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क्या कोई व्यक्ति पहले से शादीशुदा हैं तो क्या वह दूसरी शादी धर्म बदल कर कर सकता है?If a person is already married, can he change his religion and marry again?

भारतीय साक्ष्य अधिनियम में विवाधक तथ्य क्या मतलब होता है?

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा-3 विवाधक तथ्य को परिभाषित करती है। धारा-3 के अनुसार विवादद्यक तथ्य से तात्पर्य ऐसे तथ्य से है जिस पर दो पक्षकारों के बीच में मतभेद हो और उसी तथ्य पर पक्षकार का अधिकार दायित्व एवं निर्योग्यता निर्भर करता है। जिसमें एक पक्षकार अभिकथन करता है और दूसरा पक्षकार उसको स्वीकार या इन्कार करता है।      विवाद्यक तथ्य ऐसा तथ्य है जिसके सिद्ध हो जाने पर न्यायालय निर्णय दे सकता है इसीलिये विवाधक तथ्य को वाद एवं कार्यवाही का केन्द्र बिन्दु भी कहा जाता है।      उदाहारणर्थ: माना A द्वारा B को 10%. वार्षिक ब्याज की दर से एक प्रोनोट पर 1000₹ का कर्ज दिया है। A इस प्रोनोट के आधार पर ब्याज सहित कर्ज की मांग करता है। B कर्ज देने से इन्कार करता है। यहाँ यह तथ्य कि क्या Aने B की 1000 र उधार दिये थे या नहीं दिये थे विवाधक तथ्य होगा। इस तथ्य के सिद्ध  हो जाने पर न्यायालय  निर्णय दे सकता है।   सुसंगत तथ्य : भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा - 8 सुसंगत तथ्य की परिभाषित करती है। धारा-3 के अनुसार दो या दो से अधिक सम्बद्ध तथ्य ही सुसंगत तथ्य  कहलाते हैं बशर्ते उनकी पारस्परिक सम्बद्धता धार

वाद पत्र को दाखिल करने की क्या प्रक्रिया होती है?

वाद: - वाद न्यायालय में पेश की जाने वाली वह प्रक्रिया है जो वादी के अधिकारों की सुरक्षा या  किसी व्यक्ति  के हक को क्रियान्वित करने के लिये हो या किसी भी गलती या दोष के निवारण के लिये हो। यहाँ पर वाद दायर करने वाला पक्ष वादी एवं जिसके खिलाफ वाद दायर किया गया है वह प्रतिवादी कहलाता है।  वाद का न्यायालय में प्रारम्भ होना : → कोई भी वाद किसी न्यायालय अथवा न्यायालय द्वारा नियुक्त अधिकारी के समक्ष दो प्रतियों में वाद पत्र द्वारा पेश किया जाता है।            यदि वाद पत्र पेश किये जाने की आखिरी तारिख है तो वाद पत्र न्यायाधीश के समक्ष न्यायालय समय के पश्चात उसके निवास पर भी पेश किया जा सकता है।      वाद पत्र के साथ उतनी अतिरिक्त कापियां भी पेश की जानी आवश्यक हैं. जितने प्रतिवादियों का उल्लेख वाद पत्र में किया गया है। ताकि प्रत्येक प्रतिवादी को सम्मन के साथ में वाद पत्र की प्रति भेजी जा सके। पीठासीन अधिकारी के कार्य :-  पीठासीन अधिकारी के समक्ष जब वाद प्रस्तुत किया जाये तो उसे निम्नांकित कार्यवाही करनी चाहिए:-  वादपत्र प्रस्तुत होते  ही पीठासीन अधिकारी द्वारा वादपत्र के पृष्ठ पर उसे

धारा 511 में अपराध को कैसे परिभाषित किया गया है ?

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 511 में आपराधिक प्रयत्न के अपराध का वर्णन किया गया है। जिसका मतलब है कि किसी अपराध करने का प्रयास करना अपराध की श्रेणी में जब तक नहीं आयेगा । परन्तु भारतीय दण्ड संहिता के अनुसार आजीवन कारावास या कारावास के दण्डनीय अपराध की करने या करवाने की चेष्टा करना और उसके फलस्वरूप उस अपराध दशा में कोई कार्य किये जाने पर यदि इस संहिता में उसके लिये कोई दण्ड की अवस्था न हो तो आजीवन कारावास के दण्ड वाले मामले में अधिकतम कारावास की अवधि के आधे तक के लिगे या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।       धारा 511 को समझने के लिये एक उदाहरण के हम समझते है कि जिसमें किसी अभियुक्त द्वारा एक लड़की को पकड़ा और उसे बलपूर्वक झाडियो के पास ले गया उसे जमीन पर गिराकर उसके अंदरुनी कपडे हटाये, उसके ऊपर चढ़ गया और घुसाने का प्रयास किया लेकिन वह सफल होता इससे पहले ही लड़की को रक्तस्राव होने लगा। यहाँ पर अभियुक्त धारा 511 के अधीन बलात्कार के प्रयास का दोषी होगा । यहाँ पर अभियुक्त ने धारा 376 के अपराध की कारित करने का प्रयत्न किया है।        इसीप्रकार से यदि A नामक व्यक्ति नकली नोट "

भारतीय दंड संहिता की धारा 499 क्या कहती है ? इसका मानहानि के दावा करने से क्यों सम्बंधित है?

मानहानि (Defamation) - "मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।" उसका समाज में अपना अस्तित्व होता है और हर प्राणी अपने अस्तित्व को बनाये रखता है। मनुष्य को अनेक सामाजिक कर्तव्यों का निर्वाह करना होता है रोज उसके लिए अनेक संघर्षों का सामना भी करना पड़ता है। उसे सामाजिक आर्थिक एवं व्यक्तिगत सुरक्षा के अनेक कार्यकार उपलब्ध हैं। वह इन अधिकारों में किसी प्रकार का हस्तक्षेप या अवरोध पसन्द नहीं करता। खासतौर से वह  किसी प्रकार का विघ्न नहीं चाहता, क्योंकि सभी अधिकारों में प्रतिष्ठा का कार्यकार एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यदि कोई व्यक्ति उसके प्रतिष्ठा को ठेस पहुँचाता है, तो वह दण्डनीय माना जाता है। अतः व्यक्ति की प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए भारतीय दण्ड संहिता की धारा, धारा 499 से 502 तक के मानहानि के बारे में प्रावधान किया गया है। इस संहिता की धारा 499 में 'मानहानि' अपराध की परिभाषा इस प्रकार दी गई है कि जो कोई या तो बोले गये या पढ़े जाने के लिए आशयित शब्दों द्वारा संकेतों द्वारा या दृश्य रूपेण द्वारा किसी व्यक्ति के बारे में कोई लांछन इस आशय से लगाता या प्रकाशित करता है कि ऐसे लांछन स

भारतीय दंड संहिता की धारा 141 क्या है ?What is Section 141 of the Indian Penal Code?

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 141 में दी गई विधि विरुद्ध जमाव की परिभाषा अनुसार, “पाँच या पाँच से अधिक व्यक्तियों के ऐसे जमाव को जिसका सामान्य उद्देश्य के इस धारा में प्रमाणित किसी उद्देश्य के लिये हुआ हो, विधि विरुद्ध जमाव कहा जायेगा। इस धारा के स्पष्टीकरण के अनुसार कोई जमाव, जो इकट्ठा होते समय विधि विरुद्ध न हो बाद में विधि-विरुद्ध जमाव हो सकेगा।   विधि विरुद्ध जमाव के निम्नलिखित आवश्यक तत्व हैं-  (1) विधि विरुद्ध जमाव में पाँच या इससे अधिक व्यक्ति होने चाहिए ।  (2) विधि विरुद्ध जमाव के अपराध के लिये सदस्यों का सामान्य उद्देश्य होना चाहिए।  (3) ऐसा सामान्य उद्देश्य विधि विरुद्ध होना चाहिये ।   विधि विरुद्ध जमाव का सदस्य होना— जब कोई व्यक्ति उन तथ्यों से जिनके लिये कानून के विरुद्ध जमाव हुआ हो, परिचित होने के बाद उस जमाव में साशय सम्मिलित होता है, बना रहता है तो यह कहा जाता है कि वह उस विधि विरुद्ध जमाव का सदस्य है।  दण्ड — “जो कोई विधि विरुद्ध जमाव का सदस्य होगा, वह तीनों में से किसी भाँति के कारावास से जिसकी अवधि 6 मास भी हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से दण्डित किया जा सकेगा।&qu

यातायात के चिन्ह लगवाने के कौन -कौन से लाभ होते है?What are the benefits of installing traffic signs?

  यातायात चिह्न लगवाने की शक्ति-  (1) (क) राज्य सरकार या राज्य सरकार द्वारा इन निमित्त प्राधिकृत कोई अधिकारी धारा 112 को उपधारा (2) के अधीन नियत किन्हीं गति सीमाओं को या धारा 115 के अधीन अधिरोपित किन्हीं प्रतिषेधों या निर्बन्धनों को या साधारणतया मोटर यान यातायात के विनियमन के प्रयोजन के लिए यातायात चिह्न को सार्वजनिक स्थान में रखवा या लगवा सकेगा अथवा रखने वा लगाने देगा।  Power to install traffic signs-  (1) (a) The State Government or any officer authorized by the State Government in this behalf may enforce any speed limits fixed under sub-section (2) of section 112 or any prohibitions or restrictions imposed under section 115 or the regulation of motor vehicle traffic generally;  For this purpose, a traffic sign may be placed or installed or allowed to be placed or installed in a public place. (ख) राज्य सरकार या राज्य सरकार द्वारा इन निमित्त प्राधिकृत कोई प्राधिकारी राजपत्र में अधिसूचना द्वारा या अनुसूची के भाग क में निर्दिष्ट समुचित यातायात चिह्न को उपयुक्त स्थानों में लग

बिना परमिट के वाहन के उपयोग करने पर क्या सजा दी जा सकती है?What is the punishment for using a vehicle without a permit?

  परमिट के बिना यान का उपयोग:-  (1) कोई व्यक्ति जो धारा 66 की उपधारा (1) के उपबन्धों के उल्लंघन में या ऐसे परमिट की उस मार्ग सम्बन्धी जिस पर और उस क्षेत्र सम्बन्धी, जिसमें और उस प्रयोजन सम्बन्धी, जिसके लिए उस यान का उपयोग किया जा सकेगा, किसी शर्त का उल्लंघन करके मोटर यान को चलायेगा, मोटर यान का उपयोग करायेगा या किये जाने देगा, वह प्रथम अपराध के लिए जुर्माने से, जो पाँच हजार रुपये तक हो सकेगा किन्तु दो हजार रुपये से कम नहीं होगा और किसी पश्चात्वर्ती अपराध के लिए कारावास से, जो एक वर्ष तक हो सकेगा किन्तु तीन मास के कम नहीं होगा या जुर्माने से, जो दस हजार रुपये तक हो सकेगा किन्तु पाँच हजार रुपये से कम नहीं होगा या दोनों से दण्डनीय होगा- Use of vehicle without permit:-  (1) Any person who, in contravention of the provisions of sub-section (1) of section 66 or any condition of such permit relating to the route over which and the area in which and the purpose for which the vehicle may be used,  drives a motor vehicle, causes a motor vehicle to be used or allows a motor vehicle to