वैद्य विवाह में कौन-कौन से कानूनी परिणाम होते हैं? पति पत्नी द्वारा कर्तव्यों की अवहेलना करने पर प्रतिकार की क्या व्यवस्थाएं होती हैं?( what are the legal consequences of valid marriage? What remedies are available for the breach of duties by wife and husband?)
वैध निकाह ( Valid marriage ) - जिस निकाह में निम्नलिखित शर्तें पूरी होती हो वह वैध या मान्य ( Valid ) निकाह कहा जाता है -
( 1 ) एक पक्ष द्वारा प्रस्ताव ( इजाब ) ।
( 2 ) दूसरे पक्ष द्वारा स्वीकृति ( कबूल ) ।
( 4 ) दोनों पक्ष वयस्क ( adult ) हों , सचेत ( conscious ) और स्वतन्त्र सहमति देने
( 5 ) निकाह में किसी प्रकार की रुकावट ( disturbance ) न हो जैसे रक्त सम्बन्धी ( blood relation ) , निकट सम्बन्धी ( affinity ) या दुग्धजात सम्बन्ध ( osterage ) इत्यादि ।
फतवा - ए - आलमगीरी में विवाह के विधिक परिणाम इन शब्दों में व्यक्त हैं-
" पति पत्नी में से प्रत्येक एक - दूसरे के संग विधि द्वारा आज्ञापति रूप से समागम ( मैथुन करने के हकदार हो जाते हैं , ' ख ' पत्नी पति के नियन्त्रण के अधीन हो जाती है , अर्थात् पति की आशा के बिना वह बाहर जाने और किसी से मिलने से वंचित हो जाती है , पत्नी मेहर और भरण - पोषण पाने एवं पति के घर में निवास करने की अधिकारिणी हो जाती है , दोनों पक्षों के मध्य विवाह सम्बन्ध से उत्पन्न निषेध लागू हो जाता है और पति - पत्नी को पारस्परिक उत्तराधिकारी हक प्राप्त हो जाते हैं , पति का यह दायित्व हो जाता है कि वह प्रत्येक पत्नी के साथ न्याय और समानता का व्यवहार करे । पत्नी का यह कर्तव्य हो जाता है कि वह पति की इच्छानुसार उसे समागम की अनुमति दे । पति की आज्ञा की अवहेलना करने वाली और उद्दण्ड पत्नी को स्वतन्त्रता से वंचित करने तथा साधारण शारीरिक दण्ड देने का अधिकार पति को प्राप्त हो जाता । समकालीन दो बहिनों के संग या जो उस वर्ग में आते हैं उनके संग विवाह निषिद्ध हो हो जाता है।
कापूनी परिणाम ( Legal consequence ) - ( i ) मान्य निकाह से पति पत्नि के मध्य जो सम्बन्ध स्थापित होते हैं उससे एक दूसरे के प्रति अधिकारों और कर्तव्यों का सृजन होता जो लिखित है -
(अ)स्श्री - पुरुष का लौगिक सम्बन्ध और परस्पर संभोग वैध हो जाता है ।
( ५ ) प्रत्येक एक - दूसरे का उत्तराधिकारी हो सकता है ।
( स ) निकाह की शर्तों से दोनों बाध्य ( bound ) होते हैं ।
( द ) दोनों पक्षों में निषेधात्मक सम्बन्ध स्थापित हो जाता है ।
( ii ) पति को अपनी पत्नी पर निम्न अधिकार प्राप्त होते हैं जो कि पत्नी के कर्तव्य बन जाते है
( अ ) पुरुष को अपनी पत्नी पर पूर्ण अधिकार होता है और स्त्री उस दाम्पत्य सूत्र को मानने तथा पालन करने के लिए बाध्य होती है ।
( ५ ) स्त्री ( पत्नी ) अपने स्वास्थ्य को दृष्टि में रखते हुए पुरुष को सम्भोग में सहयोग देगी ।
( स ) स्त्री पुरुष के उचित आदेशों को मानने के लिए बाध्य होती है ।
( ८ ) स्त्री मुस्लिम प्रथा के अनुसार पर्दानशीन होकर उसके घर रहेगी ।
( य ) पति की मृत्यु होने या उसके तलाक होने पर वह इदकदत का पालन करेगी ।
( ii ) निकाह के बाद स्त्री का सामाजिक स्तर बदल जाता है । चूंकि निकाह एक दीवानी संविदा होती है । अतः पत्नी को भी कुछ अधिकार मिलते हैं जो कि उसके पति के कर्तव्य बन जाते हैं और जिनका वह पालन करने को बाध्य है
( अ ) पत्नी को जीवन निर्वाह वृत्ति लेने का अधिकार है चाहे उसके पास जीवन निर्वाह के लिए सम्पत्ति भी हो ।
( ब ) पत्नी को मेहर ( Dower ) लेने का अधिकार है और मेहर न मिलने पर वह पति के साथ सहवास करने से इन्कार कर सकती है ।
( स ) वह अपने रक्त सम्बन्धियों ( blood relation ) से मिलने की अधिकारिणी है । जिसके अनुसार माता - पिता और पहले पति से उत्पन्न सन्तान से कम से कम वर्ष में एक बार
( द ) यदि किसी व्यक्ति के एक से अधिक पत्नियाँ हैं तो वे पृथक् - पृथक् सोने की अधिकारिणी है ।
( य ) पत्नी यदि यह देखे के उसका पति किसी अन्य अविवाहित स्त्री की प्रतिमा पूज है तो उसके साथ रहने से मना करके अपने लिए निर्वाह वृत्ति की माँग कर सकती है ।
कर्तव्यों की अवहेलना करने पर उपचार ( Remedies for breach of duties ) -
निकाह के बाद यदि पत्नी उक्त कर्तव्यों की अवहेलना करती है तो पति के लिए निम्नलिखित उपचार उपलब्ध हैं
( अ ) वह तलाक दे सकता है ।
( ब ) निर्वाह - वृत्ति देने से मना कर सकता है ।
( स ) दाम्पत्य अधिकारों के लिए दीवानी वाद दायर कर सकता है ।
इसी प्रकार यदि पत्नी यह अनुभव करे कि पति अपने कर्त्तव्यों का पालन नहीं करता तो उसे निम्नलिखित उपचार उपलब्ध हैं-
( अ ) निर्वाह - वृत्ति के लिए दीवानी वाद दायर कर सकती है ।
( ब ) यदि उसे पति से युक्तिसंगत रूप से कोई भय है तो उसके साथ रहने से मना कर सकती है ।
( स ) निर्वाह - वृत्ति की माँग कर सकती है ।
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