अभिहस्तान्तरण लेखन से हमारा अभिप्राय ऐसे लेखन से है जिसमें किसी सम्पति का या उसमें के किसी हित का हस्तान्तरण अन्तरक और आन्तरिती के बीच किसी संविदा के अन्तर्गत होता है । सम्पत्ति अन्तरण अधिनियम की धारा 2 ( 10 ) के अनुसार हस्तान्तरण लेखन से अभिप्राय एकजीवित व्यक्ति द्वारा दूसरे जीवित व्यक्ति को चल या अचल सम्पत्ति के अन्तरण से है । चूँकि अभिहस्तान्तरण का कार्य किसी विलेख द्वारा ही किया जा सकता है , इसलिए ऐसे विलेख का निर्माण दूसरे प्रकार के हस्तान्तरण से या पक्षकारों से संविदा से उत्पन्न होने वाले अधिकार व दायित्व से होता है । हस्तान्तरण लेखन शब्द में वे सभी सत्यव्यवहार सम्मिलित होते हैं जिनके द्वारा कानूनी अधिकार उत्पन्न होते हैं और व्यक्तियों के बीच कानूनी सम्बन्ध की उत्पत्ति होती है । वास्तव में अभिहस्तान्तरण लेखन का अभिप्राय है कि उससे यह स्पष्ट रूप से पता चल सके कि किन परिस्थितियों में और किन अनुबन्धों सहित संविदा करने वाले व्यक्तियों का किसी सम्पत्ति से सम्बन्धित अधिकारों तथा दायित्वों में परिवर्तन हुआ । गिब्सन के अनुसार , " हस्तान्तरण लेखन की विषय वस्तु सम्बन्धी अन्तरण से सम्ब...
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