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भारत में दहेज हत्या में क्या सजा का प्रावधान है ? विस्तार से चर्चा करो।

राज्य क्या होता है? राज्य के आवश्यक तत्व को बताइए.( what do you understand by State? Discuss the essential element of state.

 राज्य अंतर्राष्ट्रीय विधि का प्राथमिक विषय है। राष्ट्रीय विधि के अंतर्गत संपूर्ण अधिकार तथा कर्तव्य धारण करते हैं।अंतर्राष्ट्रीय विधि की दृष्टि से राज्य शब्द महत्वपूर्ण है, क्योंकि जो समुदाय राज्य नहीं है, वे अंतर्राष्ट्रीय विधि में क्षमता धारणा से वर्जित किए गए हैं। राज्य की परिभाषा देना कठिन है फिर भी विभिन्न विधि वेत्ताओं ने राज्य की परिभाषा विभिन्न प्रकार से दी है:

सामण्ड के अनुसार राज्य मनुष्य का वह समुदाय है जो किसी निश्चित सीमा के अंतर्गत शक्ति द्वारा शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए स्थापित किया जाता है।

प्रोफेसर हार्ट के अनुसार राज्य शब्द से निम्नलिखित दो तत्वों का बोध होता है:

(क) किसी निश्चित क्षेत्र में लोग एक व्यवस्थित सरकार के अंतर्गत रहते हैं तथा यह सरकार एक विधिक प्रणाली द्वारा स्थापित हो,विधायिन न्यायालय तथा प्राथमिक नियम( primary rules) हो, तथा

(ख) उक्त सरकार स्वतंत्र हो

फेनविक(fenvick) के अनुसार राज्य स्थाई रूप से संगठित एक राजनीतिक समाज है जोकि निश्चित प्रदेश में विद्यमान होता है। अपनी सीमा के भीतर वह किसी अन्य राज्य के नियंत्रण से स्वतंत्र होता है और इस प्रकार यह विश्व के समक्ष एक स्वतंत्र सत्ता के रूप में आता है।

लारेन्स(Lawrence) ने राज्य की परिभाषा इस प्रकार दी है। राज्य एक ऐसा राजनीतिक समुदाय है जिसके सदस्य किसी सामान्य उद्देश्य से संबद्ध  होते हुए किसी केंद्रीय सत्ता के अधीन होते हैं जिस के आदेश को बहुमत स्वभावतः  पालन करते हैं।

विल्सन (wilson) के अनुसार एक निश्चित प्रदेश के भीतर कानून के लिए संगठित जनता का नाम राज्य है।

हाल(Hall) ने इसकी परिभाषा करते हुए लिखा है कि स्वतंत्र राज्य का लक्षण यह है कि उसका निर्माण करने वाला समाज स्थाई रूप से राजनैतिक ध्येय  की प्राप्ति के लिए संगठित है, उसका एक निश्चित प्रदेश होता है और वह बाहरी नियंत्रण से मुक्त होता है।

ओपेनहाइम(oppenheim) के अनुसार एक राज्य की सत्ता मानी जाती है जब जनता अपनी संपूर्ण प्रभुसत्ता संपन्न(Sovereign) सरकार की अधीनता में किसी देश में बसी होती है।

            अन्तर्राष्ट्रीय विधि के प्रयोजन के लिए राज्य को राज्य क्षेत्र पर दखल करने वाले व्यक्तियों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसके सदस्य सरकार के प्रति सामान्य अधीनता(subjection) के बन्धन द्वारा बाध्य होते हैं तथा जिसे अन्य इकाइयों के साथ संबंध बनाने की समता है। जो इकाई इन लक्षणों को धारण करती है उसे राज्य कहा जा सकता है।


       राज्य के आवश्यक तत्व( essential characteristics of state): राज्य के मुख्य तत्व निम्न प्रकार है:

(1) जनसंख्या( population): राज्य शब्द व्यक्तियों के समूह का दूसरा रूप है अर्थात व्यक्तियों की अनुपस्थिति में राज्य का कोई अस्तित्व नहीं होता। अतः राज्य का प्रथम आवश्यक लक्षण जनता या जनसंख्या है। जिसको सामूहिक रूप में राज्य नामक शब्द में माना जाता है।

              जनसंख्या एक संगठित समाज में व्यवस्थित होनी चाहिए। राज्य की जनसंख्या के लिए कोई न्यूनतम सीमा नहीं है। उदाहरण के लिए नौरा(Naura) में 10000 से कम निवासी हैं फिर भी वह एक राज्य है। यह संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के लिए सक्षम है। यदि यह संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद 4 के अधीन अधिक कार्य शर्तों को पूरा करते हैं।


(2) निश्चित भूभाग( determined territory): राज्य के किसी निश्चित भूभाग का होना आवश्यक है जिस पर जनसंख्या( population) का स्थाई निवास रहता हो। खानाबदोश जाति राज्य नहीं कहला सकती क्योंकि वह निश्चित भूभाग पर स्थाई रूप में नहीं रहती और स्थान बदलती रहती है।

(3) सरकार( government): राज्य  का सबसे प्रमुख तत्व सरकार है जिसके माध्यम से राज्य में प्रशासन चलाया जाता है। समस्त समाज उस सरकार को केंद्रीय सत्ता के अधीन रखता है। अतः किसी राज्य में सरकार का होना आवश्यक है। जिस राज्य में सरकार नहीं होती उसे राज्य नहीं माना जा सकता।


(4) प्रभुसत्ता संपन्नता(Sovereign power ): राज्य शब्द की सार्थकता तो तभी है जब वह प्रभुसत्ता पूर्ण हो और अन्य प्रमुख सत्ताधारी राज्यों के साथ बराबरी से व्यवहार कर सके तथा स्वतंत्र रूप से संबंध बना सके।


       सन 1933 में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका तथा दक्षिणी अमेरिका के राज्यों के मध्य जो  माटेविडियो (mantevideo) में समझौता हुआ उसकी पहली धारा के अनुसार राज्य की निम्नलिखित विशेषताएं बताई गई है:

(1) स्थाई जनसंख्या

(2) एक निश्चित क्षेत्र

(3) सरकार

(4) अन्य राज्यों से संबंध बनाने की क्षमता

        उपयुक्त क्षमता के किसी संघ राज्य(federation) के सदस्यों को नहीं होती। इसी प्रकार संरक्षित राज्य(Protectorate) भी वैदेशिक विषयों  में स्वतंत्र नहीं होते। अतः इन्हें राज्य नहीं माना जाता। उदाहरण के लिए भारत वर्ष में उत्तर प्रदेश बिहार असम इत्यादि। विभिन्न राज्य हैं परंतु अंतर्राष्ट्रीय विधि के दृष्टिकोण से इन्हें राज्य नहीं माना जाता।


       अतः  अंतर्राष्ट्रीय विधि के दृष्टिकोण से राज्य के निम्नलिखित गुण माने जाते हैं:

(1) किसी प्रदेश में रहने वाले व्यक्तियों को शासित करने का और उन पर नियंत्रण रखने का अधिकार तथा अपनी प्रभुसत्ता और स्वतंत्रता बनाए रखने वाली सत्ता।

(2) अपनी स्थल, जल और वायु सेना रखना

(3) अपना पृथक  झंडा रखना और अन्य देशों को राजदूत भेजना

(4) युद्ध छेड़ने और शांति संधि बनाए रखने का अधिकार

(5) अन्य राज्यों द्वारा इसकी सत्ता स्वीकार किया जाना

राज्यों के कार्य:- राज्यों के कार्य के संबंध में आधुनिक समय में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं. राज्यों की धारणा पहले पुलिस राज्य की थी अर्थात राज्य का अनिवार्य कार्य राज्य के अंदर शांति तथा व्यवस्था बनाए रखना तथा बाहरी आक्रमणों से राज्य की सुरक्षा करना था. परंतु वर्तमान समय में राज्य के कार्यों की धारणा के संबंध में परिवर्तन हो गया है. अब राज्य की धारणा पुलिस राज्य से बदलकर कल्याणकारी राज्य की हो गई है.


राज्यों के अधिकार( rights of the state)

(1) स्वतंत्रता का अधिकार( right to Independence):- प्रारूप घोषणा के अनुच्छेद 1 के अनुसार प्रत्येक राज्य को स्वतंत्रता का तथा उसको स्वतंत्रता पूर्वक बिना किसी अन्य राज्य के अधिशेष से सरकार को किसी भी रूप में स्थापित करने का अधिकार है.

(2) राज्य क्षेत्रीय अधिकारिता का अधिकार( right to territorial jurisdiction):- अनुच्छेद दो प्रावधान करता है कि प्रत्येक राज्य को अंतर्राष्ट्रीय विधि द्वारा माननीय उन्मुक्ति यों के अध्ययन अपने राज्य क्षेत्र पर तथा उसके सभी व्यक्तियों तथा वस्तुओं पर अधिकारिता का अधिकार है.

(3) समानता का अधिकार( right to Equality):- घोषणा का अनु पांच प्रावधान करता है कि विधि में सभी राज्यों को अन्य राज्यों के साथ समानता का अधिकार है.

(4) आत्मरक्षा का अधिकार( right to self defence):- अनुच्छेद 12 के अनुसार प्रत्येक राज्य को सशस्त्र आक्रमण के विरुद्ध व्यक्तिगत या सामूहिक आत्मरक्षा का अधिकार है.


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