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दलित व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार की अमानवीय घटना कारित करने वाले व्यक्तियों को सजा कैसे दिलायें ?

आईपीसी की धारा 364 और बीएनएस की धारा 140(1) क्या बताती है?

आईपीसी की धारा 364 और बीएनएस की धारा 140(1): अपहरण और हत्या का इरादा→

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 364 और नए भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 140(1) गंभीर अपराधों से संबंधित हैं। ये धाराएं उन मामलों पर लागू होती हैं, जहां अपहरण का उद्देश्य व्यक्ति की हत्या करना या उसे ऐसे हालात में डालना है जिससे उसकी मौत हो जाए। इन धाराओं का उद्देश्य समाज में अपहरण और हत्या जैसे जघन्य अपराधों पर अंकुश लगाना है।

आईपीसी की धारा 364 क्या है?

आईपीसी की धारा 364 का उद्देश्य किसी व्यक्ति को अपहरण या अगवा करने और उसकी हत्या करने के इरादे से किए गए अपराधों को रोकना है।

महत्वपूर्ण बिंदु:→

अपराध का स्वरूप:→
यह धारा तब लागू होती है, जब कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का अपहरण इस उद्देश्य से करता है कि उसे बाद में मारा जाएगा या उसकी हत्या की जाएगी।

सजा का प्रावधान:→
दोषी को आजीवन कारावास या 10 साल तक की कैद और जुर्माने की सजा दी जा सकती है।

इरादा महत्वपूर्ण है:→
इस धारा के तहत अपराध साबित करने के लिए यह दिखाना जरूरी है कि अपहरण का उद्देश्य व्यक्ति को हत्या के खतरे में डालना था।

बीएनएस की धारा 140(1) क्या है?

नए भारतीय न्याय संहिता (BNS) में, धारा 364 को संशोधित और पुनर्गठित करके धारा 140(1) का रूप दिया गया है। यह धारा और अधिक विस्तृत और कठोर बनाई गई है।

महत्वपूर्ण बिंदु:→

संगठित अपराधों पर जोर:→
इस धारा में उन मामलों को भी शामिल किया गया है, जहां अपहरण संगठित अपराध गिरोह द्वारा किया गया हो।

सख्त सजा:→
धारा 140(1) के अंतर्गत दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास, 14 साल की सजा या मृत्यु दंड तक का प्रावधान किया गया है, यदि हत्या कर दी गई हो।

तकनीकी साक्ष्य:→
नए कानून में, डिजिटल और अन्य तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर अपराधी को पकड़ने और सजा देने का प्रावधान है।

उदाहरण के माध्यम से समझें→

उदाहरण 1:→
एक व्यक्ति अपने कारोबारी प्रतिद्वंद्वी के बेटे को अपहरण कर लेता है और फिरौती न मिलने पर उसे मारने का इरादा रखता है। यह धारा 140(1) के अंतर्गत अपराध होगा।

उदाहरण 2:→
एक गिरोह किसी व्यक्ति को अगवा कर लेता है और उसे जंगल में छोड़ देता है, जहां उसकी मौत ठंड या भूख से हो जाती है। यह भी धारा 140(1) के तहत आता है, क्योंकि व्यक्ति को जानबूझकर खतरनाक परिस्थितियों में छोड़ा गया।

उदाहरण 3:→
किसी महिला को शादी का झांसा देकर अपहरण करना और फिर उसे मार डालना। यह मामला सीधे तौर पर इस धारा के अंतर्गत आएगा।

आईपीसी और बीएनएस में अंतर→

आईपीसी की धारा 364:→

•केवल अपहरण और हत्या के इरादे से जुड़े मामलों को कवर करती थी।

 •सजा:10 साल से आजीवन कारावास।

•तकनीकी साक्ष्यों पर कम ध्यान।

बीएनएस की धारा 140(1)→

•अपहरण, संगठित अपराध, और हत्या जैसे गंभीर मामलों को शामिल किया गया है

 •सजा: 14 साल, आजीवन कारावास, या मौत की सजा।

•डिजिटल और तकनीकी साक्ष्यों पर विशेष जोर। 

इस धारा की उपयोगिता क्यों है?

सामाजिक सुरक्षा:→
यह धारा समाज में अपहरण और हत्या जैसे अपराधों को रोकने का काम करती है।

सख्त सजा का प्रावधान:→
सख्त सजा के डर से अपराध करने की संभावना कम होती है।

आधुनिक अपराधों पर नियंत्रण:→
नई धारा में डिजिटल और संगठित अपराधों को ध्यान में रखकर संशोधन किया गया है।

निष्कर्ष:→

आईपीसी की धारा 364 और बीएनएस की धारा 140(1) समाज के सबसे जघन्य अपराधों में से एक, अपहरण और हत्या, को रोकने के लिए बनाए गए कानून हैं। नए कानून में पुराने कानून की खामियों को दूर करते हुए इसे और कठोर और व्यापक बनाया गया है। यह न केवल पीड़ित को न्याय दिलाने में सहायक है, बल्कि अपराधियों के मन में कानून का डर पैदा करता है।

इस धारा का सही क्रियान्वयन समाज में शांति और सुरक्षा बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि आपको ऐसे किसी अपराध की जानकारी हो, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें और कानून का साथ दें।

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