तलाशी वारंटों का निर्देशन आदि : - दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 38 ,70,72,74,77,78, एवं 79 के उपबंद जहां तक हो सके उन सभी तलाशी वारंटों को लागू होंगे जो धारा 93,94, या 97 के अधीन किए जाते हैं.
बंद स्थान की भारसाधक व्यक्ति तलाशी लेंगे
जब कभी इसके अधीन तलाशी लिए जाने का निरीक्षण किया जाने वाला कोई स्थान बंद है तब उस जगह में निवास करने वाला या उसका भार साधक व्यक्ति उस अधिकारी या अन्य व्यक्ति की जो वारंट का निष्पादन कर रहा है मांग पर एवं वारंट के पेश किए जाने पर उनमें अबाध प्रवेश करने देगा व एवं वहां तलाशी लेने के लिए समुचित सुविधाएं देगा।
अगर उस जगह में इस तरह प्रवेश प्राप्त नहीं हो सकता है तो वह अधिकारी या अन्य व्यक्ति जो वारंट का निष्पादन कर रहा है धारा 47 की उप धारा ( 2) के द्वारा उपबंध इस नीति से कार्यवाही कर सकेगा.
जहां किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में जो ऐसे स्थान में या उसके आसपास है उचित रूप से वह संदेह किया जाता है कि वह अपने शरीर पर कोई ऐसी वस्तु छुपाए हुए हैं जिसके लिए तलाशी ली जानी चाहिए तो उस व्यक्ति की तलाशी ली जा सकती है और यदि वह व्यक्ति स्त्री है तो तलाशी शिष्टता का पूरा ख्याल रखते हुए अन्य स्त्री द्वारा ली जा सकती है.
इसके अधीन तलाशी लेने के पूर्व ऐसा अधिकारी या अन्य व्यक्ति जब तलाशी लेने यह वाला हो तलाशी में हाजिर रहने एवं उसके साक्षी बनने के लिए उस मोहल्ले के जिस में तलाशी लिए जाने वाला स्थान है दो या अधिक स्वतंत्र एवं प्रतिष्ठित निवासियों को अथवा अगर इस मोहल्ले का ऐसा कोई भी निवासी नहीं मिलता है या उस तलाशी का साक्षी होने के लिए रजामंद नहीं है.
परंतु जहां उप धारा (1) अभिगृहीत की गई संपत्ति शीघ्रतयाऔर प्राकृत्य क्षयसील हो और यदि ऐसी संपत्ति के कब्जे का हकदार व्यक्ति अज्ञात है अथवा पुलिस अनुपस्थित है और ऐसी संपत्ति का मूल्य ₹500 से कम है तो उसका पुलिस के अधीक्षक के आदेश से तत्काल में नीलाम द्वारा विक्रय किया जा सकेगा और धारा 457 और धारा 458 के उपबंध यथाशक्य के निकटतम व्यवहार ऐसे विक्रय के शुद्ध आगमो को लागू होगे
103. मजिस्ट्रेट अपनी उपस्थिति में तलाशी ली जाने का निर्देश दे सकता है: - यदि कोई मजिस्ट्रेट किसी स्थान की जिसकी तलाशी के लिए वह वारंट जारी करने के लिए शिक्षा में अपनी उपस्थिति में तलाशी ली जाने का निर्देश दे सकता है.
104. पेश की गई दस्तावेज आदि को परी बंद करने की शक्ति: - यदि कोई न्यायालय ठीक समझता है तो वह किसी दस्तावेज या चीज को जो इस संहिता के अधीन उसके समक्ष पेश की गई है परीबध्द कर सकता है।
105. आदेशिकाओ के बारे में व्यक्ति कारी व्यवस्था जहां उन राज्य क्षेत्रों का कोई न्यायालय जिन पर इस संहिता का विस्तार है जिन्हें इसके पश्चात इस धारा में उक्त राज्य क्षेत्र कहा गया है यह चाहता है कि
(क) किसी अभियुक्त व्यक्ति के नाम किसी समन की
(ख) किसी अभियुक्त व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए वारंट की
(ग) किसी व्यक्ति के नाम यह अपेक्षा करने वाले ऐसे किसी समय कि वह किसी दस्तावेज या अन्य चीज को पेश करें अथवा हाजिर हो और उसे पेश करें
(घ) किसी तलाशी वारंट की
जो उच्च न्यायालय द्वारा जारी किया गया है तामील या निष्पादन किसी ऐसे स्थान में किया जाए जो
उक्त राज्य क्षेत्रों के बाहर भारत में किसी राज्य या क्षेत्र के न्यायालय की स्थानीय अधिकारिता के अंदर है वहां वह ऐसे समन या वारंट की तामील या निष्पादन के लिए दो प्रतियों में उच्च न्यायालय के पीठासीन अधिकारी के पास डाक द्वारा या अन्यथा भेज सकता है और जहां खंड ( क)और खंड (ग)में निर्दिष्ट किसी संबंध की तामील इस प्रकार कर दी गई है वहां धारा 68 उपबंध उस संबंध के संबंध में से लागू होंगे मानो उच्च न्यायालय को भेजा गया है उसका पीठासीन अधिकारी उक्त राज्य क्षेत्रों में मजिस्ट्रेट है।
भारत के बाहर किसी ऐसे देश या स्थान में जिसकी बाबत केंद्रीय सरकार द्वारा डांडिक मामलों के संबंध में सम्मान या वारंट की तामील या निष्पादन के लिए ऐसे देश या स्थान की सरकार के जिसे इस धारा में इसके पश्चात संविदा कार्य राज्य कहा गया है साथ ही यह व्यवस्था की गई है कि वहां वह ऐसे न्यायालय न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट को निर्दिष्ट ऐसे संबंध वारंट को दो प्रतियों में ऐसे प्रारूप में और परिसर के लिए ऐसे प्राधिकारी को भेजेगा जो केंद्रीय सरकार अधिसूचना द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट करें.
( 2) जहां उक्त राज्य क्षेत्रों के न्यायालयों को
(क) किसी अभियुक्त व्यक्ति के नाम कोई समन
(ख) किसी अभियुक्त व्यक्ति की गिरफ्तारी के लिए वारंट
(ग) किसी व्यक्ति से यह अपेक्षा करने वाला ऐसा कोई संमन कि वह कोई दस्तावेज या अन्य चीज पेश करें अथवा हाजिर हो और उसे पेश करें
(घ) कोई तलाशी वारंट
निवासियों को बुलाया और उनको या उनमें से किसी को ऐसा करने के लिए लिखित आदेश जारी कर सकेगा.
(5) तलाशी उसकी उपस्थिति में ली जाएगी और ऐसी तलाशी के अनुक्रम में अधिग्रहीत सब चीजों की जिन जिन स्थानों में वह पाई गई हैं उनकी सूचना ऐसे अधिकारी या अन्य व्यक्ति द्वारा तैयार की जाएगी और ऐसे साथियों द्वारा उस पर हस्ताक्षर किए जाएंगे किंतु इस धारा के अधीन तलाशी के साथी बनने वाले किसी व्यक्ति से तलाशी के साक्षी के रूप में न्यायालय में हाजिर होने की अपेक्षा और दशा में ही की जाएगी जब वह न्यायालय द्वारा विशेष रूप से समन किया गया हो.
(6) तलाशी लिए जाने वाले स्थान के अधिक होगी को या उसको और ओर से किसी व्यक्ति को तलाशी के दौरान हाजिर रहने की अनुज्ञा प्रत्येक दशा में दी जाएगी और इस धारा के अधीन तैयार की गई उक्त साथियों द्वारा हस्ताक्षरित सूची की एक प्रतिलिपि ऐसे अधिक होगी या ऐसे व्यक्ति को परिदत्त की जाएगी ।
(7) जब किसी व्यक्ति की तलाशी उपधारा
(3) के अधीन ली जाती है तब कब्जे में ली गई सब चीजों की सूची तैयार की जाएगी और उस की प्रतिलिपि ऐसे व्यक्ति को प्रदान की जाएगी
(8) कोई व्यक्ति जो इस धारा के अधीन तलाशी में हाजिर रहने और साक्षी बनने के लिए ऐसे लिखित आदेश द्वारा जो उसे प्रदान किया गया है बुलाए जाने पर ऐसा करने से उचित कारण के बिना इनकार या उसमें उपेक्षा करेगा उसके बारे में यह समझा जायेगा कि उसने भारतीय दंड संहिता(1860 का 45) की धारा 187 के अधीन अपराध किया है.
101. अधिकारिता के परे तलाशी में पाई गई चीजों का व्ययन
जब तलाशी वारंट को किसी ऐसे स्थान में निष्पादित करने में जो उच्च न्यायालय की जिसने उसे जारी किया है स्थानीय अधिकारिता से परे उन चीजों में से जिनके लिए तलाशी ली गई है कोई चीजें पाई जाए तब वह चीजें इनमें इसके पश्चात अंतर्वस्तु बंधुओं के अधीन तैयार की गई है उनकी सूची के सहित उच्च न्यायालय के समक्ष जिसने वारंट जारी किया था तुरंत ले जाई जाएगी किंतु यदि वह स्थान ऐसे न्यायालय की अपेक्षा उस मजिस्ट्रेट के अधिक समीप है जो वहां अधिकारिता रखता है तो सूची और चीजें उस मजिस्ट्रेट के समक्ष तुरंत ले जाई जाएगी किंतु यदि वह स्थान ऐसे न्यायालय की अपेक्षा उस मजिस्ट्रेट के अधिक समीप है जो वहां अधिकारिता रखता है तो सूची और चीजें उस मजिस्ट्रेट के समक्ष तुरंत ले जाए जाएंगी और जब तक प्रतिकूल अच्छा कारण ना हो वह मजिस्ट्रेट उन्हें ऐसे न्यायालय के पास ले जाने के लिए प्राधिकृत करने का आदेश देगा।
102. कुछ संपत्ति को अधिग्रहित करने की पुलिस अधिकारी की शक्ति
(1) कोई पुलिस अधिकारी किसी ऐसी संपत्ति को अधिग्रहित कर सकता है जिसके बारे में यह अभी कथन या संदेह है कि वह चुराई हुई है अथवा जो ऐसी परिस्थितियों में पाई जाती है जिनसे किसी अपराध के लिए जाने का संदेह हो.
(2) यदि ऐसा पुलिस अधिकारी पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी के अधीनस्थ है तो वह उस अधिग्रहण की रिपोर्ट उस अधिकारी को तत्काल देगा
(3) उप धारा वन के अधीन कार्य करने वाला प्रत्येक पुलिस अधिकारी अधिकारिता रखने वाले मजिस्ट्रेट को अभी ग्रहण की रिपोर्ट तुरंत देगा और जहां अधिग्रहित संपत्ति ऐसी है कि वह सुगमता से न्यायालय में नहीं लाई जा सकती है वहां वह उस संपत्ति को किसी ऐसे व्यक्ति की अभिरक्षा में देगा जो यह वचनबद्ध करते हुए बंधन पत्र निष्पादित करें कि वह संपत्ति को जब कभी अपेक्षा की जाएगी तब न्यायालय के समक्ष पेश करेगा और उसके व्ययन की बाबत न्यायालय के अतिरिक्त आदेश का पालन करेगा
उक्त राज्य क्षेत्रों के बाहर भारत में किसी राज्य या क्षेत्र के न्यायालय
किसी संविदा कारी राज्य का कोई न्यायालय न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट।।
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