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दलित व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार की अमानवीय घटना कारित करने वाले व्यक्तियों को सजा कैसे दिलायें ?

अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्य हेतु उत्तर प्रदेश जमीदारी उन्मूलन व भूमि सुधार अधिनियम में प्रावधान: The provisions under Up z a and l r act to protect the interest of member of caste and Scheduled tribe

अनुसूचित जाति का कोई भी भूमिधर अपनी जोतदार भूमि का विक्रय दान बंधन अथवा पट्टा अनुसूचित जाति के अलावा किसी भी व्यक्ति को नहीं कर सकता है.

              कलेक्टर की पूर्व आज्ञा के अंतरण अनुसूचित जनजाति के अलावा किसी व्यक्ति को किया जा सकता है.

                 अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के हितों की रक्षा हेतु उत्तर पृदेश  जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार अधिनियम में निम्न प्रावधान किए गए हैं.

         
( 1) धारा 122 (ग) के अनुसार (according to Section 122( c) ): - जमीदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम की धारा 122 (ग) के अंतर्गत भूमि प्रबंधन समिति को परगनाधिकारी की पूर्व आज्ञा से अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों को मकान बनवाने के लिए भूमि का आवंटन किया जाता है अथवा अधिनियम के अनुसार अनुसूचित जाति एवं जनजाति के व्यक्तियों को मकान बनाने के लिए भूमि प्रदान की जाती है.

( 2) धारा 157 क के अनुसार (according to Section 157 a): - अनुसूचित जाति का कोई भी व्यक्ति अपनी भूमि का दान पट्टा वितरण और बंधक अनुसूचित जाति के व्यक्ति के अलावा किसी और व्यक्ति को नहीं कर सकता है.

            किंतु कलेक्टर की पूर्व आज्ञा लेकर भूमि का अंतरण अनुसूचित जाति के व्यक्ति को किया जा सकता है किंतु कलेक्टर के द्वारा आज्ञा प्रदान नहीं की जाएगी यदि संक्रमणकर्ता आवेदन पत्र के दिनांक पर उत्तर प्रदेश में 3.18 एकड़(1.26 हेक्टेयर) से कम भूमि धारण किए हुए यदि इस अधिनियम का उल्लंघन होता है तो इस प्रकार का अंतरण शून्य होगा.

( 3) धारा 157( ख )के अनुसार अनुसूचित जाति के किसी भूमिधर की कोई भी भूमि किसी ऐसे व्यक्ति को जो अनुसूचित जनजाति का ना हो विक्रय दान बंधक या पट्टे द्वारा अंतरित करने का अधिकार ना होगा.

         यदि कोई व्यक्ति इस प्रकार का अंतरण  करता है तो ऐसा अंतरण शून्य  समझा जाएगा.

( 4) धारा 211 के अनुसार अनुसूचित जनजाति के किसी जोरदार द्वारा धारित कोई भी भूमि यदि ऐसे जोरदार से भिन्न किसी अन्य व्यक्ति के कब्जे में है तो वहां सहायक कलेक्टर इस अधिनियम में किसी बात के प्रतिकूल होते हुए भी ऐसे जोतदार के आवेदन पत्र पर या स्वप्रेरणा से कब्जे धारी को बेदखल करने के पश्चात उसे ऐसी भूमि का कब्जा दिला सकता है और इस प्रयोजनार्थ  बल का प्रयोग कर सकता है अथवा करा सकता है जो आवश्यक समझे बल के प्रयोग से अभिप्राय समुचित पुलिस बल से.

( 5) धारा 122 बी के अनुसार: - यदि यह सिध्द  हो जाता है कि विपक्षी अनुसूचित जाति का है और वह कृषक मजदूर है और विवादित भूमि के अलावा उसके पास कोई अन्य भूमि नहीं है और वह उस भूमि पर 30 जून 1975 से पहले से काबिज है और उसके पास ऐसी भूमि को मिलाकर 3.125 एकड़ से अधिक भूमि नहीं है जो तो उसके विरुद्ध कोई कानूनी कार्रवाई भूमि प्रबंधक समिति व कलेक्टर द्वारा नहीं की जा सकती और यह माना जाएगा कि उसने सीरदारी अधिकार धारा 195 उत्तर प्रदेश जमीदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम के अंतर्गत प्राप्त कर लिए हैं कानून सादा संक्रमणीय भूमिधर के अधिकार प्राप्त कर लिए इसलिए उसे बेदखल नहीं किया जा सकता अतः 30जून 1975 के  संशोधन से यह स्पष्ट है कि अनुसूचित जाति के सदस्यों के अधिकारों एवं हितों को राज्य सरकार द्वारा सुरक्षा प्रदान की गई है.

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