IPC की धारा 376-ङ और BNS की धारा 71: पुनरावृत्ति कर्ता अपराधियों के लिए दंड
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376-ङ और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 71 का मुख्य उद्देश्य यौन अपराधों के पुनरावृत्ति कर्ता अपराधियों (Repeat Offenders) को कठोर दंड देना है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि जो व्यक्ति पहले से ही यौन अपराध में दोषी पाया गया है और पुनः ऐसा अपराध करता है, उसे समाज और कानून दोनों के दृष्टिकोण से सख्ती से दंडित किया जाए।
IPC की धारा 376-ङ का प्रावधान
धारा 376-ङ के अंतर्गत यह प्रावधान है कि यदि कोई व्यक्ति, जिसे पहले किसी यौन अपराध में दोषी ठहराया गया है, फिर से ऐसा अपराध करता है, तो उसे आजीवन कारावास (जो कि उसके जीवन के शेष काल तक होगा) या मृत्युदंड दिया जा सकता है।
यह धारा विशेष रूप से उन अपराधियों को ध्यान में रखकर बनाई गई है जो अपनी हरकतों से न केवल पीड़िता बल्कि पूरे समाज में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा करते हैं।
BNS की धारा 71 का प्रावधान
नए कानून के तहत भारतीय न्याय संहिता (BNS) में धारा 71 को IPC की धारा 376-ङ का स्थान दिया गया है। यह धारा भी पुनरावृत्ति कर्ता यौन अपराधियों के लिए कठोर दंड का प्रावधान करती है। हालांकि, नए कानून में न्याय प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और त्वरित बनाने की दिशा में सुधार किया गया है। इसके तहत:
- पुनरावृत्ति कर्ता अपराधियों के लिए आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान जारी है।
- न्यायालय को यह सुनिश्चित करने का अधिकार दिया गया है कि अपराधी को सजा सुनाते समय उसकी पुनरावृत्ति की प्रवृत्ति और उसके समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखा जाए।
इन धाराओं का उद्देश्य
- न्याय में कठोरता: यौन अपराधों को रोकने और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए यह आवश्यक है कि अपराधियों को उनके अपराधों के लिए कठोरतम दंड मिले।
- निवारक प्रभाव: यह कानून संभावित अपराधियों को अपराध करने से पहले रोकने में मदद करता है।
- सामाजिक सुरक्षा: यह सुनिश्चित करता है कि समाज में महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षित माहौल बना रहे।
उदाहरण के माध्यम से समझें
उदाहरण 1:
रामू को 2015 में एक महिला के साथ बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया गया और उसे 10 साल की जेल हुई। जेल से छूटने के बाद 2022 में उसने फिर से एक अन्य महिला के साथ ऐसा ही अपराध किया।
- IPC की धारा 376-ङ (अब BNS की धारा 71) के तहत, रामू को पुनरावृत्ति अपराधी मानते हुए मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा दी जा सकती है।
उदाहरण 2:
श्याम, जिसे पहले नाबालिग लड़की के साथ यौन उत्पीड़न के लिए दोषी ठहराया गया था, दोबारा जेल से छूटने के बाद वही अपराध करता है।
- इस मामले में, उसे न्यायालय के अनुसार कठोरतम सजा दी जाएगी।
इन धाराओं की प्रासंगिकता
आज के समय में यौन अपराधों के बढ़ते मामलों को देखते हुए, पुनरावृत्ति अपराधियों के लिए कठोर दंड का प्रावधान समाज में भय का वातावरण कम करने और अपराध दर को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक है। IPC की धारा 376-ङ और अब BNS की धारा 71 इस उद्देश्य को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
निष्कर्ष
IPC की धारा 376-ङ और BNS की धारा 71 जैसे प्रावधान यह सुनिश्चित करते हैं कि अपराधियों को उनके अपराधों की गंभीरता के अनुसार दंड दिया जाए। यह न केवल पीड़ितों को न्याय दिलाने का कार्य करता है बल्कि समाज को एक स्पष्ट संदेश भी देता है कि यौन अपराधों के प्रति कोई भी सहिष्णुता नहीं बरती जाएगी।
समाज की सुरक्षा और महिलाओं के प्रति सम्मान सुनिश्चित करने के लिए ऐसे कठोर कानून अत्यंत आवश्यक हैं।
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