आईपीसी धारा 369 और बीएनएस धारा 97: दस वर्ष से कम आयु के बच्चों के अपहरण का अपराध→
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 369 और संशोधित भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 97 उन मामलों पर केंद्रित हैं, जहां बच्चों को अपहरण कर उनके साथ बेईमानी से संपत्ति हड़पने का प्रयास किया जाता है। यह अपराध गंभीर है, क्योंकि यह न केवल बच्चों के जीवन और स्वतंत्रता को खतरे में डालता है, बल्कि उनकी संपत्ति या अधिकारों का दुरुपयोग करने का भी प्रयास करता है।
IPC धारा 369: प्रावधान और उद्देश्य→
IPC की धारा 369 का उद्देश्य बच्चों के अपहरण के मामलों को संबोधित करना है। इस धारा के तहत, यदि किसी व्यक्ति का इरादा किसी बच्चे (10 वर्ष से कम उम्र) का अपहरण कर उसकी चल संपत्ति को हड़पने का है, तो यह अपराध माना जाएगा।
मुख्य तत्व:→
बच्चे का अपहरण:→
अपराध का शिकार व्यक्ति 10 वर्ष से कम उम्र का होना चाहिए।
इरादा:→
अपराधी का उद्देश्य बच्चे की संपत्ति, जैसे पैसे, गहने, या अन्य चल संपत्ति को हड़पना होना चाहिए।
सजा:→
•7 वर्ष तक का कठोर कारावास।
BNS धारा 97: अधिक सख्त प्रावधान→
भारतीय न्याय संहिता (BNS) में IPC धारा 369 को संशोधित कर धारा 97 के रूप में लागू किया गया है। यह प्रावधान और अधिक स्पष्ट और सख्त है।
प्रमुख विशेषताएँ:→
संपत्ति हड़पने का उद्देश्य:→
BNS धारा 97 में स्पष्ट किया गया है कि अपराधी का इरादा न केवल संपत्ति हड़पने का है, बल्कि बच्चे की सुरक्षा को गंभीर खतरे में डालने का भी है।
सजा:→
•न्यूनतम 3 वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष तक का कठोर कारावास।
•जुर्माने का प्रावधान अधिक कठोर है।
उदाहरण से समझें →
उदाहरण 1: चोरी के उद्देश्य से अपहरण →
एक व्यक्ति ने एक 8 वर्षीय बच्चे का अपहरण किया, जिससे वह उसके गहनों और नकदी को चुरा सके। अपराधी ने बच्चे को घर के पास एक सुनसान स्थान पर छोड़ दिया। इस मामले में IPC धारा 369 (अब BNS धारा 97) के तहत मुकदमा दर्ज हुआ।
उदाहरण 2: बच्चों का गिरोह →
दिल्ली में एक गिरोह छोटे बच्चों का अपहरण करता था और उनके गहने और जेब में रखे पैसे छीन लेता था। पुलिस ने इन मामलों में BNS धारा 97 के तहत कार्रवाई की।
उदाहरण 3: मानवीय तस्करी और संपत्ति हड़पना→
एक परिवार ने 9 साल की बच्ची को मजदूरी के बहाने अपने घर में रखा और उसकी कमाई हड़प ली। बाद में पुलिस ने परिवार के खिलाफ BNS धारा 97 के तहत मामला दर्ज किया।
महत्वपूर्ण केस स्टडीज →
केस: Ravi v. State of Maharashtra (2011) →
इस मामले में, आरोपी ने एक 7 वर्षीय लड़के का अपहरण कर उसका सोने का हार हड़प लिया। कोर्ट ने IPC धारा 369 के तहत आरोपी को 5 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई।
केस: State of Uttar Pradesh v. Hameed Khan (2020) →
उत्तर प्रदेश में, एक व्यक्ति ने बच्चों को बहला-फुसलाकर उनकी जेब से पैसे और गहने चुरा लिए। पुलिस ने BNS धारा 97 के तहत मामला दर्ज किया और आरोपी को 7 वर्ष की सजा दी गई।
केस: Rani v. State of Tamil Nadu (2022) →
एक महिला ने 9 साल की बच्ची को अपने घर में काम करने के लिए रखा और उसकी सारी संपत्ति अपने नाम करवा ली। कोर्ट ने इसे BNS धारा 97 के तहत अपराध मानते हुए महिला को 10 वर्ष की सजा सुनाई।
इस कानून का महत्व और प्रभाव →
बच्चों की सुरक्षा:→
यह कानून बच्चों को अपहरण और उनकी संपत्ति के दुरुपयोग से बचाने में सहायक है।
अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई:→
संशोधित धारा अपराधियों के लिए सख्त सजा का प्रावधान करती है।
संपत्ति की सुरक्षा:→
बच्चों की चल संपत्ति को बचाने के लिए यह प्रावधान महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष:→
IPC धारा 369 से BNS धारा 97 तक का यह बदलाव बच्चों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कानून न केवल बच्चों की स्वतंत्रता और जीवन की रक्षा करता है, बल्कि उनकी संपत्ति को सुरक्षित रखने में भी मदद करता है।
क्या आप मानते हैं कि यह कानून बच्चों के प्रति हो रहे अपराधों को रोकने में प्रभावी है? अपने विचार साझा करें।
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