समागम की पुन र्प्राप्ति क्या होती है ? इसका मुस्लिम विवाह से या मुस्लिम विधि से किस प्रकार सम्बन्ध है?
समागम की पुनर्प्राप्ति का अधिकार ( The restitution of Conjugal Right ) – मुस्लिम विधि के अनुसार , निकाह की पूर्णता तभी होती है जब पुरुष अपनी पत्नी के साथ सहवास करके उस निकाह को पूर्ण करे । कोई निकाह तब तक पूरा नहीं होता जब तक कि उसका भोग ( Consummation ) न किया गया हो और तभी सम्बन्धित स्त्री भी मेहर की अधिकारिणी होती है । अतः किसी मामले में यदि पति या पत्नी दोनों में से कोई सहवास के अधिकार के बिना किसी मामले में यदि पति या पत्नी दोनों में से कोई सहवास के अधिकार के बिना उचित कारण से वंचित कर दिया जाये तो इससे पीड़ित पक्ष ( aggrieved party ) को यह अधिकार होता है कि वह सहवास के अधिकार भी पुनश्राप्ति ( restitution ) के लिए न्यायालय में वाद स्थापित कर सके । यदि पति द्वारा अपनी पत्नी के विरुद्ध सहवास के अधिकारक पुनर्प्राप्ति के लिए वाद दायर किया जाता है तो पत्नी निम्नलिखित तथ्यों को अपने लिए अच्छे बचाव ( good defence ) के रूप में प्रस्तुत कर सकती है ( 1 ) अमान्य रीति से विवाह ( 2 ) कानूनी निर्दयता ( 3 ) तुरन्त मेहर ...