क्या पुलिस किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है जो अपना नाम एवं पता बताने से इंकार करता है?can POLICE ARREST ANY SUCH PERSON WHO REFUSES TO TELL HIS NAME AND ADDRESS?
When any private person and magistrate arrest any person ? कब कोई प्राइवेट व्यक्ति तथा मजिस्ट्रेट किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है ?
भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 42 के अंतर्गत पुलिस अधिकारी किसी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है -
जिसने उस अधिकारी की उपस्थिति में कोई असंज्ञेय अपराध कारित किया है
जिस पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में असंज्ञेय अपराध करने का अभियोग लगाया गया है
जो उस अधिकारी की मांग पर अपना नाम और निवास बताने से इंकार करता है या ऐसे नाम या निवास बताता है जिसके बारे में विश्वास करने का कारण है कि वह मिथ्या है (गोपाल नायडू बनाम एम्परर आर ए आई आर 1923 यात्रा 522)
ऐसी गिरफ्तारी का मुख्य उद्देश्य से व्यक्ति का नाम और निवास अभी निश्चित करना है (किंग बनाम थांग एआईआर 1938 रंगून 161)
लेकिन यदि पुलिस अधिकारी को ऐसे व्यक्ति का नाम और निवास ज्ञात है तो वह उसे बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं कर सकेगा( मायकू बनाम एम्परर ए आई आर 41इलाहाबाद 483)
गिरफ्तारी पर प्रक्रिया: -
जब ऐसे गिरफ्तार व्यक्ति का सही नाम और निवास अभी निश्चित कर लिया जाता है तो उसे प्रतिभू सहित या रहित बंधपत्र निष्पादित करने पर इस शर्त के साथ छोड़ दिया जाएगा कि जब भी मजिस्ट्रेट द्वारा अपेक्षा की जाएगी व उपस्थित होता रहेगा.
यदि गिरफ्तार किया गया व्यक्ति भारत के निवासी नहीं है तो बंधन पत्र भारत के निवासी प्रतिभू द्वारा प्रतिभू किया जाएगा.
ऐसे व्यक्ति को निम्नांकित अवस्था में निकटतम मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा -
जब गिरफ्तारी के समय से 24 घंटे के अंदर ऐसे व्यक्ति का सही नाम और निवास अभी निश्चित नहीं किया जा सकता है.
बंधपत्र निष्पादित करने में असफल रहता है
अपेक्षा किए जाने पर वह पर्याप्त प्रतिभू देने में असफल रहता है.
(b) प्राइवेट व्यक्ति द्वारा गिरफ्तारी संहिता की धारा 43 किसी प्राइवेट व्यक्ति को भी किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का अधिकार प्रदान करती है कोई भी प्राइवेट व्यक्ति ऐसे किसी व्यक्ति को या तो स्वयं गिरफ्तार कर सकता है या करवा सकता है -
जो उसकी उपस्थिति में संज्ञेय और अजमानतीय अपराध कार्य करें या
जो उद्घोषित अपराधी हो
कोई भी प्राइवेट व्यक्ति किसी व्यक्ति को मात्र इत्तिला या संदेह के आधार पर गिरफ्तार नहीं कर सकेगा (गोकुल बनाम एंपायर ए आई आर 1926 पटना 63) गिरफ्तारी के लिए उसकी उपस्थिति में या उसकी दृष्टि में किसी अपराध का कार्य किया जाना जरूरी है (करतार सिंह बनाम स्टेट ए आई आर 1956 पंजाब122)
गिरफ्तार किए गए ऐसे व्यक्ति को बिना किसी अनावश्यक विलंब के पुलिस अधिकारी को सुपुर्द किया जाएगा और यदि ऐसा पुलिस अधिकारी उपलब्ध नहीं हो तो ऐसे व्यक्ति की अभिरक्षा में निकटतम पुलिस थाने ले जाया जाएगा या ले जाए जाने की व्यवस्था की जाएगी ( अमरेंद्र नाथ चक्रवर्ती बनाम स्टेट ऑफ़ बिहार ए आई आर 1955 पटना 106)
मजिस्ट्रेट द्वारा गिरफ्तारी धारा 44 स्वयं किसी कार्यपालक एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट को ऐसे किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए आदेश देने हेतु सशक्त किया गया है जिसने ऐसे मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में उसकी स्थानीय अधिकारिता के अंदर कोई अपराध कार्य किया गया हो.
जहां किसी मजिस्ट्रेट ने ऐसे किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया वहीं ऐसा मजिस्ट्रेट रिमांड नहीं दे सकेगा और ऐसे गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को किसी अन्य मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करना होगा ( स्वामी हरिहरानंद सरस्वती बनाम जेलर जिला जेल बनारस ए आई आर 1954 इलाहाबाद 601)
जहां कोई मजिस्ट्रेट किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए वारंट जारी कर सकता है वहां वह स्वयं उसे गिरफ्तार कर सकेगा या गिरफ्तार करने का निर्देश दे सकेगा चाहे अपराध संज्ञेय हो अथवा संज्ञेय
यह सिद्धांत पर आधारित है जहां व्यक्ति किसी कार्य विशेष को करने का प्राधिकार किसी अन्य व्यक्ति को प्रत्यायोजित कर सकता है वहां यह उपलक्ष है कि वे स्वयं उस कार्य को करने के लिए सक्षम है.
गिरफ्तारी की प्रक्रिया: -
( 1) गिरफ्तार करने वाला व्यक्ति अनावश्यक विलंब के बिना गिरफ्तार व्यक्ति को पुलिस के हवाले कर देगा या पुलिस अधिकारी की अनुपस्थिति में ऐसे व्यक्ति को अभिरक्षा में निकटतम पुलिस थाने ले जाया जाएगा.
( 2) यदि यह विश्वास करने का कारण है कि ऐसा व्यक्ति धारा 41 में निहीत उपबंधुओं के अंतर्गत आता है तो पुलिस अधिकारी उसे दोबारा से गिरफ्तार करेगा
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