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आरोप (Charge) क्या होता है ? यह कौन बनाता है ? क्या Police charge बनाती है ? विस्तार से जानकारी दो।

IPC धारा 336 और BNS धारा 125 जनसुरक्षा पर खतरे को रोकने वाले कानूनी प्रावधान

IPC की धारा 336 और BNS की धारा 125: जनसुरक्षा को खतरे में डालने वाले कार्यों पर कानून का विश्लेषण →

भारतीय दंड संहिता (IPC) में सुरक्षा और सावधानी के साथ काम करने के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए कई धाराएँ शामिल की गई थीं। इन्हीं में से एक धारा 336 है, जो किसी व्यक्ति द्वारा दूसरों के जीवन या सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए लागू होती है। नए कानून, भारतीय न्याय संहिता (BNS), के तहत इसे अब धारा 125 के रूप में स्थानांतरित किया गया है। इस लेख में हम इन दोनों धाराओं को विस्तार से समझेंगे और इनके कार्यान्वयन के उदाहरण प्रस्तुत करेंगे।


 IPC की धारा 336: एक परिचय →
IPC की धारा 336 का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि लोग अपने कार्यों में इतनी सावधानी और जिम्मेदारी बरतें कि किसी अन्य व्यक्ति की जान या सुरक्षा खतरे में न पड़े। यह धारा तब लागू होती है जब कोई व्यक्ति जानबूझकर या लापरवाही से ऐसा काम करता है जिससे किसी की जान खतरे में पड़ सकती है। 

सजा: →
IPC की धारा 336 के तहत, अपराधी को तीन महीने तक की कैद, 250 रुपये तक का जुर्माना, या दोनों की सजा हो सकती थी। यह एक जमानती अपराध है और सामान्यतः हल्के अपराधों में शामिल है।  

उदाहरण: →
मान लीजिए, एक व्यक्ति भीड़भाड़ वाली सड़क पर तेज गति से वाहन चला रहा है और ब्रेक लगाने में देरी कर देता है, जिससे पैदल चलने वालों की जान खतरे में पड़ जाती है। ऐसी स्थिति में, इस व्यक्ति पर IPC की धारा 336 के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।  

BNS की धारा 125: नया रूप और उद्देश्य→

BNS (भारतीय न्याय संहिता) के तहत, IPC की धारा 336 को अब धारा 125 में बदल दिया गया है। यह संशोधन कानून को अधिक स्पष्ट और व्यापक बनाने के उद्देश्य से किया गया है। BNS की धारा 125 का मुख्य उद्देश्य वही है, लेकिन इसे कानून की वर्तमान आवश्यकताओं के अनुसार फिर से परिभाषित किया गया है।  
BNS धारा 125 की विशेषताएं: →
•जीवन और सुरक्षा की रक्षा →: यह धारा किसी भी कार्य को रोकने के लिए है जो किसी व्यक्ति के जीवन या सुरक्षा को खतरे में डालता है।  
•सजा→: इसमें भी सजा का प्रावधान तीन महीने तक की कैद, जुर्माना, या दोनों के रूप में है।  
•जमानती अपराध→: यह अपराध भी जमानती है, और आमतौर पर हल्के अपराधों के लिए उपयोग होता है।  

 उदाहरण: →
मान लीजिए, एक निर्माण स्थल पर सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है, जिससे वहां काम करने वाले मजदूरों की जान खतरे में है। इस स्थिति में, संबंधित ठेकेदार पर धारा 125 के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।  


 IPC की धारा 336 और BNS की धारा 125: समानताएं और अंतर   →

1. समानताएं→:  
   • दोनों धाराओं का उद्देश्य जनसुरक्षा सुनिश्चित करना है।  
   •सजा का प्रावधान एक समान है – तीन महीने तक की कैद, जुर्माना, या दोनों।  
   •दोनों ही जमानती अपराध हैं।  

2. अंतर→:  
   • IPC की धारा 336 को BNS में धारा 125 के रूप में स्थानांतरित किया गया है।  
   •BNS में इस धारा को आधुनिक भाषा और व्यापक संदर्भ में प्रस्तुत किया गया है।  

 धारा 336 और 125 के पीछे का उद्देश्य: →

इन धाराओं का उद्देश्य है कि हर व्यक्ति अपने कार्यों में इतनी सतर्कता बरते कि उसकी लापरवाही से दूसरों की जान या सुरक्षा खतरे में न पड़े। यह कानून खासतौर पर यातायात, निर्माण, और सार्वजनिक स्थानों में लापरवाही से बचने के लिए लागू किया गया है।  

निष्कर्ष: →

IPC की धारा 336 और BNS की धारा 125 का मूल उद्देश्य एक ही है – जनसुरक्षा को प्राथमिकता देना। BNS में इसे शामिल करने से कानून को अधिक सरल और प्रासंगिक बनाया गया है। यह बदलाव न केवल कानून की स्पष्टता बढ़ाता है, बल्कि न्याय प्रणाली को भी सुदृढ़ करता है।  

इस प्रकार, ये धाराएँ हमें यह याद दिलाती हैं कि हमारे छोटे-छोटे कार्य भी दूसरों की सुरक्षा को प्रभावित कर सकते हैं। इस कानून का पालन करना न केवल कानूनी जिम्मेदारी है, बल्कि नैतिक दायित्व भी।  

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