IPC की धारा 376-क और BNS की धारा 66: विस्तार और व्याख्या भारत में महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों को नियंत्रित करने और उन्हें न्याय दिलाने के लिए कानूनों का महत्वपूर्ण योगदान है। इनमें भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376-क और नए भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 66 शामिल हैं। यह लेख इन दोनों धाराओं की व्याख्या, उनके महत्व और व्यावहारिक उदाहरणों पर प्रकाश डालेगा। IPC की धारा 376-क: एक संक्षिप्त विवरण IPC की धारा 376-क विशेष रूप से यौन अपराधों के मामलों में पीड़िता की मृत्यु या विकृतशील दशा (permanent damage or disability) कारित करने वाले अपराधियों को सजा देने के लिए लागू की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य यौन हिंसा के उन गंभीर मामलों को दंडित करना है, जिनमें अपराध के परिणामस्वरूप पीड़िता की जान चली जाती है या वह गंभीर और स्थायी शारीरिक या मानसिक क्षति का शिकार हो जाती है। सजा: सजा-ए-मौत या आजीवन कारावास (जो अपराधी की शेष आयु तक हो) इसके अतिरिक्त, अपराधी पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। यह धारा 2013 में आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम के तहत जोड़ी गई थी, जो निर्भया कांड के बाद यौन अ...
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