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क्या कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा हैं तो क्या वह दूसरी शादी धर्म बदल कर कर सकता है?If a person is already married, can he change his religion and marry again?

अंतर्राष्ट्रीय विधि तथा राष्ट्रीय विधि क्या होती है? विवेचना कीजिए.( what is the relation between National and international law?)

अंतर्राष्ट्रीय विधि को उचित प्रकार से समझने के लिए अंतर्राष्ट्रीय विधि तथा राष्ट्रीय विधि के संबंध को जानना अति आवश्यक है ।बहुधा यह कहा जाता है कि राज्य विधि राज्य के भीतर व्यक्तियों के आचरण को नियंत्रित करती है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय विधि राष्ट्र के संबंध को नियंत्रित करती है। आधुनिक युग में अंतरराष्ट्रीय विधि का यथेष्ट विकास हो जाने के कारण अब यह कहना उचित नहीं है कि अंतर्राष्ट्रीय विधि केवल राज्यों के परस्पर संबंधों को नियंत्रित करती है। वास्तव में अंतर्राष्ट्रीय विधि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सदस्यों के संबंधों को नियंत्रित करती है। यह न केवल राज्य वरन्  अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं, व्यक्तियों तथा कुछ अन्य राज्य इकाइयों पर भी लागू होती है। राष्ट्रीय विधि तथा अंतर्राष्ट्रीय विधि के बीच घनिष्ठ संबंध हैं। दोनों प्रणालियों के संबंध का प्रश्न आधुनिक अंतरराष्ट्रीय विधि में और भी महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि व्यक्तियों के मामले जो राष्ट्रीय न्यायालयों के सम्मुख आते हैं वे भी अंतर्राष्ट्रीय विधि के विषय हो गए हैं तथा इनका वृहत्तर  भाग प्रत्यक्षतः व्यक्तियों के क्रियाकलापों से भी संबंधित हो गया है।

अंतर्राष्ट्रीय विधि क्या होती है? What is the international law? Define its positive morality?

अंतर्राष्ट्रीय विधि की परिभाषा( international law):- अंतर्राष्ट्रीय विधि का उद्देश्य संसार के राष्ट्रों  के बीच उनके संबंधों में एक व्यवस्था उत्पन्न करना रहा है न कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों की कोई न्यायिक परंपरा कायम करना ;लेकिन इधर एक अरसे ऐसे प्रयत्न अवश्य दृष्टिगोचर होते आ रहे हैं जिनका लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक न्यायिक परंपरा भी कायम करना होता जा रहा है। जिस प्रकार कोई मनुष्य पूर्णतया आत्मनिर्भर नहीं है ,उसी तरह कोई राष्ट्र पूर्णतया आत्मनिर्भर नहीं हो सकता है। अतः पारस्परिक संबंध या संपर्क राष्ट्रों के बीच आवश्यक हो जाता है। यह आवश्यकता ही अंतर्राष्ट्रीय विधि की जननी है। अंतर्राष्ट्रीय विदेश साधारणतया नियमों तथा सिद्धांतों का वह समूह  है जिससे राष्ट्रों के बीच पारस्परिक संपर्क का संचालन होता है। अंतर्राष्ट्रीय विधि शब्द की परिभाषा भिन्न-भिन्न न्यायविदों ने भिन्न-भिन्न प्रकार से दी है जो कि उनके मौलिक विचार तथा चिंतन का परिणाम है;              प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय विधि शास्त्री ओपेनहाइम के अनुसार, " अंतर्राष्ट्रीय विधि उन परंपरागत और समयात्मक नियमों के संग्रह का नाम

बाल अपराध क्या होता है? बाल अपराधी की जमानत और अभिरक्षा की विवेचना क्या होती है?( define Juvenile Delinquency)

बाल अपराध की परिभाषा( definition of Juvenile Delinquencies ) भारत में बाल अधिनियम, 1960 के अंतर्गत, " वह बालक जो किसी अपराध का दोषी पाया गया है, बाल अपराध कहते हैं। " बालक से अभिप्राय 16 साल से कम आयु के लड़के तथा 18 साल से कम आयु की लड़कियों से है।         विलियम हीले के मतानुसार," व्यवहार के सामाजिक आदर्शों से विचलित होने वाले बाल को बालक अपराधी या ऐसे अपराध को बाल अपराध कहते हैं।         मार्टिन न्यूमेयर के शब्दों में बाल अपराध का तात्पर्य समाज विरोधी व्यवहार का कोई प्रकार है, जो वैयक्तिक तथा सामाजिक विघटन उत्पन्न करता है।"       एम.जे.सेथना के  मतानुसार " बाल अपराध के अंतर्गत एक राज्य विशेष में कानून द्वारा निर्धारित एक निश्चित आयु से कम आयु के बच्चों या युवकों  द्वारा किया गया अनुचित कार्यों का समावेश होता है।         न्यूमेयर ने सामाजिक दृष्टिकोण के अतिरिक्त कानूनी दृष्टिकोण से भी बाल अपराध को परिभाषित किया है इस परिभाषा की व्याख्या करने पर स्पष्ट है कि बाल अपराध का संबंध समाज विरोधी कार्यो से है। समाज विरोधी कार्य करने में व्यक्ति जिस अनुचित आचरण को अप

अन्यायपूर्ण आचरण एवं कुप्रबंध से क्या आशय है?( what is meant by oppression and mismanagement)

अन्याय पूर्ण आचरण एवं कुप्रबंध(oppression and mis management) उच्चतम न्यायालय ने शांति प्रसाद जैन बनाम कलिंग ट्यूब्स लिमिटेड के केस में दमनकारी आचरण की परिभाषा इस प्रकार है: दमनकारी या उत्पीड़क आचरण ऐसा निम्न  स्तरीय आचरण होता है जो उचित आचरण के मापदंड के विपरीत हो और कंपनी में निवेश करने वाले अंश धारियों जिन्होंने कंपनी के प्रति विश्वास करते हुए अपना धन कंपनी की पूंजी में लगाया है, के प्रति अन्याय पूर्ण तथा अनुचित हो।              इसी कारण कंपनी अधिनियम,2013 ने कंपनी लॉ अधिकरण को पर्याप्त शक्तियां प्रदान करते हुए कम्पनी के कुप्रबंध एवं दमनात्मक कार्यों पर नियंत्रण रखने के लिए सशक्त किया है। कंपनी लॉ अधिकरण का मुख्य लक्ष्य कंपनी के परिसमापन को रोका जाना तथा कंपनी के कारोबार को निरंतर क्रियाशील बनाए रखने का होना चाहिए।           इन.रि. हिंदुस्तान कोऑपरेटिव इंश्योरेंस लिमिटेड,(1961)31 कंपनी कैसे 193 के मामले में अवधारित किया गया है कि जहां बहुमत के सदस्यों द्वारा पारित प्रस्ताव कंपनी को प्रदत्त शक्ति के अंतर्गत तथा कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के प्रतिकूल नहीं है फिर भी यदि अल्पमत सदस्

कुप्रबंध की स्थिति में कंपनी लॉ बोर्ड के समक्ष कौन याचिका कर सकता है who and how much minimum share holding is essential for the purpose of approaching Company Law board in the matter of mismanagement

कुप्रबंध की स्थिति में कंपनी लाॅ बोर्ड के समक्ष न्यूनतम अंशधारिता: बहुमत के प्रशासन के विरुद्ध जो सुरक्षा फाॅस बनाम हार्बोटल के सिद्धांत के अपवादों द्वारा मिलती है, उसके अतिरिक्त आधुनिक कंपनी अधिनियमों में अन्याय पूर्ण आचरण तथा  कुप्रबंध रोकने के लिए विशेष उपबंध दिए गए हैं। कंपनी अधिनियम 2013 के अध्याय 16 के भाग प्रथम में ऐसे उपबंध मिलते हैं ।  इन उपबंधों  का मुख्य उद्देश्य कंपनियों में धन लगाने वाले व्यक्तियों तथा लोकहित की सुरक्षा करना है। जो अधिकार इन उपबंधों  द्वारा अंश धारक को दिए गए हैं  उन्हें अल्पसंख्यकों के विशेष अधिकार भी कहते हैं ।इन उपबंधों में  प्रशासनिक तथा न्यायिक दोनों प्रकार के उपचार दिए गए हैं । अन्यायपूर्ण आचरण का निवारण( prevention of Oppression ) कौन याचिका कर सकता है( who can apply)( धारा 244): अन्याय पूर्वक आचरण के विरुद्ध पहला उपचार कंपनी विधि बोर्ड को आवेदन द्वारा प्रार्थना करना है । जब भी किसी कंपनी के कार्यकलाप का संचालन ऐसी रीति से किया जा रहा है जो एक या एक से अधिक सदस्यों के प्रति अन्याय पूर्ण है या जो लोकहित  के प्रतिकूल है, तो धारा के अंतर्गत अधिकरण को आ