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क्या कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा हैं तो क्या वह दूसरी शादी धर्म बदल कर कर सकता है?If a person is already married, can he change his religion and marry again?

कुछ महत्वपूर्ण कानूनी फैसले: Some important judgements of law

जब भी किसी स्त्री ने इंसाफ के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया तो न्यायालय द्वारा कुछ ऐसे ऐतिहासिक निर्णय लिए गए हैं जिनके बारे में सभी को जानना चाहिए.

         कुछ ऐसे खास फैसले के बारे में जो इस बात का संकेत देते हैं कि हमारा कानून इसकी हितों की रक्षा के लिए हमेशा से ही  प्रतिबंध्य रहा है


विशाखा बनाम स्टेट आफ राजस्थान: - वर्ष  2013 बनाया गया (protection of women from sexual harassment at workplace act) प्रोटक्शन आफ हुमन फॉर्म सेक्सुअल हैरेसमेंट अट वर्कप्लेस एक्ट कार्यस्थल पर स्त्रियों को सुरक्षा देने वाला महत्वपूर्ण कानून है जिसे पारित करवाने के लिए स्त्रियों की लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी. दरअसल 1997 में भंवरी देवी नाम की एक सामाजिक कार्यकर्ता के साथ गैंगरेप की जघन्य  घटना हुई क्योंकि वह अपने गांव से बाल विवाह के खिलाफ मुहिम चला रही थी इस कुकृत्य में गांव के पांच पुरुष शामिल थे लेकिन राजस्थान हाई कोर्ट ने उन्हें बाइज्जत बरी  कर दिया उसके बाद किसी स्वयंसेवी संस्था में काम करने वाली विशाखा नामक महिला ने   सर्वोच्च न्यायालय में इस निर्णय के खिलाफ जनहित याचिका दायर की जिसे देखते हुए ऑफिस में काम करने वाली स्त्रियों की सुरक्षा के लिए कोर्ट द्वारा कुछ दिशा निर्देश दिए गए जिसमें कार्यस्थल का सुरक्षित माहौल बनाने की जिम्मेदारी नियोक्ता को सौंपी गई।


निर्णय का असर:: - स्त्री अधिकारों के क्षेत्र में यह निर्णय मील का पत्थर साबित हुआ न्यायालय द्वारा इस किए गए इस दिशा निर्देश के आधार पर बनाकर 2013 में प्रोटेक्शन ऑफ वूमेन फ्रॉम सेक्सुअल हैरेसमेंट अट वर्कप्लेस एक्ट नमक कानून बनाया गया जिसमें यौन उत्पीड़न को नए सिरे से परिभाषित करते हुए इसकी पुष्टि और इसकी स्पष्ट और विस्तृत व्याख्या की गई आज देश के हर सरकारी और निजी कार्यालय के लिए एक्ट मे बताए गए निर्देशों का पालन अनिवार्य है और इससे देश की सभी कामकाजी स्त्रियों को बहुत राहत मिली है।



लीलू बनाम स्टेट ऑफ हरियाणा 2013

पहले रेप की जांच के लिए डॉक्टर द्वारा टू फिंगर टेस्ट( two finger test) का तरीका अपनाया जाता था एक रिट याचिका में कहा गया कि तरीका अमानवीय और क्रूर है इसलिए इस पर रोक लगानी चाहिए याचिका के बाद अब जांच पर रोक लगा दी गई है.

निर्णय का प्रभाव: - स्त्रियों के प्रति संवेदनशील नजरिया अपनाया है जिसकी  सबने सराहना की है।


तमिल नाडु बनाम सुहास कट्टी इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000
यह ऐसा पहला मामला था जब आईटी एक्ट के तहत किसी दोषी व्यक्ति की गिरफ्तारी हुई थी दरअसल एक लड़की ने सुभाष कट्टी नाम के लड़के को शादी से मना कर दिया तब उस लड़के ने बदला लेने के लिए याहू मैसेंजर ग्रुप पर उससे अश्लील एसएमएस भेजना शुरू कर दिया उसके पास अन्य लोगों के भी अश्लील कॉल्स आने लगे बहुत मानसिक प्रताड़ना और बदनामी झेलने के बाद उस लड़की ने सुभाष कट्टी पर फौजदारी का मुकदमा किया और 7 महीने के भीतर उस अपराधी को जेल की सजा हो गई.



निर्णय का असर: - निर्णय के बाद धोखे से साइबर क्राइम के चंगुल में फंसने वाली लड़कियों में इतनी हिम्मत आ गई कि वह अपने साथ होने वाली ऐसे हिंसक व्यवहार के खिलाफ आवाज उठाने लगी.


ऋतु कोहली बनाम मनीष कथूरिया 2001 साइबर बुलिंग

साइबर क्राइम से जुड़ा एक और निर्णय स्त्री सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण साबित हुआ अब तक स्टॉकिंग यानी इंटरनेट पर स्त्रियों का पीछा करने के लिए कोई कानून नहीं था लेकिन अब धारा 66 आईटी एक्ट के संशोधन करके 66E को जोड़ा गया है और स्टॉकिंग और साइबर बुलिंग को अपराध माना गया.


 निर्णय  का प्रभाव  इस कानून की वजह से इंटरनेट का उपयोग करने वाली लड़कियों को बहुत राहत मिली है।


मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस बनाम बबीता पूनिया 2020
नौसेना में कार्यरत  बबीता पूनिया द्वारा की गई शिकायत के आधार पर इस फैसले में पहली बार सर्वोच्च न्यायालय ने डिफेंस सेक्टर में कार्यरत महिला अधिकारियों को पुरुषों की बराबरी का दर्जा दिया


इस निर्णय का प्रभाव हम को परमानेंट कमिशन में सिलेक्शन का मौका दिया गया जिससे स्त्री को निर्णायक भूमिका निभाने में बराबरी का मौका मिला।

            के बाद सेना में कार्यरत स्त्रियां बैंकिंग प्रमोशन और पेंशन जैसी सभी सुविधाओं के मामले में पुरुषों के बराबर की हकदार बन जाएंगे।


लक्ष्मी बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया 2006
एसिड अटैक से  पीड़ित दिल्ली के लक्ष्मी नामक लड़की ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करके सरकार के समक्ष मांग रखी थी सरेआम एसिड की बिक्री पर रोक लगाई जाए और अटैक से पीड़ितों को उचित मुआवजा दिया जाए 7 वर्षों की लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद लक्ष्मी को जीत हासिल हुई और 2013 में सर्वोच्च न्यायालय ने इसकी बिक्री संबंधी कानूनों को सख्त बनाया जिसके अंतर्गत दुकानदार 18 साल से कम आयु के लोगों को नहीं बेच सकते हैं पहले खरीदने वाले के पहचान पत्र की जानकारी डिटेल की जानकारी अपने निकटतम थाने में जाकर पुलिस को दें.

निर्णय  का असर इस निर्णय के बाद अपराधियों के मन में डर पैदा हुआ और अटैक की घटनाओं में भी कमी आई थी उसकी लड़की को मन में यह उम्मीद जागी की सरकार ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठा रही है

विनीता शर्मा बनाम राकेश शर्मा के 2020
हाल ही में एक ऐसा ऐतिहासिक निर्णय   पास करके दोबारा इस बात की पुष्टि की है कि हिंदू परिवार में जन्म लेने वाली बेटियों को पिता की संपत्ति में बेटे की तरह ही बराबरी का अधिकार है विनीता शर्मा और राकेश शर्मा नामक भाई-बहन के बीच हुए संपत्ति विवाद के फैसले के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने 1950 के उत्तराधिकार अधिनियम की स्पष्ट व्याख्या करते हुए कहा है कि अगर कोई बेटी उत्तराधिकार अधिनियम संशोधन 2005 के पहले या बाद में जन्म लेती है तो उसे परिवार की अविभाजित संपत्ति में बराबर का हिस्सा मिलेगा इस निर्णय से पहले लोग लड़की को मुद्दा बनाकर उसे माता पिता की संपत्ति में हिस्सा देने से मना कर देते थे.


इस ऐतिहासिक फैसले के बाद परिवार में लड़कियों की स्थिति मजबूत हुई है और उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा है.


मंदिर में प्रवेश का अधिकार 2019: -
केरल स्थित प्राचीन सबरीमाला मंदिर में 50 वर्ष से कम आयु की स्त्रियां प्रवेश करने से वर्जित थी प्रचलित मान्यता के अनुसार मेस्टएशन के दौरान स्त्रियां पवित्र होती हैं 5 महिला वकीलों के एक समूह द्वारा जारी जनहित याचिका पर निर्णय देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भक्ति के मामले में लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए और यह भेदभाव यदि होता है तो यह गलत है।

इस ऐतिहासिक फैसले के बाद भारतीय स्त्रियों पर लगाए पुराना प्रतिबंध खत्म हो गया जिसके बाद वह भावनात्मक रूप से स्वयं को आजाद महसूस कर रही हैं।

राजेश बनाम नेहा केस 2020
पति से अलग रहने वाली स्त्रियों को गुजारा भत्ता लेने में कई तरह के व्यावहारिक दिक्कतें आती है इसकी वजह से पति जानबूझकर स्त्री को कानूनी जटिलताओं में उलझा कर गुजारा भत्ता देने से देर करते हैं ऐसी समस्याओं के समाधान के लिए रजनीश बनाम नेहा नामक केस में सुप्रीम कोर्ट ने यह तय किया है कि ऐसे मामले में अब पति पत्नी दोनों को ही शपथ पत्र द्वारा अपनी चल अचल संपत्ति का विवरण देना होगा।

             गुजारा भत्ता का आर्डर चाहे कितनी भी देर से पास हो सकता उसी तारीख से दिया जाएगा जब फॉर्म गया था अगर गुजारा भत्ता के लिए दो अलग अदालतों में अर्जी डाली गई है तो जिस कोर्ट में अधिकतम राशि देने का निर्णय दिया जाएगा वही मान्य होगा।


   इस फैसले से बच्चों के साथ रहने वाली तलाकशुदा स्त्रियों को इससे राहत मिली है और उसके लिए गुजर-बसर आसान हो गया है।

एबीसी बनाम स्टेट एनसीटी आफ दिल्ली 2015

इस एक्ट के तहत किसी भी धर्म का पालन करने वाली अविवाहित मां कोई अधिकार दिया गया है कि उसे अपने बच्चे के पिता का नाम बताने को बाध्य नहीं किया जा सकता है इसके अलावा ऐसी माता के बच्चों के लिए भी अपने किसी भी कानूनी दस्तावेज पर अभिभावक के रूप में केवल मां का नाम लिखना ही पर्याप्त होगा और वह बच्चे से संबंधित निर्णय स्वयं ले सकती है।


          अकेली स्त्रियों को स्वतंत्र व्यक्ति के रूप में पहचान मिली और इस सोच के साथ उनका आत्मविश्वास भी बढ़ा है मैं अपने बच्चों को अच्छी परवरिश दे सकती हूं इस निर्णय का यह एक ऐतिहासिक प्रभाव हो सकता है।


धन्नुला बनाम गणेशराम 2015

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई में कहा है कि लंबे लिव इन रिलेशनशिप में अगर दोनों में से कोई भी पक्ष एक दूसरे के विरुद्ध अदालत में कोई शिकायत ना करें तो इसे विवाह के बराबर ही माना जाएगा इस केस में महिला ने 20 वर्षों तक एक पुरुष तथा लिव इन रिलेशन में रही ऐसे में उस व्यक्ति की मृत्यु के बाद कोर्ट ने स्त्री को स्वाभाविक रूप से उसका उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।


         निर्णय का प्रभाव: - से लिव-इन में रहने वाले जोड़ों को राहत मिलेगी खास तौर पर स्त्रियों की स्थिति मजबूत होगी.

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