अधिकारातीत का सिद्धांत( Doctrine of Ultravires) यह एक ऐसा महत्वपूर्ण सिद्धांत है जो कि सभी कंपनियों पर लागू होता है ।इस सिद्धांत का आशय यह है कि एक कंपनी का निर्माण कुछ निश्चित उद्देश्यों के लिए होता है। जिनका वर्णन उस कंपनी के पार्षद सीमा नियम में होता है अतः कंपनी अपने पार्षद सीमा नियम में वर्णित उद्देश्यों से परे नहीं जा सकती है। यदि कंपनी कोई ऐसा कार्य करती है जो उसके पार्षद सीमा नियम में अधिकृत नहीं है तो ऐसे कार्य का कोई वैधानिक प्रभाव नहीं होगा. कम्पनी की ऐसी क्रियाएं जो पार्षद सीमा नियम या पार्षद अंतर नियम के क्षेत्र के परे होती हैं अथवा अधिनियम के विपरीत हैं अधिकारियों के बाहर की क्रियायें कहलाती है ।कंपनी बाह्य एवं आंतरिक संबंधों के नियमन संबंधी नियम पार्षद सीमा नियम एवं अंतर नियम में दिए हुए होते हैं। इन प्रलेखों के अंतर्गत दिए गए नियमों का उल्लंघन ही अधिकारों से बाहर आने वाले कार्य कहलाते हैं। अधिकारों के बाहर कार्यों को निम्न भागों में बांटा जा सकता है- (1) पार्षद सीमा नियम के बाहर कार्य। (2) पार्षद अंतर नियम के बाहर किंतु पार्षद अं...
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