मृत्यु शैय्या दान: - वह दान जो दान कर्ता अपनी मृत्यु के कुछ समय पहले या उस समय करता है जबकि उसको यह आशंका रहती है कि वह मरने वाला है.
मृत्यु शैय्या दान हिंदू विधि में मान्य होता है किंतु दाता के व्याधि से छुटकारा पाकर स्वस्थ हो जाने अथवा दाता के उसके पूर्व ही मर जाने की स्थिति में दान शून्य होता है कुछ स्थितियों में इस प्रकार का दान प्रभाव कारी होता है जैसे धार्मिक कार्यों के लिए किया जाने वाला दान.
कात्यायन के अनुसार जो वस्तु किसी मनुष्य ने दान में दे दी हो अथवा देने का वचन दिया हो चाहे वह अपने स्वस्थ रहते किया हो अथवा अस्वस्थ रहने की स्थिति में वह अवश्य दे देनी चाहिए और यदि वह उसको दिए बिना मर जाता है तो उसके पुत्र को निसंदेह इसे देने के लिए विवश किया जाना चाहिए.
संपत्ति अंतरण अधिनियम की धारा 129 के अनुसार दान अध्याय से इस प्रकार का दान अप वर्जित कर दिया गया है दान के लिए विधिक आवश्यकता इस बात की होती है कि वह इस उद्देश्य से दिया जाए कि संपत्ति प्रतिग्राही में चली जाए चाहे दान मौखिक रूप से किया जाए अथवा लेख बध्य हो.
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