आईपीसी की धारा 366-क और बीएनएस की धारा 96: जबरन शारीरिक संबंध के लिए महिलाओं का अवैध व्यापार→
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 366-क और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 96 महिलाओं को अवैध रूप से शारीरिक शोषण के उद्देश्य से बेचने या उनके अवैध व्यापार को रोकने के लिए बनाए गए कानून हैं। ये धाराएं विशेष रूप से नाबालिग और वंचित महिलाओं को ऐसे अपराधों से बचाने पर केंद्रित हैं।
आईपीसी की धारा 366-क क्या है?
धारा 366-क का उद्देश्य 18 वर्ष से कम आयु की महिलाओं को अवैध तरीके से किसी भी स्थान पर ले जाने, ले जाकर शोषण करने या बेचने जैसे अपराधों पर रोक लगाना है।
महत्वपूर्ण बिंदु:→
अपराध का स्वरूप:→
यह धारा तब लागू होती है जब कोई व्यक्ति:→
•किसी नाबालिग लड़की को बहलाकर, लालच देकर या बलपूर्वक अवैध गतिविधियों में धकेलता है।
•उसे वेश्यावृत्ति, अवैध व्यापार या अन्य अनैतिक कार्यों के लिए ले जाता है।
सजा का प्रावधान:→
•दोषी को 10 साल तक का कठोर कारावास और जुर्माना हो सकता है।
•इरादे की जांच:→
इस धारा में यह साबित करना जरूरी है कि महिला को किसी अनैतिक उद्देश्य से ले जाया गया था।
बीएनएस की धारा 96 क्या है?
नए भारतीय न्याय संहिता (BNS) में, इस कानून को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए धारा 366-क को संशोधित कर धारा 96 में शामिल किया गया है।
महत्वपूर्ण बदलाव:→
संगठित अपराध पर जोर:→
इस धारा के अंतर्गत ऐसे संगठित अपराध गिरोहों को भी शामिल किया गया है, जो महिलाओं का शोषण करने के उद्देश्य से उन्हें फंसाते हैं।
सख्त सजा का प्रावधान:→
BNS की धारा 96 के तहत सजा को 14 साल तक बढ़ाया गया है।
तकनीकी और डिजिटल साक्ष्य:→
नए कानून में डिजिटल प्लेटफॉर्म या तकनीकी माध्यमों से महिलाओं को शोषण में फंसाने वाले अपराधियों को सजा देने का प्रावधान है।
आधुनिक अपराधों को शामिल करना:→
मानव तस्करी और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर महिलाओं की भर्ती जैसे अपराधों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
उदाहरण के माध्यम से समझें→
उदाहरण 1:→
एक व्यक्ति ने 16 वर्षीय लड़की को नौकरी का झांसा देकर दूसरे राज्य में भेजा, जहां उसे जबरन वेश्यावृत्ति में धकेल दिया गया। यह मामला धारा 366-क (अब धारा 96) के तहत आता है।
उदाहरण 2:→
एक गिरोह सोशल मीडिया के माध्यम से लड़कियों को मॉडलिंग के नाम पर धोखा देता है और उन्हें अवैध व्यापार में धकेल देता है। यह धारा 96 के अंतर्गत संगठित अपराध के रूप में देखा जाएगा।
उदाहरण 3:→
किसी नाबालिग लड़की को शादी का झांसा देकर ले जाया गया और फिर उसे यौन शोषण के लिए मजबूर किया गया। यह भी इस धारा के अंतर्गत दंडनीय है।
महत्व और उपयोगिता→
महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा:→
यह कानून महिलाओं और नाबालिग लड़कियों को शारीरिक और मानसिक शोषण से बचाने में सहायक है।
सख्त सजा का प्रावधान:→
अपराधियों को कठोर सजा के प्रावधान से अपराध दर को कम करने में मदद मिलती है।
मानव तस्करी पर नियंत्रण:→
यह कानून मानव तस्करी और महिलाओं के अवैध व्यापार को रोकने का एक प्रभावी तरीका है।
डिजिटल अपराधों पर रोकथाम:→
यह आधुनिक तकनीक का उपयोग करके होने वाले अपराधों पर भी अंकुश लगाता है।
निष्कर्ष:→
आईपीसी की धारा 366-क और बीएनएस की धारा 96 महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के अधिकारों और गरिमा की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण कानून हैं। यह न केवल अपराधियों को सजा दिलाने में सहायक है, बल्कि महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
यह आवश्यक है कि समाज के हर व्यक्ति को इन कानूनों के प्रति जागरूक किया जाए और यदि किसी को ऐसा अपराध होता दिखे, तो वह तुरंत पुलिस या संबंधित अधिकारियों को सूचित करे। महिलाओं की सुरक्षा और उनका सशक्तिकरण ही एक सशक्त समाज की पहचान है।
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