा उसे दंडित करने में अपने को असहाय पाता है। ऐसि परिस्थिति में पहला देश उस देश से जिसमें व्यक्ति अपराध करके भाग गया है यह प्रार्थना करता है कि अपराधी को उसे सौंप दिया जाए। दूसरे देश द्वारा अपराधी को पहले देश को सौंपना प्रत्यर्पण कहलाता है।प्रत्यर्पण अधिकतर संधियों पर आधारित है।
प्रत्यर्पण के संबंध में राज्यों का कोई सामान्य कर्तव्य नहीं है। प्रत्यर्पण द्विपक्षीय संधियों पर निर्भर करता है। अपराधी के प्रत्यर्पण करने तथा संबंधित राज्यों द्वारा उसे वापस मांगने का विधिक अधिकार प्रत्यर्पण संधि के प्रावधानों के अनुसार ही उत्पन्न होता है। यदि कोई राज्य चाहे बिना प्रत्यर्पण संधि के भी किसी अन्य राज्य की प्रार्थना पर किसी व्यक्ति का प्रत्यर्पण कर सकता है। प्रत्यर्पण की परिभाषा विभिन्न ने विधि शास्त्रियों ने भिन्न-भिन्न प्रकार से दी है-
ओपेनहाइम के अनुसार अपराधी ने जिस देश मे अपराध किया है या अभियुक्त है उस देश के द्वारा जहां वह उस समय है लौटा देना प्रत्यर्पण है।
(Extradition is the delivery of an accused or a convicted individual to the state to whose territory he is alleged to have committed ,or ti have been convicted of a crime by the state or whose territory the alleged criminal happens to be for the time to be.)
According to Lawrence ने इसकी परिभाषा करते हुए लिखा है कि यह एक राज्य द्वारा दूसरे राज्य को ऐसे व्यक्ति को अर्पण करना है जो पहले राज्य के प्रदेश में विद्यमान है किंतु जिस पर यह आरोप है कि उसने दूससे राज्य में अपराध किया है या दूसरे राज्य के प्रदेश के बाहर अपराध करने पर भी वह अपने प्रजानन होने के नाते इस देश के अनुसार इस राज्य के क्षेत्राधिकार में आता है।
According to Starke ने लिखा कि यह ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक राज्य दूसरे राज्य की प्रार्थना कर उसे ऐसे व्यक्तियों को सौंपता है जो इसकी प्रार्थना करने वाले राज्य के प्रदेश में इसके कानून के विरुद्ध किए गए अपराध में अभियुक्त हैं या उसे दंण्डित अथवा अपराधी ठहराया जा चुका है तथा प्रार्थना करने वाले राज्य को तथाकथित अपराधी पर विचार करने का अधिकार है।
प्रसिद्ध विधि शास्त्री ग्रोशियस के अनुसार प्रत्येक देश का यह कर्तव्य है कि वह या तो अपराध करने वाले व्यक्ति को स्वंय दण्डित करे या उसे ऐसे राज्य को लौटा दे जहां उसने अपराध किया है। परंतु व्यवहार में राज्य इस प्रकार का उत्तरदायित्व स्वीकार नहीं करते। अंतर्राष्ट्रीय विधि में प्रत्यर्पण मुख्यता द्विपक्षीय संधियों पर आधारित है। प्रत्यर्पण के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय विधि में प्रथा संबंधी कोई सार्वभौमिक नियम नहीं है जिसके द्वारा राज्यों पर प्रत्यर्पण का उत्तरदायित्व हो।
प्रत्यर्पण की आवश्यक शर्तें:-
स्टार्क के अनुसार प्रत्यर्पण की निम्नलिखित आवश्यक परिस्थितियां होती हैं-
(1) समर्पण योग्य व्यक्ति हो
(2) प्रत्यर्पण योग्य अपराध हो
(1)समर्पण योग्य व्यक्ति : समर्पण होने वाला व्यक्ति अपराध या दंड पाया हुआ अभियुक्त होता है और वह मुकदमा चलाने वाले राष्ट्र की किसी अन्य तीसरे राष्ट्र का सदस्य हो सकता है या समर्पण करने वाले राज्य का ही व्यक्ति हो सकता है।बहुत से राष्ट्रों ने अपने नागरिकों को किसी विदेशी राष्ट्र को समर्पित करने का सिद्धांत अपना रखा है जिनमें फ्रांस और जर्मनी प्रमुख हैं। इसी प्रकार ब्रिटेन अपने और दूसरे नागरिकों मे़ं इस संबंध में कोई भेद नहीं करता।
(2)प्रत्यर्पण योग्य अपराध : जिस अपराध के लिए प्रत्यर्पण की प्रार्थना हो वह गंभीर प्रकृति का होना चाहिए। कुछ देशों ने यह नियम बनाया है कि कुछ विशेष प्रकार के अपराधी के लिए जिनमें कम से कम निर्धारित स्तर की दंड की व्यवस्था हो समर्पण किया जा सकता है कुछ देशों ने समर्पण योग्य अपराधों की एक तालिका बना रखी है। सामान्य तौर पर समर्पण उस समय तक स्वीकार नहीं किया जाता जब तक की निम्नलिखित में से कोई अपराध ना हो:-
(1) राजनैतिक अपराध
(2) सैनिक अपराध
(3) धार्मिक अपराध
(1) राजनैतिक अपराध:- राजनैतिक अपराध शब्द का फ्रेंच क्रांति से पहले अंतर्राष्ट्रीय विधि के सिद्धांत और प्रथा दोनों में ही कोई अस्तित्व नहीं था। फ्रेंच क्रांति के बाद वहां सन 1893 में संविधान बना और तभी से इस शब्द का प्रयोग होने लगा। 19वीं शताब्दी में जो Despotism और Absolutism के विरुद्ध विद्रोह का युग था लोकमत राजनीतिक अपराधियों में समर्पण के विरुद्ध होता गया।उदार प्रकृति वाले राष्ट्रों जैसे ब्रिटेन, स्वीटजरलैंड, और हालैंड इत्यादि देशों ने राजनैतिक अपराधियों का समर्पण बंद कर दिया।
राजनैतिक अपराध की धारणा के विषय में अनेक मतभेद हैं। कुछ लेखक राजनैतिक मंतव्य से किए गए अपराधों को इस श्रेणी में रखते हैं तो कुछ राजनैतिक उद्देश्य से किए जाने वालों को। कुछ लेखक राजनैतिक अपराध शब्द को ऐसे अपराध तक के लिए सीमित रखते हैं जो केवल राष्ट्र के विरुद्ध किए गए हो। री कैस्टिओनी (1880)(In recastioni ) नामक केस में राजनैतिक अपराध की व्याख्या की गई।
दूसरे और केस री म्यूनियर(In remunier 1894) नामक केस में राजनीतिक अपराध की कसौटी बताई गई जिनमें न्यायालय ने कहा किसी अपराध को राजनैतिक किस्म का अपराध होने के लिए देश के अंदर दो या अधिक पार्टियां होनी चाहिए जिनमें से प्रत्येक अपने विचार की सरकार दूसरे पर आरोपित करने के लिए प्रयत्नशील हो और इस लक्ष्य की प्राप्ति में यदि एक पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष पर कोई अपराध कार्य हो जाता है तो वह अपराध राजनैतिक अपराध बन जाता है अन्यथा नहीं।
री म्यूनियर और री कैस्टिओनी नामक मामलों में जो कसौटी निर्धारित हुई उसका और अधिक स्पष्टीकरण आर बनाम गवर्नर आॅफ ब्रिक्स्टन प्रिजन एक्स पार्टी कोलेजिंस्की (R. Vs governor of Brixten prison exparate Kolezyanski) नामक केस के निम्न फैसले से हुआ जिसमें न्यायालय ने कहा कि राजनीतिक उद्देश्य को लेकर किए जाने वाले अपराध कार्य अथवा किसी राजनैतिक त्रुटि के परिणाम स्वरूप होने वाले राजनैतिक आरोप या राजनैतिक दंड से बचने के लिए किए हुए अपराध कार्य राजनैतिक अपराध है चाहे उन कार्यों का मंतव्य किसी स्थापित सरकार को उल्टना न भी रहा हो।
प्रत्यर्पण के अपराध (Extradition crime ): सामान्यतः अपराधियों के प्रत्यर्पण की मांग तभी की जाती है जब उन्होंने कोई गंभीर अपराध किया हो। भिन्न-भिन्न देशों के कानूनों में इनका उल्लेख होता है, जैसे ग्रेट ब्रिटेन के कानून में।
(1)हत्या(Murder)करना।
(2) मानव हत्या ( man slaughters)
(3)नकली नोट बनाना
(4) जालसाजी
(5)गबन
(6)चौरकर्म
(7) झूठे बहानों से धन प्राप्त करना
(8) गृहदाह
(9) अपहरण
(10) बलात्कार
(11) बच्चे को चुराना
(12) रुपए ऐठने की धमकी देना
(13) समुद्री डकैती
(14) महा समुद्रों में किए जाने वाले अन्य अपराध
(15) दूसरे जहाजों पर किसी की हत्या का प्रयास
(16) षड्यंत्र इत्यादि अपराध प्रत्यर्पण के योग्य माने जाते हैं। वर्तमान काल में विभिन्न देश की प्रत्यर्पण संधियां दो प्रकार की होती हैं:-
(1)पुराने ढंग की संधियां(Order or classical type of treaty):- इनमें प्रत्यर्पण किए जाने योग्य अपराधों की पूरी सूची होती है, जैसे ग्रेट ब्रिटेन द्वारा उल्लेखित उपर्युक्त अपराध या सन् 1962 के भारतीय प्रत्यर्पण कानून।
(2) आधुनिक संधियां(modern type of treaty):- इसके अंतर्गत किन्ही विशिष्ट अपराधों की सूची नहीं होती परंतु सामान्य व्यवस्था यह होती है कि उन सभी अपराधों के मामले में प्रत्यर्पण किया जाएगा जो अपराध संधि करने वाले तथा उस व्यक्ति को सौंपने वाले देशों में वह एक ऐसा अपराध हो जिसका न्यूनतम दंड 1 वर्ष का हो।
प्रत्यर्पण के कुछ प्रसिद्ध मामले(Some important case law on extradition ):
(1)ब्लैकमर का मामला (case of blackmer):- इस केस में ब्लैकमर नामक व्यक्ति ने अपनी आय के बारे में झूठा विवरण दिया था और फ्रांस भाग गया। संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार ने फ्रेंच सरकार से ब्लैकमर को सौंपने की प्रार्थना की उसने अपनी आय को झूठा विवरण देकर Perjury का अपराध किया था परंतु फ्रेंच कानून में आए के संबंध में झूठा बयान देना perjury नहीं माना जाता। अतः उसने अमेरिका सरकार की प्रत्यर्पण की मांग को अस्वीकार कर दिया।
(2) आइजलर का मामला(The Eisler extradition case):- गैरहार्ट आइजलर अमेरिका का विदेशी कम्युनिस्ट था जिसे वहां कुछ अपराधों के लिए दंड दिया गया। उसने अपनी सजा कम करने के लिए उच्च न्यायालय में अपील की। जनमत पर या होने पर वह चोरी से पोलैंड के एसएस बटरी(SSBatory) नामक जहाज पर रवाना होकर संयुक्त राज्य अमेरिका से भाग निकला। उस जहाज को पहले इंग्लैंड के सौथम्पटन नामक बंदरगाह पर रुकना था। अतः अमेरिकी सरकार ने इंग्लैंड की सरकार से प्रार्थना की थी जहाज के वहां रुकने पर अपराधी को गिरफ्तार करके उसके हवाले कर दें क्योंकि उसने अमेरिका से बाहर जाने के लिए आवेदन पत्र में झूठी बातें की थी और वह perjury का अपराध है। क्योंकि इंग्लैंड में झूठ साक्षी(perjury ) का अपराध केवल न्यायिक कार्यवाही ओं में ही किया जा सकता है। उन्होंने अमेरिका सरकार द्वारा आइजलर पर लगाए आरोपों को नहीं और उसको अमेरिका को सौंपने की प्रार्थना को अस्वीकार कर दिया।
राजनैतिक अपराध और प्रत्यर्पण (extradition and political crime ) स्टार्क के अनुसार निम्नलिखित अपराधों में सामान्य रूप से प्रत्यर्पण नहीं किया जा सकता
(1) धार्मिक अपराध
(2) सैनिक अपराध जैसे सैनिक सेवा को छोड़कर भाग जाना
(3) राजकीय अपराध यह पद्धति 1789 की फ्रांस राज्य क्रांति के बाद स्थापित हुई है।
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